मारीशस - एगो परिचय
हिन्द महासागर में मडागास्कर से ८०० किलोमीटर पूरब में बड़ुवे. मारीशस के राजधानी पोर्ट लूईस हऽ. बिऊ बेसिन रोज हिल, वकोआ फिनिक्स, क्योरपाइप, आ क्वात्रे बोर्न्स दोसर महत्वपूर्ण शहर हउवन सऽ. मारीशस ज्वालामुखी का राख पर बसल टापू हऽ जहवाँ दिसम्बर से अप्रेल ले चक्रवात उठत रहेला.
मारीशस के बहुमत इण्डो मारिशियन के बा जे सैकड़े ६८ बाड़न. एहमें से एक चौथाई आबादी मुसलमान लोग के बा. क्रिओल ओहिजा के मूल निवासी हऽ लोग. थोड़ बहुत संख्या में चीन आ फ्रांस के लोग भी बाटे. बाकिर जनसंख्या का हिसाब से बहुत अधिका प्रचलन फ्रेंच भाषा के बा. सम्पत्ति पर भी फ्रेंच हावीबाड़न. क्रेओल में भी फ्रेंच भाषा के ढेरे शब्द बाड़न सऽ आ कुछ लोग क्रेओल के फ्रेंच भोजपुरियो कहि देला.
हिन्दुस्तान से गईल लोगन में भोजपुरी बोले वाला मजदूर सबले अधिका रहुवन. ऊ लोग एग्रीमेण्ट पर गईल रहुवे जे बोलचाल का भाषा में बिगड़ के गिरमिटिहा मजदूर कहाये लागल लोग. ई लोग आजु ले आपन भाषा आ संस्कृति के जिअवले रखले बा बाकिर हालात देख के नइखे लागत कि भोजपुरी भाषा आ संस्कृति ढेर दिन ले जिअत रहि पाई. काहे कि नवका लोग का क्रेओल आ फ्रेंच अधिका पसन्द बा. भोजपुरी भाषा से रोजगार भा विदेशन में कवनो खास फायदा ना मिल पावे.
डच लोग सबसे पहिले मारीशस पर कब्जा जमावल आ डच प्रिन्स आफ नसाऊ मॉरिश का नाम पर मारीशस पड़ल. बाद में १७५७ ई टापू फ्रेन्च ईस्ट इण्डिया कम्पनी का कब्जा में आ गईल. १७६७ में फ्रांस सरकार मारीशस के नियन्त्रण ले लिहलसि. मारीशस १२ मार्च १९६८ के आजाद भईल आ १९९२ में जाके गणतन्त्र बनल. संविधान त १२हे मार्च १९६८ के लागू हो गईल रहुवे.
मारीशस के मुख्य राजनीतिक दल एमएमएम, एमएसएम हई सऽ. एकरा अलावा छोटहन पार्टियन के एगो बड़हन मोर्चा भी बनल बाटे.
१९४७ से लेके १९८२ तकले मारीशस में लेबर पार्टीके सरकार रहुवे. जे फेरु १९९५ में सत्ता में वापिस आ गईल. बीच में एमएमएम आ मारीशियन सोशलिस्ट पार्टी के मिलल जुलल सरकार १९८२ में बनल. कुछ लोग बाद में दल बदल लिहल एमएसएम बनावल आ बहुमत पाके सरकार बनावल. बाद में १९९५ में एमएलपी एमएमएम का संगे मिल के चुनाव लड़ल आ सरकार बनावल. २००५ का चुनाव में लेबर पार्टी फेर जीत गईल आ सरकार बनवलसि.
आजादी का बाद १९६८ से लेके १९८२ तकले सर शिवसागर रामगुलाम देश के प्रधानमंत्री रहलन. आजुकाल्हु उनुकरे बेटा नवीनचन्द्र रामगुलाम देश के प्रधानमंत्री बाड़न.
आजुकाल्हु
(as on 4 Aug 2007)
मारीशस के एगो मुख्य पार्टी एमएमएम से पार्टी में ताकतवर रहल आ दू नम्बर पर रहल अब्दुला हसन के पार्टी से निकाल दिहल गईल. उनुका हटला का बाद पार्टी के कमजोर पड़े के बात कहल जा रहल बा.
मारीशस के दोसर मुख्य पार्टी एमएसएम के मुखिया प्रविन्द जगननाथ आपन राजनीतिक ताकत बढ़वले जाति बा. प्रविन्द तऽ अगिला चुनाव में सरकारो बनावे के बाति करत बाड़न. एह खातिर ऊ यूनियन नेशनल पार्टी के असोक जगननाथ के अपना पार्टीमे ले आवे का कोशिश मे लागल बाड़न. हो सकेला कि जल्दिये एगो नया गठबन्धन बनो.
----------------आखिरकार मिलिये गइल भोजपुरी के सरकारी मान्यता
मारीशस टाइम्स से साभार
परमान्द सूबराह
कवनो बन्द कोठरी के उमसल दमघोंटू माहौल में केहू अचके कवनो खिड़की खोल देव त ताजा हवा के झोंका से जवन आनन्द मिलेला कुछ वइसने भइल जब मारीशस सरकार भोजपुरी के सरकारी मान्यता देबे के एलान कर दिहलसि. हर भोजपुरिया का तरफ से, आ ओह लोगन का तरफ से जेकर बाप दादा भोजपुरिया रहलन, आ ओह लोग का तरफ से जिनका मन में भोजपुरी के जियतार बनावे राखे के छोह बा, आ वृन्दावन लिंग्विस्टिक आ कल्चरल जेनोसाइड वाच ग्रुप का तरफ से हमनी का सरकार के आभारी बानी जा कि आखिरकार ऊ भोजपुरी भाषा के अस्तित्व त सकार लिहलसि. खास कर के हमनी का माननीय शिक्षामंत्री वसंत बनवारी के आभारी बानी जा जे एह प्रस्ताव के कैबिनेट से पास करववलन.
हमनी का इयाद बा कि एह देश, मारीशस, में आप्रवासियन के सबसे बड़ समूह के मातृभाषा भोजपुरी रहे, ऊ लोग चाहे यूपी से अइलन भा बिहार से, उनकर मजहब जवने होखो, एह एतिहासिक सच्चाई के झूठिलावे के भरपूर कोशिश कइल गइल. पिछला हफ्ता सरकार जवन चार भाषा के इज्जत दिहलसि ओह में से दूइये गो, फ्रेंच आ भोजपुरी, मारीशस में आवे वाला आप्रवासियन के मातृभाषा रहुवे. फ्रेंच बहुल क्रेओल भाषा के जनम अफ्रीका से आवे वाला अलग अलग भाषा बोलेवाला समूह अपना में बतियावे खातिर आ अपना मालिकन से बतियावे खातिर दिहलसि. आ जब हमनी के पुरनिया भारत से अइलें त बहुते क्रेओल भाषी समुदाय ओह लोग का साथ जीये रहे के तइयार रहलन. बाकिर चन्द लोग के, जे पढ़ल लिखल कहात रहे आ प्रभावशाली रहुवे उँख उपजावे वाला इस्टेटन में सुपरवाइजर रहे आ हमनी के पुरखन के भाषा के मजाक उड़ावल ज्यादा नीक लागे. एह सिलसिला में भाषा के एगो ऊंच नीच पैमाना बन गइल जवना में हमनी के भाषा सबले नीचे राख दिहल गइल. हमनी के बहुते पुरनिया एही चलते अपना भाषा के आ कुछ मामिला में अपना धरमो के छोड़े खातिर मजबूर हो गइलन. जवना तरह से हमनी के जिये के, रहे सहे के, बोले बतियावे के तौर तरीका के मजाक बना दिहल गइल आ औकर जवन दुष्प्रभाव भइल ओकरे के संयुक्त राष्ट्र समूह में भाषायी आ सांसंकृतिक जनसंहार कहल जाला. मानवाधिकार आयोग मारीशस में क्रेओल भाषा के हालत पर त लोर बहावेले बाकिर एह बात से एकदमे बेजानकार बनके कि उहे भाषा का चलते हमनी के मातृभाषा भोजपुरी आ संस्कृति के विनाश के जिम्मेदार बा.
भोजपुरी भाषा के बारे में कइल गइल घोषणा का साथे फ्रेंच, क्रेओल आ अरबिओ भाषा खातिर स्पीकिंग यूनियन बनावे के घोषणा कइल गइल बा. एहमें से अरबी भाषा कवनो समूह के मातृभाषा ना हऽ बलुक मुसलमानन के मजहबी भाषा हऽ. हम मुस्लिम समुदाय के एह बात खातिर बधाई देत बानी कि ऊ लोग अपना मजहबी भाषा के सरकारि मान्यता दिलवा देबे में सफल रहल जबकि हिन्दू लोग अपना धार्मिक भाषा संस्कृत खातिर कुछ ना कइल. प्रशासन के हमेशा ई कोशिश रहल बा कि हिन्दू लोगन के जतना हो सके ओतना टुकड़ा टुकड़ा कर दिहल जाव एह समुदाय के आ हमनी का एह चाल में फँसत गइनी सन.
के बचाई भोजपुरी के?
क्रेओल लोग अपना भाषा खातिर पुरजोर तरीका से काम कर रहल बाड़े. ऊ चाहत बाड़े कि क्रेओल के स्कूल में भाषा का तरह त पढ़ावले जाव, पढ़ाई के माध्यमो उहे रहे आ नेशनलो असेम्बली में ओकर इस्तेमाल होखो. ई बात प्रशंसाजोग बा आ हमनी के बधाई देत बानी ओह लोग के. आखिरकार जे अपना भाषा के इज्जत ना कर सकी ऊ अपना संस्कृति के का इज्जत दे पाई. आ अपना जड़ से कहियो ना जुड़ पाई.
ई देख के खुशी हो रहल बा कि दिन पर दिन अधिका से अधिका क्रेओल लोग अपना भाषा आ संस्कृति खातिर आगा आ रहल बा. जरुरत बा कि ठीक ओहि तरह भोजपुरिया समुदाय सरकार का लगे पिटीशन देव कि भोजपुरिओ के पढ़ाई के माध्यम बनावल जाव आ लड़िकन के स्कूल में शुरुआती कुछ साल एकरा के पढ़ावल जाव. साथ ही भोजपुरीओ के नेशनल असेम्बली में बोले जाये वाली भाषा के मान्यता मिलो.
हमनी का भुलाये क ना चाहीं कि एक जमाना में सत्तर फीसदी मारीसियन भोजपुरी बोलत आ समुझत रहलें. बाद में भोजपुरी का खिलाफ योजनाबद्ध तरीका से षडयन्त्र रचल गइल, कुछ खुला त कुछ गुपचुप. कहल जा सकल जाला कि ऊ षडयन्त्र बहुत हद तक सफल हो गइल बा. जबकि भोजपुरी दुनिया के आठ से दह करोड़ लोगन के भाषा हवे आ जवना के विश्वविद्यालयन में डाक्टरेट स्तर तक पढ़ावल जा रहल बा.
अब मंत्री महोदय से पुछल जाव कि भोजपुरी के भाषायी पढ़ाई आ पढ़ाई के माध्यम बनावे में उनकर का राय बा? ऊ एकरा पक्ष मे बाड़े कि खिलाफ में? एहिजा हम बता दिहल चाहत बानी कि हम खाँटी भोजपुरिया माहौल में बड़ भइनी आ हमरा दोसरा कवनो भाषा में, चाहे ऊ क्रेओल होखो, भा फ्रेंच, भा अंगरेजी, बोले बतियावे में दिक्कत होत रहुवे. हमार एगो चीनी दोस्त रहुवे आ उहो मजगर भोजपुरी बोल लेत रहुवे. कहल जरुरी नइखे कि हमार मुसलमानो संहतियन के भाषा भोजपुरिये रहुवे. आ हमनी में से केहू अपना जिनिगी में खराब ना निकलल.
कवनो भाषा संस्कृति के पसार के माध्यम होले, आ हम त ई कहल चाहेम कि अकेला माध्यम होले. से जदि कवनो संस्कृति के नाश करे के होखे त पहिले ओकरा भाषा के खतम कर दऽ. फेर ओकर संस्कृति एक पीढ़ी से दोसरा पीढ़ि ले ना जा पाई आ जल्दिये ऊ कतम हो जाई. हमनी के भोजपुरी भाषा आ संस्कृति का साथे इहे हो रहल बा. अब अधिकारी का एह भाषा आ संस्कृति के बचावल चाहत बाड़े कि एकरा के धीरे धीरे दर्दहीन तरीका से मर जाये दिहल चाहत बाड़े? अतना धीरे धीरे कि केहू के पतो ना लागो?
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भोजपुरी आज का परिप्रेक्ष्य में
मारीशस टाइम्स से साभार
परमान्द सूबराह
पिछला १७ अप्रेल का दिने मारीशस के सुब्रमनिया भारती सभा भवन में भइल एकदिना सेमिनार के विषय रहे भोजपुरी आज का परिप्रेक्ष्य में. आ हमनी का ई देख के बहुत खुश भइनी जा कि मारीशस के नयका पीढ़ी के एगो छोट समूह हमनी के आप्रवासी पुरनियन का भाषा का प्रति कतना उत्साह आ छोह से भरल बा. ऊ लोग सूचना प्रौद्योगिकी के आपन जानकारी सहित सारा उद्यम एह दिसाईं लगा रहल बाड़े.
हमनी का ओह लोग के आभारी बानी जा जे भोजपुरी भाषा के खातमा खातिर १९८२ का बाद बनल सरकारन के दबाव अनदेखा करत हतोत्साहित नइखन भइल आ अपना काम में लागल बाड़न. बाकिर ओह खराबो दिनन में कुछ लोग भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के पसार आ सम्हार में लागल रहल. बहुते वक्ता एह खातिर श्रीमती सुचिता रामदीन आ श्रीमती सरिता बुद्धू के कइल काम के जिक्र कइलन. सरिता जी त सभाभवन में मौजूदो रहली.
सेमिनार के अलग अलग सत्र के शीर्षक रहे मारीशस में भोजपुरी के विकास, मीडिया में भोजपुरी, भोजपुरी आ संस्कृति, भोजपुरी के पढ़ाई. जवन पहिलका पेपर पेश भइल तवना के शीर्षक रहे बहुभाषी मारीशस का संदर्भ में भोजपुरी के जिआवल समस्या आ संभावना. पेपर पेश कइलन प्रोफेसर विनेश हुकुमसिंह जे क्रेओल भाषा खातिर आन्दोलन चलावे खातिर जानल जालें. ऊ जे भी कहलें तवना से भोजपुरी के भविष्य खातिर आश्वस्त करे वाला ना रहे. उनका पेपर के प्रस्तुतिकरण अतना तेजी से कइलन कि ओह पर ज्यादा कुछ ना कहल जा सके, बाकिर एक बात जे ऊ साफ कहलन ऊ ई रहे कि ई बढ़िया बात बा कि महात्मा गाँधी संस्थान भोजपुरी के शोध कार्य अपना जिम्मे लिहले बा. अन्दाज कुछ अइसन रहे कि ई शोध वइसने बा जइसन कुछ लोग बेंग आ घोंघा जइसन जीवन पर करेला. काश जवना तरह से ऊ क्रेओल के बढ़ावा खातिर आन्दोलन कइलन तवने तरह भोजपुरीओ के बढ़न्ती खातिर करे के बात कहतन. मारीशस विश्विद्यालय जइसन काम क्रेओल खातिर कइलस कुछ वइसने काम एमजीआई के भोजपुरी खातिर करे के चाही.
प्रोफेसर हुकुम सिंह का तुरते बाद भोजपुरी के गरजत पक्ष लिहलन शोभानन्द सीपरसाद शिवप्रसाद. सीपरसाद बहुते गुणन के धनी हउवन बाकिर हमनी खातिर ऊ वइसन आदमी हउवन जिनकर भोजपुरी भाषा पर मजबूत पकड़ बा. अलग बाति बा कि ऊ अंगरेजी आ दोसरो भाषा पे ओतने पकड़ राखेलें आ अग्रेजी साप्ताहिक न्यूज आन संडे के सम्पादको हउवन. सीपरसाद नाटक का कहानीओ लिखे में तेज हउवन. बाकिर साथही साथ ऊ वास्तविकतावादी हउवन आ नयका पीढ़ी में भोजपुरी का तरफ बहुते कम रुझान होखे के बात सकरलन.
कुछ वक्ता लोग कहल कि हमनी का भोजपुरी में क्रेओल भाषा के बहुते शब्द समाहित कर लिहल गइल बा. कुछ लोग का हिसाब से ई बात खतरनाक बा. बाकिर ओह सत्र के अध्यक्षता करत एमजीआई के भाषा विभाग के प्रमुख डा॰पी तिरोमालचेट्टी एह बात के स्वाभाविक विकास प्रक्रिया मनलन आ कहलन कि जवन शब्द सामहित भइल बाड़ी स ओकनी के भोजपुरिया दिहल गइल बा. कुछ लोग उनका एह बात के विरोधी हो सकेले बाकिर हम ओह लोगन के धेयान अंगरेजी पर दिआवल चाहम जे अपना एही खासियत का चलते आजु विश्वभाषा बनल बिया जबकि अपना शुद्धता खातिर परेशान फ्रेंच पिछड़ गइल. हँ क्रेओल शब्दन के बेसी इस्तेमाल से आम भोजपुरी भाषी के दिक्कत होखी आ वेनबसाइटन पर काम करे वाला लोग के एह दिसाईं सावधान रहला के जरुरत बा.
सेमिनार के सितारा साबित भइलन हिन्दी अध्य्यन संभाग के प्रवक्ता कुमारदूथ विनय गूडारी जे कि इंटरनेट पर भोजपुरी के पसार में अपना काम के जिक्र कइलन. कहलन कि हर आदमी के भोजपुरी एक्सप्रेस डॉटकॉम पर जाये के चाहीं जेहसे कि ऊ दुनिया भर में फइलन भोजपुरियन का संपर्क में आ सको. बतलवलन कि ओह साइट पर भोजपुरिया डॉटकॉम आ अंजोरिया डॉटकॉम जइसन भोजपुरी साइटन के लिंको दिहल गइल बा. भोजपुरी एक्सप्रेस पर ढेर सारा भोजपुरी गीत गवनई आ भोजपुरी रेडियो भी मौजूद बा.
सवाल जवाब का सत्र में कुछ खास बात सामने आइल. एगो त रहे हमनी के उद्देश्य से भोजपुरी के विविधता के अध्ययन. शालिग्राम शुक्ला अपना भोजपुरी व्याकरण में चार तरह के भोजपुरी के जिक्र कइले बाड़े, उत्तरी, दक्खिनी, नागपुरिया, आ पश्चिमी. बाकिर ऊ चारो तरह के भोजपुरी अपना में बहुते साम्य राखेला आ एक दोसरा के समुझल बहुत आसान बा. पहिले आवागमन के साधन ना रहे जेहसे कि हर इलाका में आपन आपन बोली चल निकलल बाकिर अब जब दुनिया भर में संचार के साधन बढ़ चलल बा त धीरे धीरे एकरुपतो आइये जाई.
हमनी के पूरा भरोस बा कि भोजपुरी के एगो विश्वव्यापी रुप सामने आ के रही बाकिर एह दिसाईं शोध चलत रहे के चाहीं जवना से सबका ई मालूम हो सको कि भोजपुरी के प्रचलन हिन्दी का पहिले से बा आ ई अपने आप में एगो भाषा हऽ. कुछ लोग के ई गलतफहमी बा कि भोजपुरी ओहि तरे से हिन्दी से जुड़ल बा जइसे क्रेओल फ्रेंच से. साँच से एहले बड़ दूरी ना हो सके. क्रेओल बस गलत फ्रेंच हऽ. जबकि हिन्दी मुगल काल का खड़ी बोली से निकल के ब्रज भाषा, अवधी, भोजपुरी वगैरह का मेल से बनल जवना में संस्कृतनिष्ठ शब्दन के बहुतायत बा. जबकि भोजपुरी के उद्गम प्राकृत से भइल बा. भोजपुरी आ खड़ी बोली अलग अलग प्राकृत से निकलल बा आ एकनी के एक दोसरा के बोली ना कहल जा सके.
दोसर बात जवन सामने आइल ऊ ई कि भोजपुरी कवना लिपि मे लिखल जाव. एह बात के कवनो साफ जवाब ना उभरल. लिपिए का अन्तर से हिन्दी आ उर्दू अलग अलग हो गइली स. डेढ़ सौ साल ले बहस चलल आ साल १९५० में भारत के संविधान सभा में एक वोट का अन्तर से तय भइल कि भारत के राष्ट्रभाषा देवनागरी लिपि में लिखल हिन्दी होखी. जबकि बहुत लोग के कहनाम रहे कि अरबीफारसीओ में हिन्दी लिखल जा सकेला. हो सकेला कि अगर ऊ लोग रोमन लिपि में लिखल हिन्दुस्तानी के मांग कइले रहित त फैसला कुछ दोसर आइल रहित. एह मामिला में कवनो आम सहमति सेमिनार में सामने ना आइल बाकिर एहिजा हम बतावल चाहम कि बृन्दावन लिंगुइस्टिक एण्ड कल्चरल जेनोसाइड वाचग्रुप एगो अइसन रोमन लिपि का विकास में लागल बा जवना में मारीशस में बोले जाये वाली आ सरकारी स्कूलन में पढ़ावल जाये वाली हर भाषा के ध्वनि शामिल कइल जा सको. जब तइयार हो जाई तब ओकरा के सभका टिप्पणी आ सुझाव खातिर पेश कइल जाई.
अपना दोसरा व्यस्तता का चलते मारीशस टाइम्स के टीम पूरा सेमिनार अवधि में मौजूद ना रह सकल बाकिर हमनी का संतुष्ट बानी जा कि एमजीआई भोजपुरी अध्ययन खातिर गंभीर बा आ भगवान करस कि ओकरा एह दिसाईं सफलता मिलो.
परमाननद सूबराह जी के लिखल एह लेख के भोजपुरी अनुवाद मारीशस टाइम्स का पूर्वानुमति से प्राकशित कइल जा रहल बा. एह लेख के सर्वाधिकार मारीशस टाइम्स का लगे सुरक्षित बा. अनुवाद का क्रम में कुछ गलती हो सकेला. लेख के मूल पाठ अंगरेजी में मारीशस टाइम्स पर मौजूद बा.
भोजपुरी संस्कृति पर होत हमला. एगो सामयिक चेतावनी.
परमानंद सुबराह
ई अंश हमरा संघतिया भोजपुरिहन के संबोधित बा. एह देश में हमनी के कुली पुर्वजन के वंशज सोचले रहुवे लोग कि एह देश के सभ्यता आ शिक्षा पर ओह लोग के पूरा मलिकाना रही. हमनी से जुड़ल हर चीज के हिकारत से देखल गइल, हमनी के रहे के तौर तरीका, खाए के तरीका, बोले के तरीका. हमनी के परपंरा आ हमनी के भाषा मजाक के विषय बना दिहल गइल. मानत बानी कि दुनिया से संवाद के माध्यम खाली भोजपुरी के राखेवाला ओह लोगन से आशा ना कइल जात रहे कि ऊ लोग क्रिओल के जानकार बनि जावो, अगरेजी आ फ्रेंच के त बाते छोड़ दीं. (दुनिया के भाषाविद् एहमे कवनो बुराई ना देखिहें बाकिर तब भाषाविद् लोग पढ़ल लिखल आ सभ्य समाज के लोग होला.) तबहियों ऊ लोग सुपरवाइजरी आ दासन से काम लेबे में बढ़िया रहुवे. समाजशास्त्रीओ लोग जानेला कि हर समुदाय अपना अलगा रहनसहन के अधिकार राखेला, आ कवनो परंपरा दोसरा कवनो परंपरा से ना त हेठ हो ले ना जेठ हो ले, चाहे ऊ पेरिस, लंदन, अफ्रीका भा न्यू गिनिया में रहे.
हमरा इयाद आवत बा स्कूल के अंगरेजी के किताब में लिखल एगो अंगरेज के भारत यात्रा के वर्णन. ऊ कवनो तरह से हिन्दी बतिया लेत रहुवे. एक जगहा ओकरा अगो गंवई आदमी से भेंट हो गईल आ ऊ ओकरा घरे चलि गइल. ओकर मेहरारू बहरी निकलल आ अपना बचवा का ओर इशारा करत कहलसि कि राम के बापू घरे नईखन. ऊ यात्री बहुतेर कोशिश कईलसि ई जाने बदे कि ऊ अपना मरद के नाम बता देव, बाकिर ओकरा सफलता ना मिलल. ऊ चहलसि कि कम से कम ओकरा संगे ओकर का रिश्ता बा ई त बता देव, बाकिर उहो ना!
ओह जमाना में भारत के दोसरा इलाका के कवनो औरत अपना मरद के आपन पतिदेव, भगवान जइसन पति, कहि के बता सकत होखी बाकिर ओह कहानी के औरत ओकरो खातिर तईयार ना रहे. ओह यात्री के निराश हो के लवटे पड़ल.
एकरा बाद क्लास में तरह तरह के टिपण्णी सुने के मिलल रहे. हमरा खातिर ई लाज के बाति रहे कि हम तबहियो चुप लगा के रह गइनी. हम अपना क्लास के ई ना बता सकत रहीं कि हमार महतारी, आजुवो ऊ ९६ बरिस में टाँठ बिया, भगवान ओकरा के जियवले राखसु, हमरा बापू के नाम ले के कबहियों ना बोलावे. ना त कबहूं तू कहि के बोलवलसि. हमेशा रउरा कहिके बोलावे. जे ना जानत होखे ओकरा के हम बता दीं कि भोजपुरी में सर्वनाम आ क्रिया के दू गो रुप बहुतायत से मिलेला. एगो साधारण आ दोसरे आदर वाला. दोसरा से जब बापू का बारे में कहेके होखे त ऊ परमानंद के बापू कहि के काम चला लेबे, कबहियो हमार भतार कहि के ना. भतार शब्द भोजपुरी में वर्जित शब्दन लेखा होला. एकर क्रियोल समशब्द मारि त टायलेटो में ना सोचल जा सके. आजु हमार बापू जिन्दा नइखन तबहियों माई खातिर आजुओ ले उहे संस्कार बा.
हमरा ई महसूस करे में बहुते समय लागल कि अपना भाषा भा अपना संस्कृति खातिर लजाये के भा अपना के छोटहन समुझे के कवनो जरुरत ना रहे. आजु हमरा अचरज होखे ला कि पढ़ाई में तेज रहला का बादो, फ्रेंच छोड़ि के जवना में तीस का क्लास में हम सोरह से उपर कहियो ना चहुंप सकनी, हमरा में हीन भाव काहे आईल? बाकिर तब हम इहो महसूस करे नी कि हमनी का पीड़ित आ दलित रहनी जा, कम से कम ओह लोग का नजरी में जे अपना के बेसी सभ्य समुझत रहे.
हमरा घरे हाथ से लिखल रामचरितमानस के कापी रहे जवन हमार परदादा अपना संगे ले के आइल रहलन. बाद में जब छापल किताब मिले लगली सन त ऊ पाण्डुलिपी कतहीँ धरा गइल आ बाद में हेरा गइल. बचपन में हमरा ओकरा अमोलपनके अहसास ना रहे.मेहनत से लिखल ओह किताब के जवन अपना मूल में तीन हजार साल पहिले तब लिखाइल रहे जब आजु के दुनिया के सभ्य कहाये वाला देशन, ग्रीस के बात छोड़ दीं तब,के लोग जंगली का तरह रहत रहे. बाद में बिसुनदयाल आन्दोलन से अपना बापू का लगाव का चलते हमरा अपना सांस्कृतिक धरोहर के अमोलपन के अहसास भईल. समस्या अतने रहि गइल कि बिसुनदयाल आन्दोलन के लोग भोजपुरी का जगहा हिन्दी के अपना संस्कृति के माध्यम बना लिहल.
सर शिवसागर रामगुलाम के भोजपुरी से कवनो हिचकिचाहट ना रहे, हो सकेला कि उनुका पण्डित बिसुनदयाल जइसन बढ़िया हिन्दी ना आवत रहे एह चलते, बाकिर एकरा से हमरा कवनो अन्तर ना पड़े. अपना संस्कृति से लगाव फेर से पैदा करावे खातिर हम बिसुनदयाल आ शिवसागर रामगुलाम दुनू जाना के आभारी बानी. ओह लोग के कहनाम रहे, अपना भाषा आ अपना संस्कृति का मामिला में हमेशा आपन माथ उपर राखऽ.हमनी का आपन देश ले लिहले बानी, अब फेर केहू हमनी के संस्कृति कवनो बात के अपमानित ना कर सकी. आजु का भाषा में कहीं, त ऊ लोग हमनी के उहे दिहल जे आजु बराक ओबामा अमेरिका के ब्लैक समुदाय के दे रहल बाड़े, अपना में भरोसा राखे के ताकत!
बाकिर ई का! ओह वादा के दू पीढ़ी का बादे आजु हमनी के संस्कृति के हिकारत से देखे वाला लोग जनम गइल बाड़े. कुछ लोग अपना के हमनी से ऊपर समुझत बा. जे अपना के अतना खास समुझत बा कि ओकरा हमनी घटिया लोगन के तौर तरीका सीखेके जरुरत नइखे. हमनी का अपना भाषा भा संस्कृति खातिर कवनो हीन भावना ले अइला के काम नइखे, अ हमनी का केहू के एकर इजाजत ना देब जा कि ऊ हमनी के कचार सको. जे समुझत होखो कि हमनी के अपमानित करियो के ऊ लोग विजयी हो सके ला त ओह लोग के डैनिश कार्टून मामिला के इयाद दिआवल जरुरी बा. एह घटना का बाद आजु अमेरिका समेत कवनो देश के लोग दोसरा के सभ्यता के मजाक उड़ावे के पहिले चार हालि सोची.
हम इहो जोड़ल चाहत बानी कि अइसनका लोग कवनो खास समुदाये में नइखे. हमनी के भोजपुरिहा समाजो के ढेरे लोग भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के हिकारत से देखे ला. अगर एह बारे में कुछ ना कइल गइल त हमनी के भाषा आ संस्कृति पर हमला बढ़ते जाई आ हमनी के पूर्वजन के सभ्यता आ संस्कृति बिला जाई. हम आह्वान करत बानी. ओह लोग के जे हमनी के संस्कृति के विकास में रुचि राखत बा कि हमनी के भाषा आ संस्कृति के हर रुप के संरक्षित करे खातिर संसाधन आ विद्वानन के लगावे खातिर सरकार पर दबाव बनावे. बहुते लोग के मानल हो सकेला कि भोजपुरी मृतप्राय हो गइल बा आ हमनी के विकास के जरुरत के लायक नइखे रहि गइल. बाकिर ई भूल होखी. ओह लोग से हम अतने कह सकीले कि निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति के मूल!
पिछलका शताब्दी में विश्वविद्यलायन में पढ़ावल जात रहे कि लैटिन, क्लासिक ग्रीक, आ हिब्रू मृत भाषा हईं सन. पूरा दुनिया में छितराईल यहूदी सोच लिहले कि ई ना मानी लोग, आ जब ऊ लोग आपन देश पा लिहल तब ऊ लोग अपना भाषा आ संस्कृति के जिया दिहल आ आजु इजरायल में सभे हिब्रू बोले ला. अपना में गर्व राखेवाला हर आदमी खातिर ई एगो अनुकरणीय उदाहरण बा. आजु जरुरत बा कि एगो अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी विकसित कइल जाव जवन भर दुनिया में पसरल भोजपुरिहन के एकसूत्र में जोड़ सके.
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