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बुधवार, 6 नवंबर 2024

भोजपुरी लोकगायिका शारदा सिन्हा अमर रहसु

पद्म भूषण से सम्मानित होत डॉ शारदा सिन्हा

विधि के विडम्बना देखीं कि अपना छठ गीतन आ मैथिली भोजपुरी लोक गायकी से मशहूर भइल आ पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित भइल शारदा सिन्हा छठे का मौका पर प्रयाण कर गइली एह दुनिया से.


बिहार के मैथिली भाषी क्षेत्र सुपौल में 1 अक्टूबर 1952 का दिने जनमल शारदा सिन्हा जी एगो लमहर बीमारी का बाद मंगल 5 नवम्बर 2024 का दिने लोक महापर्व छठ का नहाय खाय का पावन मौका पर दुनिया से प्रस्थान कर गइनी.


केहू उहाँ के स्वर कोकिला कहत रहे, केहू बिहार के लता मंगेशकर बाकिर भोजपुरी खातिर शारदा सिन्हा जी महान लोकगायिका रहनी. साल 1970 में उहां के विवाह बेगूसराय जिला के सिहमा गाँव के निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा जी से भइल रहल. साल 1991 में शारदा सिन्हा जी के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कइल गइल रहुवे आ साल 2018 में भारत के तीसरका सबले बड़ नागरिक सम्मान पद्म भूषण से.  


मैथिली आ  भोजपुरी का अलावा हिन्दी आ मगही गीतो शारदा सिन्हा जी गावत रहीं. हिन्दी सिनेमों में उहां के गावल गीत सुने के मिलल करे. 1989 में रिलीज हिन्दी फिल्म मैंने प्यार किया में गावल गीत  "कहे तोह से सजना" का अलावे कुछेक अउरिओ फिलिमन में उहां के गावल गीत शामिल रहल. 


ब्रजकिशोर जी के निधन साल हाल ही में ब्रेन हिमोरहेज का चलते हो गइल आ ओकरा कुछेके हप्ता बाद शारदो जी चल बसनी. शारदा सिन्हा जी कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, से पीड़ित रहनी आ दिल्ली के एम्स में उहां के इलाज होत रहुवे. 


मंगल 5 नवम्बर 2024 के देर रात निधन का बाद बुधवार के दिने शारदा सिन्हा जी के पार्थिव दिल्ली से पटना ले आइल गइल जहां बिहार सरकार के मंत्रियन के साथही बड़हन संख्या में शारदा सिन्हा जी के प्रशंसक आखिरी दर्शन ला मौजूद रहलें. शारदा सिन्हा के बेटा अंशुमान सिंह का मार्फत आइल खबरन में बतावल गइल बा कि शारदा सिन्हा जी के अंतिम संस्कार शुक का दिने गंगा नदी के गुलबी घाट पर कइल जाई. बिहार सरकार राजकीय सम्मान का साथे अंतिम संस्कार करावे के एलान कइले बिया. 


शारदा सिन्हा जी के पिता सुखदेव ठाकुर जी शिक्षा विभाग में रहनी आ गायकी से लगाव देखत शारदा जी के भारतीय नृत्य कला केंद्र में दाखिला दिअववनी जहां से शारदा जी  संगीत में स्नातक भइनी.


शारदा सिन्हा के एहू ला इयाद कइल जाई कि उहां के कबहूं अपना गायकी में समझौता ना कइनी आ संस्कार आ संस्कृति के वाहक का रुप में उभरनी. उहां के कवनो फूहड. गाना ना गवनी आ एकरा खातिर पूरा भोजपुरिया सम्मान उहां के ऋणी रही. भोजपुरिया ना रहला का बादो भोजपुरी गीत गवनई के जवना मुकाम पर पहुँचवनी ओकरा ला हमनी का अभिभूत बानी आ आपन श्रद्धा सुमन उहा के चरणन में अर्पित कर रहल बानी.