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सोमवार, 13 जनवरी 2025

डा. अनिल कुमार ‘आंजनेय’

 संस्मरण

डा. अनिल कुमार ‘आंजनेय’


- डा. राजेन्द्र भारती



‘अतिथि देवो भवः’ कहावत सबके जुबान पर मौजूद बा.  बाकिर हमार एगो अग्रज अइसन बानी कि उहां पर ई कहावत दू तरह से फिट होला.  मानलीं रउरा घरे उहां का रउरा से मिले आ गईनी.  रउरा जबले दण्ड प्रणाम से निपटम तबले उहां के बांया हाथ अपना गांधी झोला में जाई आ बाहर निकली त ओहमें रउरा घर का लईकन खातिर मिठाई भा फल आ रउरा खातिर कवनो साहित्यिक किताब भा पत्रिका होई.  रउरा चाहीं भा ना एह भेंट के सकारहीं के होखी.  काहे कि उहां का सोझा राउर नकारे वाली ताकत ना जाने कहवां बिला जाई.

आपके बूझात होई कि हम कवनो चमत्कारिक तांत्रिक का बारे में कुछ कहल चाहत बानी.  बाकिर अइसन कुछ नईखे.  तबो अईसन कुछ जरूर बा, काहे कि उहां का व्यक्तित्व का सोझा टिकल मुश्किल बा.  उ सौम्य मुस्कुरात तेज से भरल आंखि, दमकत ललाट, स्नेह बिखेरत होंठ, दूनो हाथ प्रणाम का मुद्रा में, आ विनम्रता का बोझ से झुकल देहि.  सामने वाला परिचित बरोबरी के होखो भा शिष्यवत.  तब का कहब आप ई सब देखि-सुन के ?

कुछुओ सीखे के होखे, चाहे कवनो क्षेत्र होखे, कद्र के परिभाषा जाने के होखे, आदमी के मूल्यांकन करे के पद्धति सीखे के होखे त एह युग में हमरा नजर में बस एगो उहें के
बानी.  गुरू, पथ प्रदर्शक, पिता तुल्य अग्रज डा. अनिल कुमार ‘आंजनेय’.
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कदम चौराहा, बलिया - 277001
(दुनिया के भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर ई फरवरी 2004  में अंजोर भइल रहल)

बुधवार, 6 नवंबर 2024

भोजपुरी लोकगायिका शारदा सिन्हा अमर रहसु

पद्म भूषण से सम्मानित होत डॉ शारदा सिन्हा

विधि के विडम्बना देखीं कि अपना छठ गीतन आ मैथिली भोजपुरी लोक गायकी से मशहूर भइल आ पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित भइल शारदा सिन्हा छठे का मौका पर प्रयाण कर गइली एह दुनिया से.


बिहार के मैथिली भाषी क्षेत्र सुपौल में 1 अक्टूबर 1952 का दिने जनमल शारदा सिन्हा जी एगो लमहर बीमारी का बाद मंगल 5 नवम्बर 2024 का दिने लोक महापर्व छठ का नहाय खाय का पावन मौका पर दुनिया से प्रस्थान कर गइनी.


केहू उहाँ के स्वर कोकिला कहत रहे, केहू बिहार के लता मंगेशकर बाकिर भोजपुरी खातिर शारदा सिन्हा जी महान लोकगायिका रहनी. साल 1970 में उहां के विवाह बेगूसराय जिला के सिहमा गाँव के निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा जी से भइल रहल. साल 1991 में शारदा सिन्हा जी के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कइल गइल रहुवे आ साल 2018 में भारत के तीसरका सबले बड़ नागरिक सम्मान पद्म भूषण से.  


मैथिली आ  भोजपुरी का अलावा हिन्दी आ मगही गीतो शारदा सिन्हा जी गावत रहीं. हिन्दी सिनेमों में उहां के गावल गीत सुने के मिलल करे. 1989 में रिलीज हिन्दी फिल्म मैंने प्यार किया में गावल गीत  "कहे तोह से सजना" का अलावे कुछेक अउरिओ फिलिमन में उहां के गावल गीत शामिल रहल. 


ब्रजकिशोर जी के निधन साल हाल ही में ब्रेन हिमोरहेज का चलते हो गइल आ ओकरा कुछेके हप्ता बाद शारदो जी चल बसनी. शारदा सिन्हा जी कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, से पीड़ित रहनी आ दिल्ली के एम्स में उहां के इलाज होत रहुवे. 


मंगल 5 नवम्बर 2024 के देर रात निधन का बाद बुधवार के दिने शारदा सिन्हा जी के पार्थिव दिल्ली से पटना ले आइल गइल जहां बिहार सरकार के मंत्रियन के साथही बड़हन संख्या में शारदा सिन्हा जी के प्रशंसक आखिरी दर्शन ला मौजूद रहलें. शारदा सिन्हा के बेटा अंशुमान सिंह का मार्फत आइल खबरन में बतावल गइल बा कि शारदा सिन्हा जी के अंतिम संस्कार शुक का दिने गंगा नदी के गुलबी घाट पर कइल जाई. बिहार सरकार राजकीय सम्मान का साथे अंतिम संस्कार करावे के एलान कइले बिया. 


शारदा सिन्हा जी के पिता सुखदेव ठाकुर जी शिक्षा विभाग में रहनी आ गायकी से लगाव देखत शारदा जी के भारतीय नृत्य कला केंद्र में दाखिला दिअववनी जहां से शारदा जी  संगीत में स्नातक भइनी.


शारदा सिन्हा के एहू ला इयाद कइल जाई कि उहां के कबहूं अपना गायकी में समझौता ना कइनी आ संस्कार आ संस्कृति के वाहक का रुप में उभरनी. उहां के कवनो फूहड. गाना ना गवनी आ एकरा खातिर पूरा भोजपुरिया सम्मान उहां के ऋणी रही. भोजपुरिया ना रहला का बादो भोजपुरी गीत गवनई के जवना मुकाम पर पहुँचवनी ओकरा ला हमनी का अभिभूत बानी आ आपन श्रद्धा सुमन उहा के चरणन में अर्पित कर रहल बानी.


शनिवार, 2 नवंबर 2024

लोककवि भिखारी ठाकुर के जीवन परिचय़

 

पद्मश्री स्व॰भिखारी ठाकुर जी का जयन्ती १८ दिसम्बर का अवसर पर

Bhikhari Thakur



  • जन्म तिथि - पौष अँजोरिया पंचमी संवत् १९४४ (१८ दिसम्बर १८८७) सोमवार दोपहर बारह बजे
  • माता के नाम - शिवकली देवी
  • पिता के नाम - दलसिंगार ठाकुर
  • गाँव - कुतुबपुर पहले आरा में रहुवे अब गंगा के कटान के चलते सारण में पड़ेला.
  • पढ़ाई - बस अक्षर पहिचनला तक
  • पत्नी के नाम - मनतुरना देवी
  • मुख्य रचनायें - बिदेसिया, पियवा नसइल, बेटी बेचवा, गबर घिंचोर वगैरह
  • पुरस्कार आ सम्मान - राष्ट्रपति से मिलल पद्मश्री सम्मान के अलावा ढेरहन पुरस्कार
  • मृत्यु - १० जुलाई १९७१, शनिवार के दिन