आपन पहिचान तलाशत भोजपुरी
डा॰रवि रामहोता
अगर भोजपुरी समय का कसौटी पर खरा उतरल बा त ओकरा खातिर आम लोगन के निजी कोशिश, कुछ लेखकन, बहुते गायकन आ कलाकारन के धन्यवाद देबे के पड़ी. ई बात कहलन मारीशस में भारतीय आप्रवासियन के संस्था आईडीसी के सचिव आ मानव वैज्ञानिक डा॰रवि रामहोता.
ऊ आगा कहलन, ई ऊ भाषा हऽ जे सभे मारीशिसियन के, जाति धर्म रंग आ नस्ल से अलगा, एक सूत्र में पिरोवेले. ई हर समुदाय के भाषा हऽ चाहे ऊ हिन्दू होखसु, मुसलमान, ईसाई, चाइनीज आ ईहां तक कि गोरको के. ई सनेह के भाषा हऽ... मारीशियन समुदाय के आत्मा हऽ. एही चलते हमनी का एकरा से बिलगाना रहि सकीं. एकरा के समुचित आदर आ पहिचान देबहीं के पड़ी.
असंख्य शोध प्रकल्पन का साथे जुड़ल डा॰रामहोता के सोचावट हऽ कि जे भी मारीशस के मानव वैज्ञानिक शोध, खास कर गुणात्मक, करे चाही ओकरा खातिर भोजपुरी के जानकार भईल एगो अनिवार्यता होखी.
भोजपुरी भाषा के जानकारी एह देश के विकास के कहानी, एकर सामाजिक तानाबाना, पूजास्थल वगैरह के समुझे बुझे में सहायक होखी. एही चलते, अगर हमनी का चाहत बानी कि अपना देश आ अपना लोगन के समुझल बुझल जाव आ पूर्वाग्रह रहित सफल शोध के बढ़ावा देहल जाव, भोजपुरी के बढ़िया सनमान देबे के पड़ी.
अगस्त २१ से ३१ अगस्त तक चलल भोजपुरी मेला का आखिर में आईडीसी, काउन्सिल आफ इण्डियन डायस्पोरा, अधिकारियन के एह बात ला समुझावे के कोशिश कइलसि कि शैक्षणिक प्रक्रिया में सुधार खातिर आ दोसरा भाषन का प्रभाव में आवत विकृति से बचावे खातिर भोजपुरी के भाषा के रुप में मान्यता दिहल आ प्राइमरी स्कूलन का पाठ्यक्रम में शामिल कइल जरुरी बाटे.
(
लि डिफाई मीडिया ग्रूप से साभार
सोभानंद सीपरसाद के लिखल लेख
लि डिफाई मीडिया ग्रूप पर अतवार के खबर के सम्पादक सोभानंद सीपरसाद भारत आ इंगलैन्ड में पढ़ाई कइले. नैरोबी आ मुंबई में काम कइलें. इण्डियन एक्सप्रेस समूह के अखबारन के मुख्य उपसम्पादक रहलन आ कई गो किताब लिख चुकल बाड़न. शोभानंद सीपरसाद सिनेमा आ टिवी सिरियलो में काम कर चुकल बाड़न. हर रोज ऊ मारीशस रेडियो पर एगो भोजपुरी लोककथा सुनावेलन.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें