समझ ना आवे के बा दुश्मन
पंकज प्रवीण
समझ ना आवे के बा दुश्मन,
के बाटे मनवा के मीत .
के बाटे गरियावत हम के,
के हमरा ला गावे गीत. हम त अपना के मानी ला,
हई हम प्रेम नगर के वासी,
भोजपुरिया मन ले के घुमनी,
दिल्ली, मुंबई, पटना, काशी.
सब जगहा पर प्यार लुटवली,
सोचनीं लेहब मन के जीत.
उल्टा भोंकांइंल पीठ में छुरा,
होठवा पर देखला के प्रीत. हम रहनी सावन के अन्हरा,
सभ धन एक समान रहल,
जे पूछलसि उहे मन भवलसि,
एहिमें मन उमड़ात रहल.
छोट घाव से ना मन भरल,
अब बड़ा चोट बा मन के टीस.
समझ ना आवे के बा दुश्मन,
के बाटे मनवा के मीत .
पंकज प्रवीण भोजपुरी के उभरत गायक हउवन जिनकर एगो म्यूजिक अलबम रिलीज हो चुकल बा आ दोसरका के रिकार्डिंग होखे वाला बा. नया पीढ़ी का गायकन में पंकज के जगहा अलगा से बा काहे कि ऊ दुअर्थी गीतन से परहेज करेलन आ भोजपुरी में अश्लील गीतन के पुरजोर विरोध करेलन.
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