गदह पचीसी
(प्रकाशक का ओर से)
हमरा का मालूम रहे कि "मैं अकेला ही चलूंगा, कारवाँ बन जायेगा".
एगो जमाना रहे जब विनय रेखा जी आ शशिभूषण राय जी का अलावा केहू दोसर ना रहे जे नेट पर भोजपुरी के बात करत होखो. ओह लोग के साइट रोमन लिपि में रहे. हम पहिला हाली देवनागरी लिपि में भोजपुरी पत्रिका अँजोरिया शुरु कइनीं. डा.राजेन्द्र भारती जी का सहयोग से कुछ रचना भेंटा जाव आ हम अपना साईट पर डाल दीं. फान्ट के बड़का प्राब्लम रहुवे. सबका लगे अलगा अलगा फान्ट कहीं ष ना लउके त कहीं श. कतना फान्ट अजमवनी. डायनामिक फान्टो के ट्राइ मरनी बाकिर हमरा से हो ना सकल. संजोग से तबले हमरा युनिकोड के बारे में जानकारी मिलल आ हम युनिकोड के अपना लिहनी. भोजपुरी में कवनो साइट पहिलका हाली अँजोरिया निकलल. बाकिर अकेला आदमी, पेशा से डाक्टर, पूंजी के कमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर के कमी ढेर कुछ करे ना देब. लिखनिहार लोग लिख के दे देव, हम निकालियों दीं अँजोरिया में बाकिर इन्टरनेट पर आके पढ़े देखे वाला केहू लउके ना.
एही बीच में जमशेदपुर से सुधीर आ शशि के जोड़ी भोजपुरिया डॉटकॉम का रुप में धमाका कइलस. हम देखनी त बड़ाई करे से अपना के रोक ना पवनी. पहिला हाली भोजपुरी के कवनो मजगर साईट नेट पर आइल रहे. बाद में अमेरिका से शैलेश मिश्रा जी, मुम्बई से सतीशो यादव जी भोजपुरी के साइट निकालल लोग. भोजपुरी एसोसिएशन आफ नार्थ अमेरिका के साइट रोमन में बा. सतीश जी के साइट पीएनजी के भरपूर इस्तेमाल करेला. बाकिर युनिकोड में अँजोरिया का बाद भोजपुरिया डॉटकॉमे आइल.
सुधीर आ शशि के जोड़ी के केहू के नजर लाग गइल आ जोड़ी बिखर गइल. भोजपुरी के कई गो साईट सुधीर भाई बुक करा के धइले बाड़े. एही बीच शशि जी इन्टरनेट पर आपन लिट्टीचोखा ले के अइलन. सुधीर जी लिट्टी चोखा में हाइफन लेखा घुस गइलन आ लिट्टी-चोखा खियावे लगलन. हमरा ई नीक नइखे लागत. अँगुरी पर गिने लायक आदमी बाड़े भोजपुरी नेट पर - शशिभूषण राय, बिनय रेखा, ओमप्रकाश, शैलेश, सुधीर, सतीश, शशि सिंह, आ अब सबसे मशहूर मनोज सिंह भावुक. जरुरत तऽ बा कि सबकेहू मिलजुल के भोजपुरी आन्दोलन के आगा बढ़ावो बाकिर तले ई गदह पचीसी शुरु हो गइल. गठरिया तोर कि मोर वाला अन्दाज में.
खैर अपना पुरान सुभाव का अनुसार अँजोरिया केहू के नीक केहू के बाउर ना कही. हम त इहे चाहब कि सबकेहू एक दोसरा के वेबसाइट के लिंक देव, एके फान्ट अपनावे. प्रकाशन सामग्री सबकेहू अपना अपना पसन्द से प्रकाशित करे. केहू केहू के काटे के कोशिश मत करे. नेट के दुनिया बहुते बड़हन बा. एहिजा सबका खातिर भरपूर जगहा बा. टँगरी पसार के सूतऽ भा मोड़ के, तहार मर्जी. कवनो नाम पर केहु के बपौती नइखे, बाकिर अपना संस्कार आ संस्कृति के भुलवला के जरुरत नइखे. गोड़ऊ नाच देखवला के काम नइखे.
एक बार फेर हम बता देबे चाहत बानीं कि अँजोरिया विनम्र भाव से जतना भोजपुरी साइट मिली सभकर लिंक देत रही. जे भी नया साइट शुरु करे ओकरा से निहोरा बा कि हमरा के जरूर सूचित कर देव जेहसे हम ओह साइट के लिंक दे दीं. नेट पर आवे वाला जवना साइट के चाहे देखे. एके गली में पचासन क्लिनिक रहेला, जेकरा जवन डाक्टर नीक बुझाला ओकरा से देखावेला.
(अंजोरिया डॉटकॉम के शुरुआत साल 2003 में 19 जुलाई का दिने भइल रहल. शुरुआती कालखण्ड में ई पोस्ट अंजोर भइल रहल. )
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