शनिवार, 16 नवंबर 2024

लड़िकपन के गीत

 

लड़िकपन के गीत

ओतने बतिया तूहूँ जानऽ, जतना हमहूँ जानीं.

हमरा पासो पर आफत बा, तहरा बड़हू चानी.
का भईया, तहरा चाहीं, आ हमरा ना चाहीं?

संगही पढ़नी, संगही खेलनी, संगही कइनी छल छन्दर.
हम चोन्हर साठो ना पवनी, तू लिहलऽ पचहत्तर.
का हो भईया, तहरा चाहीं आ हमरा ना चाहीं?


एक मुट्ठी सरिसो, भदर भदर बरिसो.
ना,
एक मुट्ठी लाई महाबीर पर छिटाई बरखा ओनिये बिलाई.


भोला गइलन टोला पर,

खेत गइल बटऽईया,

भोला बो के लड़िका भइल,

ले गइल सिपहिया!

भोला लोला लऽ!


थापुर थुपुर तेलिया,

घीव में चमोरिया,

हम खाईंकि भउजी खाये?

भउजी पतरंगिया,

धई कान ममोरिया.


घुघुआ मन्ना,
उपजे धन्ना,
नया भिति उठेला,
पुरान भिति ढहेला.
सम्हरिये बुढ़िया रे,
तोर सब खेत चरलसि
बाबू के भईंसिया.

लईकाईं में बड़ बूढ़ के गोड़ पर झुलुआ झूलत ई गीत कई हालि सुनले बानीं. रउरो में से अधिका लोग सुनलहीं होखी.


चन्दा मामा,

आरे आवऽ, पारे आव, नदिया किनारे आवऽ,

सोने के कटोरवा में दूध भात लेले आवऽ,

बबुआ के मुहँवा मे घुटुक.

आवऽ हो उतरि आव हमरी मुँडेर,

कबसे बोलाइले, भइल बड़ी देर.

भइल बड़ी देर हो, बाबू के लागल भूख.

आरे आवऽ, पारे आव, नदिया किनारे आवऽ,

सोने के कटोरवा में दूध भअत लेले आवऽ,

बबुआ के मुहँवा मे घुटुक.


रामजी रामजी घाम करऽ,

सुगवा सलाम करे,

तहरा लड़िकवन के जड़वत बाटे.


नानी किहाँ जायेम,

पुअवा पकायेम,

नानी कही बतिया रे,

आइल हमार नतिया रे !


ओका, बोका, तीन तलोका,

लउआ लाठी, चनन काठी,

चनना के राजा,

इजई, विजई, पनवा पुचुक !

छोट छोट लड़िका लड़िकी गोल में बईठ के ई खेल खेलत रहुवे. सब केहू आपन अँजुरी नीचे जमीन पर रखले रही आ एगो खिलाड़ी एक एक अँजुरी छुअत ई गीत पढ़ी. जवना अँजुरी पर आखिरी शब्द पुचुक पड़त रहुवे ऊ चोर बनी आ बाकी लोग ओकरा के तंग करे वाला सिपाही.

रउरो एही तरह खेलत रहीं कि कवनो दोसरा तरह ?


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