शनिवार, 16 नवंबर 2024

भोजपुरी - एगो परिचय

आलेख

भोजपुरी - एगो परिचय


डॉ. राजेन्द्र भारती



‘‘भाषा भोजपुरी परिभाषा से पूरी ह 

बोले से पहिले एके जानल जरुरी ह

ना गवना पूरी ना सुहागन के चूड़ी ह

साँचि मानऽ त दुश्मन के गरदन पर

चले वाली छूरी ह

कहत घुरान बुरा मति माने केहू

सभ भाषा के उपर हमार भाषा भोजपुरी ह’’


भारत के एगो प्रान्त उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के बसन्तपुर गांव के कवि, लोकगीत गायक, ब्यास बीरेन्द्र सिंह घुरान के कहल इ कविता आजु केतना सार्थक बा एहकर अहसास तबे हो सकेला जब भोजपुरिहा भाई लोगन के आपन मातृभाषा भोजपुरी से नेह जागी. 


भोजपुरिहा सरल सुभाव के होखेलन, एह बाति के नाजायज फायदा सरकार हमेशा से उठावत आइल बिया.  आ हमनी के माडर्न बने का फेर में आपन मूल संस्कृति के भुलावल जात बानी.  हमनी से एक चौथाई भाषा संविधान का आठवीं सूची में दर्ज हो गइली स आ हमनी का टुकुर-टुकुर ताकते रह गईलीं जा.


आजु का तारीख में भोजपुरी करीब आठ करोड़ भोजपुरिहन के भाषा बा.  भोजपुरिहा लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, आ छतीसगढ़ के एगो बड़हन क्षेत्र में फइलल बाड़न.  एकरा अलावे भारत का हर नगर महानगर में भोजपुरिहन के नीमन तायदाद बा.  ई लोग हर जगह भोजपुरी के संस्था कायम कके भोजपुरी के अलख जगवले बाड़न.  विदेशनो में भोजपुरिहा भाई पीछे नइखन.  मारीशस के आजादी के लड़ाई में भोजपुरी में आजादी के गीत गावल जात रहे. सूरीनाम, गुयाना, आ  त्रिनिडाडो में भोजपुरी के बड़ा आदर बा.  भोजपुरी बोलेवालन के संख्या आ सीमा विस्तार के देखल जाव त भोजपुरी एगो अर्न्तराष्ट्रीय भाषा लेखा लउके लागी.


भोजपुरी भाषा के कुछ अद्भुत विशेषता बा.  सही मायने में देखल जाव त ई व्यवसाय आ व्यवहार के भाषा ह.  एक मायने में भोजपुरी व्याकरण से जकड़ल नइखे बाकिर साहित्य सिरजन में धेयान जरुर दिहल जाला.  एह भाषा के ध्वनि रागात्मक ह. भोजपुरी भाषा में संस्कृत शब्दन के समावेश बा एकरा अलावे भारत के कईगो भाषा के शब्द आ विदेशी भाषा जइसे अंग्रेजी, फारसी आदिओ के शब्द  समाहित बा.


भोजपुरी भाषा में साहित्य के सब विद्या बिराजमान बा.  भोजपुरी लोकगाथा, लोकगीत, लोकोक्ति, मुहावरा, कहावत, पहेली से भरपूर बा.  वर्तमान में भोजपुरी साहित्य समृध हो गइल बा.  भोजपुरी के केतने विद्या आ विषयन पर शोध भइल बा आउर हो रहल बा.  केतने विदेशी लोग भोजपुरी के केतने विषय पर शोध करले बाड़न आ करि रहल बाड़न.  भोजपुरी के कइगो उत्कृष्ट पत्रिका पत्र प्रकाशित हो रहल बा.  केतने शोध ग्रन्थ, उपन्यास, कहानी संग्रह, कविता संग्रह, गीत, गजल संग्रह इहंवा तकले कि कइयों विद्यो के भोजपुरी में लेखन कार्य चलि रहल बा.


भोजपुरी भाषा के उत्थान खातिर देश में कइगों भोजपुरी के संस्था कार्यरत बा.  बिहार के विश्वविद्यालय में एम0ए0 तक  भोजपुरी में पढ़ाई चलि रहल बा.  रेडियों, टी0वी0 ओ भोजपुरी के अहमियत देता. भोजपुरिहा सरल स्वभाव के होलन, इनकर कहनी आ करनी में फरक ना होला.  ई आपन स्वार्थ के परवाह ना करसु.  बेझिझक मूंह पर जवाब देवे में माहिर होलन. 


भोजपुरी भाषी के देवी-देवता में शिव, राम, हनुमान, कृष्ण, दुर्गा, काली, शीतलामाई के विशेष रूप से पूजल जाला.  समूचा बिहार के लोग जहंवे बाड़न आ एकरे अलावे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सा में छठ पूजा व्रत के प्रचलन बा.


भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भोजपुरी भाषी तन-मन-धन से लागल रहे लोग.  अंग्रेज विद्वान ग्रियर्सन भोजपुरिहा लोगन के उल्लेख ऐह तरे कइले बाड़न ‘‘ई हिन्दुस्तान के लड़ाकू जाति में से एक ह लोग.  ई सतर्क आ सक्रिय जाति ह.  भोजपुरिहा युद्ध खातिर युद्ध के प्यार करेलन.  ई समूचा भारत में फइलल बाड़न.  एह जाति के प्रत्येक व्यक्ति कवनो स्वतः आइल सुअवसर से आपन भाग्य बनावे खातिर तइयार रहेले.  पूर्वकाल में ई लोग हिन्दुस्तानी सेना में भरती होके मजबूती प्रदान कइले रहन.  साथहीं 1857 के क्रान्ति में महत्वपूर्ण भागीदारी कइले रहन.  लाठी से प्रेम करेवाला, मजबूत हड्डीवाला, लम्बा-तगड़ा भोजपुरिया के हाथ में लाठी लेके घर से दूर खेत में जात देखल जा सकऽता’’.


भोजपुरिया आपन जनम भूमि के प्रति बड़ा श्रद्धा राखेलें,  देश-विदेश कहीं होखस आपन सभ्यता ना भूलास.  कहीं रहस फगुआ चईता जरूर गइहें, अल्हाउदल के गीत जरूर होई.  सोरठी बिरजाभानू गावल जाई.  जनेउ, मुण्डन, तिलक, बिआह, छठिआर, ब्रत, तेवहार आ कवनो संस्कार के समय भोजपुरी के गीत गूंज उठेला.  भोजपुरिया लोग के तिलक, बिआह, व्रत-त्योहार भा कवनो संस्कार के एगो अलग पहचान बा.


मारिशस, गुयाना, सुरीनाम, त्रिनिडाड में भोजपुरी बोले वाला पुजाला.  आपन भोजपुरिया संस्कृति के बचाई, भोजपुरी बोली, भोजपुरी पढ़ी , भोजपुरी लिखी, भोजपुरी गाईं, भोजपुरी के अलख जगाई.


जय भोजपुरी, जय भोजपुरिहा. 


(डॉ राजेन्द्र भारती जी अंजोरिया डॉटकॉम के संस्थापक सम्पादक रहीं आ उहें के सहजोग से जुटल सामग्री से एकर शुरुआत भइल रहल. डॉ राजेन्द्र भारती जी बलिया शहर के कदम चौराहा पर होम्योपैथी के डॉक्टर रहीं. )


कोई टिप्पणी नहीं: