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शनिवार, 16 नवंबर 2024

भोजपुरी - एगो परिचय

आलेख

भोजपुरी - एगो परिचय


डॉ. राजेन्द्र भारती



‘‘भाषा भोजपुरी परिभाषा से पूरी ह 

बोले से पहिले एके जानल जरुरी ह

ना गवना पूरी ना सुहागन के चूड़ी ह

साँचि मानऽ त दुश्मन के गरदन पर

चले वाली छूरी ह

कहत घुरान बुरा मति माने केहू

सभ भाषा के उपर हमार भाषा भोजपुरी ह’’


भारत के एगो प्रान्त उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के बसन्तपुर गांव के कवि, लोकगीत गायक, ब्यास बीरेन्द्र सिंह घुरान के कहल इ कविता आजु केतना सार्थक बा एहकर अहसास तबे हो सकेला जब भोजपुरिहा भाई लोगन के आपन मातृभाषा भोजपुरी से नेह जागी. 


भोजपुरिहा सरल सुभाव के होखेलन, एह बाति के नाजायज फायदा सरकार हमेशा से उठावत आइल बिया.  आ हमनी के माडर्न बने का फेर में आपन मूल संस्कृति के भुलावल जात बानी.  हमनी से एक चौथाई भाषा संविधान का आठवीं सूची में दर्ज हो गइली स आ हमनी का टुकुर-टुकुर ताकते रह गईलीं जा.


आजु का तारीख में भोजपुरी करीब आठ करोड़ भोजपुरिहन के भाषा बा.  भोजपुरिहा लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, आ छतीसगढ़ के एगो बड़हन क्षेत्र में फइलल बाड़न.  एकरा अलावे भारत का हर नगर महानगर में भोजपुरिहन के नीमन तायदाद बा.  ई लोग हर जगह भोजपुरी के संस्था कायम कके भोजपुरी के अलख जगवले बाड़न.  विदेशनो में भोजपुरिहा भाई पीछे नइखन.  मारीशस के आजादी के लड़ाई में भोजपुरी में आजादी के गीत गावल जात रहे. सूरीनाम, गुयाना, आ  त्रिनिडाडो में भोजपुरी के बड़ा आदर बा.  भोजपुरी बोलेवालन के संख्या आ सीमा विस्तार के देखल जाव त भोजपुरी एगो अर्न्तराष्ट्रीय भाषा लेखा लउके लागी.


भोजपुरी भाषा के कुछ अद्भुत विशेषता बा.  सही मायने में देखल जाव त ई व्यवसाय आ व्यवहार के भाषा ह.  एक मायने में भोजपुरी व्याकरण से जकड़ल नइखे बाकिर साहित्य सिरजन में धेयान जरुर दिहल जाला.  एह भाषा के ध्वनि रागात्मक ह. भोजपुरी भाषा में संस्कृत शब्दन के समावेश बा एकरा अलावे भारत के कईगो भाषा के शब्द आ विदेशी भाषा जइसे अंग्रेजी, फारसी आदिओ के शब्द  समाहित बा.


भोजपुरी भाषा में साहित्य के सब विद्या बिराजमान बा.  भोजपुरी लोकगाथा, लोकगीत, लोकोक्ति, मुहावरा, कहावत, पहेली से भरपूर बा.  वर्तमान में भोजपुरी साहित्य समृध हो गइल बा.  भोजपुरी के केतने विद्या आ विषयन पर शोध भइल बा आउर हो रहल बा.  केतने विदेशी लोग भोजपुरी के केतने विषय पर शोध करले बाड़न आ करि रहल बाड़न.  भोजपुरी के कइगो उत्कृष्ट पत्रिका पत्र प्रकाशित हो रहल बा.  केतने शोध ग्रन्थ, उपन्यास, कहानी संग्रह, कविता संग्रह, गीत, गजल संग्रह इहंवा तकले कि कइयों विद्यो के भोजपुरी में लेखन कार्य चलि रहल बा.


भोजपुरी भाषा के उत्थान खातिर देश में कइगों भोजपुरी के संस्था कार्यरत बा.  बिहार के विश्वविद्यालय में एम0ए0 तक  भोजपुरी में पढ़ाई चलि रहल बा.  रेडियों, टी0वी0 ओ भोजपुरी के अहमियत देता. भोजपुरिहा सरल स्वभाव के होलन, इनकर कहनी आ करनी में फरक ना होला.  ई आपन स्वार्थ के परवाह ना करसु.  बेझिझक मूंह पर जवाब देवे में माहिर होलन. 


भोजपुरी भाषी के देवी-देवता में शिव, राम, हनुमान, कृष्ण, दुर्गा, काली, शीतलामाई के विशेष रूप से पूजल जाला.  समूचा बिहार के लोग जहंवे बाड़न आ एकरे अलावे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सा में छठ पूजा व्रत के प्रचलन बा.


भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भोजपुरी भाषी तन-मन-धन से लागल रहे लोग.  अंग्रेज विद्वान ग्रियर्सन भोजपुरिहा लोगन के उल्लेख ऐह तरे कइले बाड़न ‘‘ई हिन्दुस्तान के लड़ाकू जाति में से एक ह लोग.  ई सतर्क आ सक्रिय जाति ह.  भोजपुरिहा युद्ध खातिर युद्ध के प्यार करेलन.  ई समूचा भारत में फइलल बाड़न.  एह जाति के प्रत्येक व्यक्ति कवनो स्वतः आइल सुअवसर से आपन भाग्य बनावे खातिर तइयार रहेले.  पूर्वकाल में ई लोग हिन्दुस्तानी सेना में भरती होके मजबूती प्रदान कइले रहन.  साथहीं 1857 के क्रान्ति में महत्वपूर्ण भागीदारी कइले रहन.  लाठी से प्रेम करेवाला, मजबूत हड्डीवाला, लम्बा-तगड़ा भोजपुरिया के हाथ में लाठी लेके घर से दूर खेत में जात देखल जा सकऽता’’.


भोजपुरिया आपन जनम भूमि के प्रति बड़ा श्रद्धा राखेलें,  देश-विदेश कहीं होखस आपन सभ्यता ना भूलास.  कहीं रहस फगुआ चईता जरूर गइहें, अल्हाउदल के गीत जरूर होई.  सोरठी बिरजाभानू गावल जाई.  जनेउ, मुण्डन, तिलक, बिआह, छठिआर, ब्रत, तेवहार आ कवनो संस्कार के समय भोजपुरी के गीत गूंज उठेला.  भोजपुरिया लोग के तिलक, बिआह, व्रत-त्योहार भा कवनो संस्कार के एगो अलग पहचान बा.


मारिशस, गुयाना, सुरीनाम, त्रिनिडाड में भोजपुरी बोले वाला पुजाला.  आपन भोजपुरिया संस्कृति के बचाई, भोजपुरी बोली, भोजपुरी पढ़ी , भोजपुरी लिखी, भोजपुरी गाईं, भोजपुरी के अलख जगाई.


जय भोजपुरी, जय भोजपुरिहा. 


(डॉ राजेन्द्र भारती जी अंजोरिया डॉटकॉम के संस्थापक सम्पादक रहीं आ उहें के सहजोग से जुटल सामग्री से एकर शुरुआत भइल रहल. डॉ राजेन्द्र भारती जी बलिया शहर के कदम चौराहा पर होम्योपैथी के डॉक्टर रहीं. )


गदह पचीसी

गदह पचीसी



(प्रकाशक का ओर से) 


हमरा का मालूम रहे कि "मैं अकेला ही चलूंगा, कारवाँ बन जायेगा".


एगो जमाना रहे जब विनय रेखा जी आ शशिभूषण राय जी का अलावा केहू दोसर ना रहे जे नेट पर भोजपुरी के बात करत होखो. ओह लोग के साइट रोमन लिपि में रहे. हम पहिला हाली देवनागरी लिपि में भोजपुरी पत्रिका अँजोरिया शुरु कइनीं. डा.राजेन्द्र भारती जी का सहयोग से कुछ रचना भेंटा जाव आ हम अपना साईट पर डाल दीं. फान्ट के बड़का प्राब्लम रहुवे. सबका लगे अलगा अलगा फान्ट कहीं ष ना लउके त कहीं श. कतना फान्ट अजमवनी. डायनामिक फान्टो के  ट्राइ मरनी बाकिर हमरा से हो ना सकल. संजोग से तबले हमरा युनिकोड के बारे में जानकारी मिलल आ हम युनिकोड के अपना लिहनी. भोजपुरी में कवनो साइट पहिलका हाली अँजोरिया निकलल. बाकिर अकेला आदमी, पेशा से डाक्टर, पूंजी के कमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर के कमी ढेर कुछ करे ना देब. लिखनिहार लोग लिख के दे देव, हम निकालियों दीं अँजोरिया में बाकिर इन्टरनेट पर आके पढ़े देखे वाला केहू लउके ना.


एही बीच में जमशेदपुर से सुधीर आ शशि के जोड़ी भोजपुरिया डॉटकॉम का रुप में धमाका कइलस. हम देखनी त बड़ाई करे से अपना के रोक ना पवनी. पहिला हाली भोजपुरी के कवनो मजगर साईट नेट पर आइल रहे. बाद में अमेरिका से शैलेश मिश्रा जी, मुम्बई से सतीशो यादव जी भोजपुरी के साइट निकालल लोग. भोजपुरी एसोसिएशन आफ नार्थ अमेरिका के साइट रोमन में बा. सतीश जी के साइट पीएनजी के भरपूर इस्तेमाल करेला. बाकिर युनिकोड में अँजोरिया का बाद भोजपुरिया डॉटकॉमे आइल.


सुधीर आ शशि के जोड़ी के केहू के नजर लाग गइल आ जोड़ी बिखर गइल. भोजपुरी के कई गो साईट सुधीर भाई बुक करा के धइले बाड़े. एही बीच शशि जी इन्टरनेट पर आपन लिट्टीचोखा ले के अइलन. सुधीर जी लिट्टी चोखा में हाइफन लेखा घुस गइलन आ लिट्टी-चोखा खियावे लगलन. हमरा ई नीक नइखे लागत. अँगुरी पर गिने लायक आदमी बाड़े भोजपुरी नेट पर - शशिभूषण राय, बिनय रेखा, ओमप्रकाश, शैलेश, सुधीर, सतीश, शशि सिंह, आ अब सबसे मशहूर मनोज सिंह भावुक. जरुरत तऽ बा कि सबकेहू मिलजुल के भोजपुरी आन्दोलन के आगा बढ़ावो बाकिर तले ई गदह पचीसी शुरु हो गइल. गठरिया तोर कि मोर वाला अन्दाज में.


खैर अपना पुरान सुभाव का अनुसार अँजोरिया केहू के नीक केहू के बाउर ना कही. हम त इहे चाहब कि सबकेहू एक दोसरा के वेबसाइट के लिंक देव, एके फान्ट अपनावे. प्रकाशन सामग्री सबकेहू अपना अपना पसन्द से प्रकाशित करे. केहू केहू के काटे के कोशिश मत करे. नेट के दुनिया बहुते बड़हन बा. एहिजा सबका खातिर भरपूर जगहा बा. टँगरी पसार के सूतऽ भा मोड़ के, तहार मर्जी. कवनो नाम पर केहु के बपौती नइखे, बाकिर अपना संस्कार आ संस्कृति के भुलवला के जरुरत नइखे. गोड़ऊ नाच देखवला के काम नइखे.


एक बार फेर हम बता देबे चाहत बानीं कि अँजोरिया विनम्र भाव से जतना भोजपुरी साइट मिली सभकर लिंक देत रही. जे भी नया साइट शुरु करे ओकरा से निहोरा बा कि हमरा के जरूर सूचित कर देव जेहसे हम ओह साइट के लिंक दे दीं. नेट पर आवे वाला जवना साइट के चाहे देखे. एके गली में पचासन क्लिनिक रहेला, जेकरा जवन डाक्टर नीक बुझाला ओकरा से देखावेला.


(अंजोरिया डॉटकॉम के शुरुआत साल 2003 में 19 जुलाई का दिने भइल रहल. शुरुआती कालखण्ड में ई पोस्ट अंजोर भइल रहल. )

लड़िकपन के गीत

 

लड़िकपन के गीत

ओतने बतिया तूहूँ जानऽ, जतना हमहूँ जानीं.

हमरा पासो पर आफत बा, तहरा बड़हू चानी.
का भईया, तहरा चाहीं, आ हमरा ना चाहीं?

संगही पढ़नी, संगही खेलनी, संगही कइनी छल छन्दर.
हम चोन्हर साठो ना पवनी, तू लिहलऽ पचहत्तर.
का हो भईया, तहरा चाहीं आ हमरा ना चाहीं?


एक मुट्ठी सरिसो, भदर भदर बरिसो.
ना,
एक मुट्ठी लाई महाबीर पर छिटाई बरखा ओनिये बिलाई.


भोला गइलन टोला पर,

खेत गइल बटऽईया,

भोला बो के लड़िका भइल,

ले गइल सिपहिया!

भोला लोला लऽ!


थापुर थुपुर तेलिया,

घीव में चमोरिया,

हम खाईंकि भउजी खाये?

भउजी पतरंगिया,

धई कान ममोरिया.


घुघुआ मन्ना,
उपजे धन्ना,
नया भिति उठेला,
पुरान भिति ढहेला.
सम्हरिये बुढ़िया रे,
तोर सब खेत चरलसि
बाबू के भईंसिया.

लईकाईं में बड़ बूढ़ के गोड़ पर झुलुआ झूलत ई गीत कई हालि सुनले बानीं. रउरो में से अधिका लोग सुनलहीं होखी.


चन्दा मामा,

आरे आवऽ, पारे आव, नदिया किनारे आवऽ,

सोने के कटोरवा में दूध भात लेले आवऽ,

बबुआ के मुहँवा मे घुटुक.

आवऽ हो उतरि आव हमरी मुँडेर,

कबसे बोलाइले, भइल बड़ी देर.

भइल बड़ी देर हो, बाबू के लागल भूख.

आरे आवऽ, पारे आव, नदिया किनारे आवऽ,

सोने के कटोरवा में दूध भअत लेले आवऽ,

बबुआ के मुहँवा मे घुटुक.


रामजी रामजी घाम करऽ,

सुगवा सलाम करे,

तहरा लड़िकवन के जड़वत बाटे.


नानी किहाँ जायेम,

पुअवा पकायेम,

नानी कही बतिया रे,

आइल हमार नतिया रे !


ओका, बोका, तीन तलोका,

लउआ लाठी, चनन काठी,

चनना के राजा,

इजई, विजई, पनवा पुचुक !

छोट छोट लड़िका लड़िकी गोल में बईठ के ई खेल खेलत रहुवे. सब केहू आपन अँजुरी नीचे जमीन पर रखले रही आ एगो खिलाड़ी एक एक अँजुरी छुअत ई गीत पढ़ी. जवना अँजुरी पर आखिरी शब्द पुचुक पड़त रहुवे ऊ चोर बनी आ बाकी लोग ओकरा के तंग करे वाला सिपाही.

रउरो एही तरह खेलत रहीं कि कवनो दोसरा तरह ?


बुधवार, 6 नवंबर 2024

भोजपुरी लोकगायिका शारदा सिन्हा अमर रहसु

पद्म भूषण से सम्मानित होत डॉ शारदा सिन्हा

विधि के विडम्बना देखीं कि अपना छठ गीतन आ मैथिली भोजपुरी लोक गायकी से मशहूर भइल आ पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित भइल शारदा सिन्हा छठे का मौका पर प्रयाण कर गइली एह दुनिया से.


बिहार के मैथिली भाषी क्षेत्र सुपौल में 1 अक्टूबर 1952 का दिने जनमल शारदा सिन्हा जी एगो लमहर बीमारी का बाद मंगल 5 नवम्बर 2024 का दिने लोक महापर्व छठ का नहाय खाय का पावन मौका पर दुनिया से प्रस्थान कर गइनी.


केहू उहाँ के स्वर कोकिला कहत रहे, केहू बिहार के लता मंगेशकर बाकिर भोजपुरी खातिर शारदा सिन्हा जी महान लोकगायिका रहनी. साल 1970 में उहां के विवाह बेगूसराय जिला के सिहमा गाँव के निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा जी से भइल रहल. साल 1991 में शारदा सिन्हा जी के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कइल गइल रहुवे आ साल 2018 में भारत के तीसरका सबले बड़ नागरिक सम्मान पद्म भूषण से.  


मैथिली आ  भोजपुरी का अलावा हिन्दी आ मगही गीतो शारदा सिन्हा जी गावत रहीं. हिन्दी सिनेमों में उहां के गावल गीत सुने के मिलल करे. 1989 में रिलीज हिन्दी फिल्म मैंने प्यार किया में गावल गीत  "कहे तोह से सजना" का अलावे कुछेक अउरिओ फिलिमन में उहां के गावल गीत शामिल रहल. 


ब्रजकिशोर जी के निधन साल हाल ही में ब्रेन हिमोरहेज का चलते हो गइल आ ओकरा कुछेके हप्ता बाद शारदो जी चल बसनी. शारदा सिन्हा जी कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, से पीड़ित रहनी आ दिल्ली के एम्स में उहां के इलाज होत रहुवे. 


मंगल 5 नवम्बर 2024 के देर रात निधन का बाद बुधवार के दिने शारदा सिन्हा जी के पार्थिव दिल्ली से पटना ले आइल गइल जहां बिहार सरकार के मंत्रियन के साथही बड़हन संख्या में शारदा सिन्हा जी के प्रशंसक आखिरी दर्शन ला मौजूद रहलें. शारदा सिन्हा के बेटा अंशुमान सिंह का मार्फत आइल खबरन में बतावल गइल बा कि शारदा सिन्हा जी के अंतिम संस्कार शुक का दिने गंगा नदी के गुलबी घाट पर कइल जाई. बिहार सरकार राजकीय सम्मान का साथे अंतिम संस्कार करावे के एलान कइले बिया. 


शारदा सिन्हा जी के पिता सुखदेव ठाकुर जी शिक्षा विभाग में रहनी आ गायकी से लगाव देखत शारदा जी के भारतीय नृत्य कला केंद्र में दाखिला दिअववनी जहां से शारदा जी  संगीत में स्नातक भइनी.


शारदा सिन्हा के एहू ला इयाद कइल जाई कि उहां के कबहूं अपना गायकी में समझौता ना कइनी आ संस्कार आ संस्कृति के वाहक का रुप में उभरनी. उहां के कवनो फूहड. गाना ना गवनी आ एकरा खातिर पूरा भोजपुरिया सम्मान उहां के ऋणी रही. भोजपुरिया ना रहला का बादो भोजपुरी गीत गवनई के जवना मुकाम पर पहुँचवनी ओकरा ला हमनी का अभिभूत बानी आ आपन श्रद्धा सुमन उहा के चरणन में अर्पित कर रहल बानी.


रविवार, 3 नवंबर 2024

भोजपुरियन के सबले बड़ कमज़ोरी : अंग्रेजी

 

भोजपुरियन के सबले बड़ कमज़ोरी : अंग्रेजी



शैलेश मिश्र

मातृभाषा से बढ़के कुछ ना होला - पूर्ण सत्य, एकदम साँच. भोजपुरी हमनी के मातृभाषा हs आ दुनिया के केतनो भाषा सीखीं जा, भोजपुरी भुलाये के ना चाहीं. भरसक ओकरे उपयोग घर में होखे के चाहीं. अब तनकी आगा सोचीं कि मातृभाषा के बाद कवन भाषा होला ? जवाब मिली - कर्मभाषा. अंग्रेजी के बिना दुनिया में आजकल कवनो करियर में सफल होखल मुश्किल बा. दुनिया के हर देश के लोग के एक तार से जोड़ेले अंग्रेजी भाषा. जे भी आसानी से अंग्रेजी बोलेला, लोग ओकर लोहा मानेला, बतियो समझेला आ आदरो देला. ऑफिस होखे, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल भा दोसर कवनो कार्यालय, हमनी के अंग्रेजी के कर्मभाषा क रूप में रोजे उपयोग करेनी जा. जे ठीक से अंग्रेजी ना बोली, ओकर टूटल-फूटल अंग्रेजी पर समाज हँसेला आ बिना अंग्रेजी के ज्ञान के ज्ञानी-पंडितो मूर्ख के बराबर समझल जाला.

हम बलिया से लेके चेन्नई तक, इंडिया से लेके अमेरिका तक - सब जगह के अंग्रेजी भाषा-शैली से परिचित बानी आ यूपी-बिहार आ उत्तर-भारत के समाज के इंग्लिस-स्किल्स आ अंग्रेजी हालत देखला क बाद बुझा जाला कि लोग भोजपुरियन के हीन-दृष्टि से काहें देखेला. एकर मुख्य कारण गरीबी-बेरोज़गारी-अशिक्षे ना, अंग्रेजी भाषा का उपयोग में निपुणता के कमीओ बा. ई त ठीक बा कि भोजपुरी से हमनी के सीना चौडा हो जाला आ छाती ख़ुशी से फूल जाला बाकि पूर्वांचल से बाहर कदम राखते पता चले लागेला कि अंग्रेजी के बिना आदमी अपाहिज जइसन महसूस करेला. जे भोजपुरिया भाई-बहिन के दिल्ली-कलकत्ता में नौकरी मिलल, ऊ त हिंदी के सहारे कइसहूँ जी लेला बाकि तनी हटके मुंबई (पच्छिम) आ बंगलोर-हैदराबाद-चेन्नई (दक्षिण) में प्रवेश करब त बुझाई कि बिना अंग्रेजी के एकदम बिदेस में पहुँच गईनी. आ बिना अंग्रेजी के बिदेश पहुँच गईनी त समझीं सात समुन्दर में डूब गईनी!

कुछ लोग अंग्रेजी भाषा सीखके आत्म-सम्मान बटोरे के बजाय रौब झाडे लागेला. कइसनो अंग्रेजी सीख-साख के अपना के तीसमारखाँ बतावेला आ घमंड से पाँव ज़मीनी पर ना राख पावेला. सही शुद्ध अंग्रेजी सीखल आसान नइखे त कठिनो नइखे. अंग्रेजी भाषा आवे त बहुते नीमन बात बा. अंग्रेजी जनला के मतलब ई ना ह कि रउरा सिर पर कवनो ताज पहिरा दिहल गईल बा आ रउवा क्वीन ऑफ़ इंग्लैंड के अँगरेज़ औलाद हो गईनी. अंग्रेजी बोलेवाला आ सही व्याकरण-काल-क्रिया के इंग्लिश वाक्य लिखेवाला के बस समझीं - एगो अधिका डिग्री भा ताकत के टॉनिक मिल गइल जवना क सहारे जिनगी के सफ़र अउरी आसानी से कट जाई. पंजाबी-गुजराती-तेलुगु-तमिल बोलेवाला एक-दोसरा से अपने भाषा में बतियावेला बाकि अंग्रेजी सीखे से पीछा ना रहेला. सउँसे इन्टरनेट अंग्रेजी पर टिकल बा, दुनिया के व्यापार से लेके पढ़ाई-शिक्षा में भी अंग्रेजी भाषा के बहुते महत्वपूर्ण भूमिका बा. हर माँ-बाप के चाहीं कि अपना लईका-लईकी के भोजपुरी क साथे अंग्रेजीओ सिखावे जेहसे आगा चलके करियर-उन्नति के राह में भाषा कवनो रोड़ा ना बने. ई दुनो भाषा भोजपुरिया समाज के विकास में जरूरी बा.

भाषा कईगो सीखीं. भाषा से मनुष्य के मानसिक विकास होला आ मन उजागर होला. जेतना भाषा बोलीं, ओतने लोगन से पहचान होखी. आपन मातृभाषा भोजपुरी के साथ मरत दम तक मत छोडीं बाकि एतना जरूर जान लीं कि कर्मभाषा अंग्रेजी पर जबले काबू ना पाइब, रउवा हमेशा अपना के हीन, अधूरा आ कमज़ोर महसूस करत रहिब. जवन भोजपुरिया अंग्रेजी के पुडिया खाइके पचा ली, ऊ धरती पर रहिके चनरमा के सैर करी - बस अइसने कुछ समझ लीं. वातावरण के दोष देबल बहुत आसान काम बा - ओही वातावरण में आपन लक्ष्य पूरा कइल सबले महान आ चुनौतीवाला काम बा. भोजपुरियन के सबले बड़ कमज़ोरी - भोजपुरिया समाज ना, यूपी-बिहार के सरकार ना, कानून के कमी ना, गाँव के बोली ना, बलुक भोजपुरियन के अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के कमी हs !!! जवना दिने भोजपुरिया लोग अंग्रेजी पर बढ़िया से काबू पाई जइहें, दुनिया के कवनो सफलता हासिल करे से ना चूकिहें.

जय भोजपुरी - जय भोजपुरिया !


शैलेश मिश्र
डैलस, टैक्सस, अमेरिका
१५ अप्रैल, २००९

चेन्नई में जनमल शैलेश मिश्र हिन्दी आ भोजपुरी भाषा के लेखक कवि हउवन; भोजपुरी असोसिएशन ऑफ़ नॉर्थ अमेरिका के संस्थापक आ अध्यक्ष हउवन; भोजपुरी के प्रसिद्ध सोशल नेटवर्क - भोजपुरीएक्सप्रेस.कॉम के सृजनकर्ता हउवन. लेखक मूलतः बलिया जिला के डांगरबाद गाँव से जुड़ल बाड़े आ आजुकाल्ह अमेरिका के डैलस शहर (टेक्सास) में कंप्यूटर सॉफ्टवेर इंजिनियर बाड़े. ई-मेल संपर्क : smishra@gmail.com 

असहमति के स्वर



‍अभयकृष्ण त्रिपाठी

संपादकजी नमस्कार,


कई दिना से अंजोरिया पर छपल एगो लेख के बारे में कुछ कहे चाहत रहीँ बाकिर समयाभाव से मजबूर रहीं. वईसे ई लेख कहीं अउर भी देख चुकल बानी बाकि ऊहाँ पर प्रतिक्रया उचित ना लागल काहे से कि जेकर लेख ओही के साइट. बाकिर अँजोरिया के एक सामाजिक मंच होखला से ईहँवा लिखे से मन के ना रोक पवनी. अब आपके उचित लगे तबहीं प्रकाशित करेब.


भोजपुरियन के सबले बड़ कमज़ोरी : अंग्रेजी

जादे पढ़ल लिखल नईखी बाकि हमरा एह लेख से ई नईखे बुझात कि लेखक कवना भोजपुरियन का बारे में बात कर रहल बाड़े. काहे से कि हमरा जानकारी में कम से कम सत्तर फीसदी भोजपुरिया लोग अइसना जगह से रोजी रोटी के जुगाड़ करेला जहँवा अंगरेजी के कवनो दरकारे नइखे. एकरा में खेतिहर, मजदूर, रिक्शावाला, निचला तबका के कामकाज, आ कवनो आफिस में आम नौकरी. अइसना लोग खातिर ना त अंगरेजी के कवनो मतलब बा ना ओह लोग का पास अंगरेजी सीखे के समय बा. बाँचल तीस फीसदी भोजपुरिया लोग में भी कम से कम आधा लोग अइसना जगह पर बा जहँवा अंगरेजी के जरुरत हो सकेला बाकिर अंगरेजी ना अइला चाहे कम अइला से कवनो परेशानी ना होखे. अइसना लोग में भोजपुरिया साहित्यकार लोग, उच्च पदवी आ उच्च व्यावसायिक पद वाला लोग, जिनकर पढ़ाई लिखाई के माध्यम अंगरेजिये बा, भा सरकारी पद वाला लोगन के गिनती कईल जा सकल जाला.


बाकी बचल पन्द्रह फीसदी लोग. हमरा भोजपुरिया जमीनी हकीकत के जानकारी का अनुसार एकरा में बिल्कुल बेकार लोग, चाहे माई बाबू के पइसा के बल (डोनेशन) के बल पर ऊँच डिग्री धारक लोग बा. अइसना लोग में कुछ लोग के डिग्री दिहल पढ़ाई वाला संस्थान के मजबूरीओ होला आ अइसना लोग में ज्यादातर लोग के असल मकसद सिर्फ अउर सिर्फ डिग्री पावल होला. एह लोग के अंगरेजी से ओतने मतलब होला जेतना कि डिग्री पावे खातिर जरुरी होखेला.


एतना बात में ई बात पर खास ध्यान देबे के बा कि मरद मेहरारु के बराबरी के जनसंख्या के आधार पर हम अपना आँकलन मे मेहरारू लोग के शामिल ना कइले बानी. काहे से कि ५० टका ना सही लेकिन ४० टका भोजपुरिया मेहरारु लोग सिर्फ घर के काम में व्यस्त रहेली जा.


लेख के रचनाकार लेख में कवना भोजपुरिया लोग खातिर परेशान बाड़े ई बात लेख पढ़ के समझ में नईखे आवत. हमार ई लेख के प्रतिक्रया देबे के पीछे के मंशा सिर्फ एतने बा कि एगो भोजपुरिया साहित्य अउर समाज के दर्पण के दावा करे वाला साईट के मालिक अउर भोजपुरिया समाज अउर संस्कृति के आगा बढ़ावे के दावा करे वाला लेखक के कलम से अइसन रचना हमरा हजम ना भइल. हम ई लेख के एक लाइन लिख के भी विरोध कर सकत रहीं बाकि एतना गूढ़ विषय के विरोध करे खातिर जवन कारण देबे के चाही ओकरा समर्थन में हम जेतना बात लिख सकत रहीं लिख देले बानी. बाकि यदि संपादक जी अपना तरफ से कुछ जोड़े चाहें त हमरा के रउआ बुद्धि पर पूरा भरोसा बा. यदि पता चल जाव कि रचनाकार महोदय कवन भोजपुरिया लोग खातिर परेशान बाड़े त शायद हमहूँ कुछ अउर जमीनी हकीकत के सच्चाई सामने लिया सकीं.

(

त्रिपाठी जी के लेख हम बिना काट छाँट के प्रकाशित कर रहल बानी. अँजोरिया में प्रकाशित हर लेख से हमार सहमत होखल जरुरी नइखे. अँजोरिया संपादक के दायित्व निभावत हमार पूरा कोशिश रहेला कि हर तरह के लोगन के विचार सामने ले आवल जा सके. व्यक्तिगत छीँटाकशी केहू के शोभा ना देव, से हर केहू के चाहीं कि दोसरा के विचार के सम्मान देव आ आपन विरोध प्रकट करे. सम्मान दिहला आ स्वीकृति दिहला में अन्तर होखेला. रउरो आपन विचार लिख भेजीं त ओकरो के प्रकाशित करे में हमरा खुशी होखी बाकिर सब केहू से निहोरा बा कि सामाजिक बहस के सीमा रेखा मत लाँघी. गाली गलौज आ व्यक्तिगत जीवन पर कवनो तरह के टिप्पणी वाला लेख ना प्रकाशित कइल जा सके.

सम्पादक, अँजोरिया)

हमहूँ कुछ कहल चाहतानी



प्रभाकर पाण्डेय

माननीय संपादकजी,

अँजोरिया

सादर नमस्कार.


हम अँजोरिया के नियमित पाठक हईं. अँजोरिया पर आइल लेखन के पढ़ल हमरा बहुते नीक लागेला काँहे की इहवाँ सार्थक अउरी यथार्थ रचनन के परकाशित कइल जाला. कुछ दिन पहिले हम अँजोरिया पर छपल एगो रचना पढ़नी, 'भोजपुरियन के सबले बड़ कमज़ोरी : अंग्रेजी' . ई लेख पढ़ले क बाद हमरा बुझाइल कि वास्तव में आधुनिक जुग में अंग्रेजी के का महत्व बा. गाँव-देहात में पढ़ला क बाद हम मुम्बई आ गइनी बाकिर अंग्रेजी के कम जानकारी होखला क वजह से काम त मिले बाकिर पइसावाला ना. वइसे हम अंग्रेजी में कमजोर ना हईं पर बोलले में जीभिया लड़खड़ा जा. हम आई.आई.टी. ज्वाइन कइनी अउरी इहाँ हमरा बुझाइल की अब बिना अंगरेजी के काम ना चली. काँहे की कवनो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शोध-पत्र अंग्रेजिये में प्रस्तुत करे के पड़ेला, बतावे के पड़ेला. कवनो बिदेशी विजिटर आ जाले त उनके आपन काम अंगरेजिये में बतावे के पड़ेला.


खैर छोड़ी. 'भोजपुरियन के सबसे बढ़ कमजोरी- अंग्रेजी' हम पढ़नी अउरी हमरा जवन बुझाइल ऊ ए लेख के सार हम एक लाइन में कहतानी- 'भोजपुरियन के अपन माटी, आ भोजपुरी से त एकदम जुड़ल रहे के चाहीं बाकि अगर ऊ अंग्रेजीओ पर धेयान देहल शुरु क देव लोग त अउरो अच्छा रही. काँहे की आधुनिक समय में अंगेरेजी विश्व-भाषा क रूप में स्थापित हो गइल बिया.'


हम आपके बता दीं की हमरि लगे हमरी पहिचान वालन बचवन (भोजपुरियन) के बहुत सारा रिज्यूम (बायोडाटा) आवेला बाकिर अंग्रेजी के ज्ञान ना होखला से बहुत सारा बचवन के निराश हो जाए के पड़ेला. हम लाख कोशिश करेनीं बाकिर ओतने डिग्री रखेवाला फटाफट अंग्रेजी बोलि के आपन जगहा पक्का क लेने कुलि.


त का भोजपुरिया समुदाय अंगरेजी ना पढ़ि के मजदूरीये करे, रेक्से चलावे?. आगे आवेवाला भोजपुरी पीढ़ीओ एही सब में लपटाइल रहे? अरे भईया भोजपुरी चाहें कवनो भाषा छोड़ले के बाति नइखे होत, इहवाँ बात हो रहल बा कि अगर अंगरेजीओ से जुड़ि जाइल जाव त अउर तरक्की हो जाई. (सकारात्मक सोंची महराज...)


अब कुछ जरूरी बात -


1. 'भोजपुरियन के सबसे बढ़ कमजोरी- अंग्रेजी' के पढ़ले क बाद माननीय अभयजी एकर सही अर्थ नइखन समझि पवले काहें की एह में भोजपुरियन के बात नइखे होत बलुक ओहन के कमजोरी के बात हो रहल बा. माननीय अभयजी, भोजपुरियन क साक्षरता-निरक्षरता के बात नइखे हो रहल!

2. अभयजी आप आलोचना करत समय सकारात्मक सोंच राखी. ई रउरा का कह रहल बानि - 'प्रतिक्रया उचित ना लागल काहे से कि जेकर लेख ओही के साइट' आपके लेख क आलोचना करे क बा कि रचनाकार क? काहें की एह लाइन में आप रचना के ना रचनाकार के आलोचना क रहल बानी, आ उहो असभ्य अंदाज में!

3. 'लेख के रचनाकार लेख में कवना भोजपुरिया लोग खातिर परेशान बाड़े'- अरे महराज अभयजी, का कहल चाह रहल बानी रउआँ? आप जइसन आदमी के इ भाषा?

4. 'एगो भोजपुरिया साहित्य अउर समाज के दर्पण के दावा करे वाला साईट के मालिक अउर भोजपुरिया समाज अउर संस्कृति के आगा बढ़ावे के दावा करे वाला लेखक'- (दावा करे वाला- संपादकजी तनि आपो विचार करीं एह भाषा पर.) अरे भाई रचना के आलोचना ह कि रचनाकार पर कीचड़ उछालल जाता?

अंत में हम इहे कहब कि, अँजोरिया के संपादकजी, आप नीचे लिखले बानीं की त्रिपाठी जी के लेख हम बिना काट छाँट के प्रकाशित कर रहल बानी. (व्यक्तिगत छीँटाकशी केहू के शोभा ना देव, से हर केहू के चाहीं कि दोसरा के विचार के सम्मान देव आ आपन विरोध प्रकट करे. सम्मान दिहला आ स्वीकृति दिहला में अन्तर होखेला)-- ई व्यक्तिगत छीटा-कसी ना ह त का ह महाराज????????


खैर, एगो संपादक भइले क नाते इहो आपके जिम्मेदारी बनेला की सकारात्मक सोंचन के ही प्राथमिकता दीं. अगर केहू कुछ उलजलूल लिख दे त ओके परकाशित नाहिए कइल ठीक रही, भलही उ आपन परिचिते होखे!


एह लेख से ई एकदम स्पष्ट बा की अभयजी के ए लेख से ना बलुक एह लेख क रचनाकार से कुछ व्यक्तिगत परेशानी बा. काँहे की उहाँ का रचनाकारे की ऊपर जेयादे मेहरबान नजर आवतानी. आज क समय में अँजोरिया एगो प्रतिष्ठित साइट बा अउरी ए साइट पर अइसन बातन के जिक्रे ना होखे के चाहीं. वइसे आपके मरजी तो सर्वोपरि बा बाकि एगो पाठक क रूप में हम आपन प्रतिक्रिया दर्ज करावतानी. अगर एह लेख के बिषय इहे रहित पर भासा सभ्य रहित त हमरा खुशी होइत.


सादर धन्यवाद.

प्रभाकर पाण्डेय

एगो पाठक- अँजोरिया

पुण्य अउरी मंगलदायक परब रामनवमी

 

पुण्य अउरी मंगलदायक परब रामनवमी



प्रभाकर गोपालपुरिया

चइत की अँजोरिया की नवमी श्रीरामनवमी का रूप में बिधि-बिधान का साथे धूम-धाम से मनावल जाला. हिंदू ब्रत-तिउहारन में श्रीरामनवमी के एगो विशेष अउरी महत्वपूर्ण स्थान बा. एह ब्रत के महत्ता अपरम्पार बा. बहुत सारा ग्रंथन में एह तिउहार के बरनन मिलेला. आजुओ हिंदू धरमपरायन लोग एह दिन के एगो धार्मिक दिवस का रूप में मनावेला अउरी बिधि-बिधान से भगवान राम के पूजा-अर्चना करेला.

एह तिथि के एतना महत्ता एह से बा की अपनी भक्तन के दुख दूर करे खातिर एही दिने भगवान पुरुषोत्तम राम धरती पर अवतरित भइल रहने. जब भगवान राम एहि दिन के अजोध्या में राजा दसरथ का महल में माई कौशिल्या का कोंखि से जनम लिहने ओ समय पुनर्वसु नछत्तर अउरी कर्क लगन रहे. भगवान राम की मनुजावतार लेत ही देवता लोग बहुते खुस होके दुंदुभी बजावे लागल लोग अउरी साथे-साथे फूल के बरखो करे लागल लोग. अउरी ओहि दिन पूरा अजोध्या भी खुशी में समा गइल रहे.

एतने नाहीं गोस्वामी तुलसीदासजी महराज भी रामायन के रचना करे खातिर एही शुभ दिन के चुनने. एह दिन के महत्ता के बरनन करत-करत रिसी-मुनि, देव-किन्नर भी अघाला नाहीं. एह पबित्तर दिन के महत्ता त एहु से बा की इ चइत नवराति की नउआँ दिने पड़ेला अउरी नवराति में एहिंगा चारु ओर मंगलमय अउरी शक्तिमय बाताबरन रहेला. हर तरफ मंगल गूँजेला अउरी धूप-दीप-अगरबत्ती के खुशबू से एगो स्वर्गिक आनन्द के अनुभूति होला.

जे केहु भी भक्ति-भाव से निष्काम हो के एह ब्रत के करेला ओकर जीवन सदा-सदा सुख-शांति अउरी मंगल से भरल रहेला अउरी उ भगवान का परमधाम के अधिकारी बनेला. अगर कवनो कामना से ई ब्रत करे के होखे त नवमी का दिने भिनसहरे उठि के भक्ति-भाव से रहि के स्नान आदि क के भगवान राम के पूजा-आराधना करे के चाहीं. पूजाघर में, चाहे राम-मंदिर में, चाहे एकांत में, बइठि के अपनी कामनापूर्ति खातिर श्रद्धा अउरी बिश्वास का साथे नीचे दिहल मंत्र के जाप करे के चाहीं -

"मम भगव्तप्रीति कामनया (आपन कामना कहीं जइसे पुत्र-प्राप्ति) रामनवमीम् व्रतमहं करिष्ये."

एह मंत्र के उच्चारण करत समय मन में कवनो प्रकार के बिकार ना होखे के चाहीं. पर हमरी देखले में त निष्काम भाव से ही इहे नाहीं, कवनो बरत-तिउहार करे के चाहीं. काँहे की भगवान त अंतरजामी हउअन, घट-घट के बासी हउअन. उनकरा त सब पता बा, अउरी बिना मंगले ऊ अपना भक्तन के सबकुछ दे देने. पर हाँ ऊ भगती श्रद्धा अउरी विश्वास का साथे-साथ नेको होखे के चाहीं.

नवराति के ब्रत करेवाला गिरहस्त लोग अष्टमी ले ब्रत रहेला अउरी नवमी के पारन करेला. (साधुलोग नवमी ले व्रत रहेला अउरी दशमी के पारन करेला). भोजपुरिया समाज के लोग त श्रीरामनवमी का दिने बहुते खुश नजर आवेला अउरी कहत फिरेला -

खिचड़ी के खिंचखाँच, फगुआ के बर्री,
नवमी के नौ रोटी, तब्बे पेट भरी.

कहले के मतलब ई बा की भोजपुरिया समाज ई मानि के चले ला की कबो ना भरेवाला पेट भी श्रीरामनवमी के भरि जाला, मतलब सुख-समरिधी आ जाला. खिचड़ी का दिने लोग धोंधा-लाई, खिचड़ी आदि खूब खाला अउरी फगुआ के भी बर्री बड़ी माने खूब कई परकार के पकवान के आनंद उठावेला. अउरी एकरी बाद नवमी का दिने त खूब पूरी-सोहारी खा ला. एतना खइले की बाद कवन परानी के खइले के इच्छा रही.

श्रीरामनवमी का दिने राम की चरन-चिन्हन पर चले खातिर संकलप भी लेबे के चाहीं. जइसे बड़हन के इज्जत की संगे-संगे आज्ञापालन अउरी छोटन के प्यार, जाति-पाति के बिचार तेयागि के सबसे परेम, सब परानिन से परेम, भाई-परेम, सदा सत्य के अपनावल की संगे-संगे अपना के हर तरह का बिकारन से मुक्त क के सुसंस्कारित अउरी एगो सच्चा मानव की रूप में स्थापित कइल. अगर रउआँ सच्चा दिल से एतना करतानि त आपे भगवान राम के सच्चा भगत बानी अउरी उनकरी धाम के अधिकारी भी.

आईं सभे श्रीरामनवमी की दिने एक साथ उदघोष का संगे भगवान राम के स्तुति कइल जाव -

जय राम सदा सुख धाम हरे। रघुनायक सायक चाप धरे।।
भव बारन दारन सिंह प्रभो। गुन सागर नागर नाथ बिभो॥1॥

तन काम अनेक अनूप छबी। गुन गावत सिद्ध मुनींद्र कबी।।
जसु पावन रावन नाग महा। खगनाथ जथा करि कोप गहा॥2॥

जन रंजन भंजन सोक भयं। गत क्रोध सदा प्रभु बोधमयं।।
अवतार उदार अपार गुनं। महि भार बिभंजन ग्यानघनं।।3।।

अज ब्यापकमेकमनादि सदा। करुनाकर राम नमामि मुदा।।
रघुबंस बिभूषन दूषन हा। कृत भूप बिभीषन दीन रहा।।4।।

गुन ध्यान निधान अमान अजं। नित राम नमामि बिभुं बिरजं।।
भुजदंड प्रचंड प्रताप बलं। खल बृंद निकंद महा कुसलं।।5।।

बिनु कारन दीन दयाल हितं। छबि धाम नमामि रमा सहितं।।
भव तारन कारन काज परं। मन संभव दारुन दोष हरं।।6।।

सर चाप मनोहर त्रोन धरं। जलजारुन लोचन भूपबरं।।
सुख मंदिर सुंदर श्रीरमनं। मद मार मुधा ममता समनं।।7।।

अनवद्य अखंड न गोचर गो। सब रूप सदा सब होइ न गो।।
इति बेद बदंति न दंतकथा। रबि आतप भिन्नमभिन्न जथा।।8।।

कृतकृत्य बिभो सब बानर ए। निरखंति तनानन सादर ए।।
धिग जीवन देव सरीर हरे। तव भक्ति बिना भव भूलि परे।।9।।

अब दीनदयाल दया करिऐ। मति मोरि बिभेदकरी हरिऐ।।
जेहि ते बिपरीत क्रिया करिऐ। दुख सो सुख मानि सुखी चरिऐ।।10।।

खल खंडन मंडन रम्य छमा। पद पंकज सेवित संभु उमा।।
नृप नायक दे बरदानमिदं। चरनांबुज प्रेमु सदा सुभदं।।11।।


रिसर्च एसोसिएट, सीएसई,
आईआईटी, मुम्बई