शनिवार, 2 नवंबर 2024

आँख गुड़ेररे से कवनो फायदा नईखे

 - प्रभाकर  गोपालपुरिया

जहिया से मुंबई में आतंकी हमला भइल बा (अरे चाचा हम ए बेरी के बाति कहऽतानी) तहिया से भारत (आपन सरकार भाई) आँखि गूड़ेरता.

ई आँखि ऊ सही के खोलऽता आकी वोटे खातिर, ई हमरा पता नइखे बाकिर ऊ आँखि गूड़ेरता. अरे भाई एतना सब भईल-गईल, आखिर का भइल ? ई भारत पर पहिला बेर आतंकी हमला रहल ह का ? एकरी पहिलहुँ न जाने केतना बेर रामू, रमई, रामाजी, रामबली, रामकिशुन, रहीम, अलीमुल्ला ऐह आतंकवाद के भेंट चढ़ी गइल बा लोग. केतने माई आपन कोखि त केतने बहिन आपन माँग अउरी केतने बहिन आपन राखी उजड़त देखले बा एही आतंकवाद में. पर भईल का ? सब टाँय, टाँय फिस्स.

नेता लोग बड़-बड़ बाति करऽता लेकिन ई बाति से ओकरा त आपन वोट एकट्ठा करे के बा. ओकरा के देश नाहीं कुरसी चाहीं. अउरी ऊ कुरसी काहे खातिर चाहीं, त पईसा खातिर, मनबहलाव खातिर, अउरी अपनी शान-शौकत खातिर. अउरी हाँ, कुछ पइसा बिदेसी बैंकन में राखे खातिर जेहसे कि लोगो-लईका ऐश के जिनगी जी सको. भले चाहे भारत में रहे के परो चाहे कवनो दूसरे देश में. पईसा रही तS कहीं रहल जा सकेला.

पाकिस्तानो बुद्धु बा का ? ऊ सब बुझSता, ऊ जानSता कि ई सब गीदड़ भभकी हS. कहीं कुछु उखड़ेवाला नइखे. आज क जमाना में नेता के मतलब कि खाली अपनी बारे में सोंचे. अरे भाई हम भारत की नेता लोगन के बात करऽतानीं.

देश की बारे में सोंचे खातिर सरकार का लगे समय कहाँ बा. आपन वोट बैंक बनवलहीं अउरी ऐशो-आरामे में त सारा समय निकलत चली जा ता. जनता सोंचो, काहें कि मरत त जनते बिया. नेता जनता थोड़े हउअन. उनकरा त मालूमे बा की अगर कांगेस नाहीं जीती त भाजपा जीती, भाजपा नाहीं जीती त केहू अउरी जीती पर जीती हमनियेजन में से न एगो. एसे का होई एतने की सियरा उहे हऽ रोउआँ बदलले बा. चाहें हम खाईं, चाहें उ खा अरे हम सब नेता त एके थइली के चट्टा-बट्टा हईं के.

अउरी नेतो लोग जानSता की लोग के गुस्सा बहुत जल्दिए बिला जाई, जब एक-आध गो मंतरी-संतरी बदलइएँ कुल्हि, हवाई जतरा होई, फेन से सब शांत हो जाई. अउर त अउर अब ए चुनाव से त फेन से क्लीयर हो गइल बा की भारत के जनता जनार्दनो आतंकवाद, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि नाहीं देखे ले, उहो बस आपन सवारथ देखे ले. जाति देखे ले, भाई-भतीजा देखेले. आपन छेत्र देखेले अउरी कुल्ही मिलाजुला के हाँव-हाँव क के सांत हो जाले.

पर हम कहबी के ऐ भारत के नेता! भइया अगर तूँ अब ना सम्हरबS तS बहुत देर हो जाई. भले तूँ अरबों रूपया ध ल पर जब आतंकबाद के इहे रूप रही तS तूँ तS बचीं जा तारS, शायद तोहार लइको लोग बचि जाव पर आतंक जवनेगाँ मुँह बा के दउड़ रहल बा, एह से एकबात त बिलकुल क्लीयर बा की तहार नाती अउरी परनाती त कत्तई नाहीं बची पाई लोग. काहें की तबलेक बड़ी देर हो गइल रही. अउरी तहरा का बूझाता की विदेश में तह लोगन के रहे के मिली ? अरे विदेशिया काटी दिहें कुल्ही. ई कही के कि जे अपनी देश क ना भइल ऊ दूसरे देश के का होई. अबहिनो समय बा, कहीं एइसन न हो जाव की फेन से नेताजी, आजाद, भगत आदि भारत माई क सपूतन के आवे के पड़े भारत माई के तोह लोगन जइसन देशद्रोहियन से आजाद करावे.

जहिया जनता एकदम बउखलिया जाई तहिया तह लोगन के छठी के दूध ईयादी आ जाई. बुझलS हो आज के नेता. नेताजी नाहीं कहबि, काहें की ई सबद भारत माता की एगो बहुत बड़हन लाल के समरपित बा.

जय भारत माई.. जय हिंद..


रिसर्च एसोसिएट, सीएसई,
आईआईटी, मुम्बई

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