अभय त्रिपाठी
चहलीं तऽ बहुत कि खुश रहीँ हम,
लेकिन दिल ही दगा दे गइल त का करीं ?
लगावे चलनी खूबसूरत बाग.
लेकिन माली ही उजाड़ दिहलसि तऽ हम का करीं ?
वक्त के आँधी बड़ा बेदर्दी बा,
जब नाखुदा ही डूबा दे तऽ हम का करीं ?
दिल तऽ आखिर दिल ही बा,
जब टूट ही गइल तऽ हम का करीं ?
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सबसे बड़ा रुपइया
रिश्ता नाता भूल गइल सब, रुपया अपरमपार,
रुपया अपरमपार, कमाये जब हम गईऽलीं,
धरम करम सब भूल के भइया, बन गइलीं सरकार,
बन गइलीं सरकार, के सबकर भाई कहइलीं,
रुपया के फेरा में, आपन दीन ईमान गवइलीं,
कहै अभय कविराय कि जग के एक ही मइया,
दि होल थिंग इज दैट कि भइया सबसे बड़ा रुपइया.
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डोले बसन्ती बयार
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।
गेहुँआ मँटरिया से लहरल सिवनवा,
होखे निहाल भइया सगरो किसनवा.
धरती के बाढ़ल श्रृंगार, मगन मन होला हमार।।
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।
बिहँसेला फुलवा, महकेला क्यारी,
ताक झाँक भँवरा लगावे फुलवारी.
मौसम में आइल बहार, मगन मन होला हमार।।
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।
आईल कोयलिया अमवाँ के डरिया,
पीयर चुनरिया पहिरे सवरियाँ
सोहेला पनघट किनार, मगन मन होला हमार।।
डोले बसन्ती बयार मगन मन होला हमार।
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आजा आजा ए भोला हमार नगरी
आजा आजा ए भोला हमार नगरी,
तोहरा भंगिया खियाईब भरी गगरी।।
पाप पुण्य के हाट लगल बा,
केहु राजा केहु रंक बनल बा।
नाही चाही एमा हमके तऽ कइनो गठरी
आजा आजा ए भोला हमार नगरी....।।
सच्चाई दम तोड़ रहल बा,
झूठ के डमरू बाज रहल बा।
आऽईल कलजुग के घनघोर बदरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी.....।।
लोक लाज सब छूट गईल बा,
भ्रष्टाचार के अलख जगल बा।
नाही अईब तऽ लुट जाई काशी नगरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी...।।
दर्शन दुर्लभ ताज भईल बा,
सरकारी कारागार भईल बा।
नाही जईबे हम कबहु तोहार डगरी,
आजा आजा ए भोला हमार नगरी...।।
आजा आजा ए भोला हमार नगरी,
तोहरा भंगिया खियाईब भरी गगरी।।
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वाह रे करम वाह रे धरम
मोह माया के त्याग के भईया ले लिहले सन्यास,
लेकिन जियरा ललचे लागल तोड़ दिहले बनवास।
तोड़ दिहले बनवास बन गईले सबकर नेता प्यारा,
ले आईब राम राज कऽऽ दिहले जग मे नारा।
राम राज तऽऽ आईल नाही लेकिन जब ऊऽ गईले जेल,
मचा दिहले पूरे समाज में हिंसा के ठेलम ठेल।
कहे अभय कविराय कि भईया मत कर अईसन जुरम,
अति भईला पर सब चिल्लाई वाह रे करम वाह रे धरम।।
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जानवरन के मीटिंग
जानवरन के मीटिंग में भइया बस इहे मुद्दा उभर के आईल बा,
घर लुटईला के बाद हमनी के करम भी इंसानन में बटाईल बा।
सबकर दुखड़ा सुन के राजा शेर के आँख में पानी भर आईल बा,
कइल जाई जाँच होखी हक खातिर महासंग्राम के बिगुल बजाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।
सबका सहमति से एगो संविधान पर अंतिम मुहर लगाईल बा,
सबसे पहिला हमार दुखड़ा के राग ढ़ेचुँ ढ़ेचुँ में गवाईल बा।
बाल मजदूरी अऊर श्रमिक उत्पीड़न में हमार हक दबाईल बा,
ई सुनते ही घोड़ा खच्चर ऊँट के राग भी एहि में समाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।
लोमड़ी मौसी के हाल तऽ अऊरो बदतर बा के ओरहना आईल बा,
दुसरा के माल पर आपन पेट भरे कऽ हक नेतवन में बटाईल बा।
नेताजी के चर्चा सुनते ही गिरगिटिया लोगन के रंग भी बदलाईल बा,
उनकर रंग बदले कऽ एस्क्लुसिव अधिकार भी नेता लोग चुराईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।
भाई से भाई लड़त देख कुकुरन के जात भी शरम से पनियाईल बा,
पतनशील समाज में इंसान के दरिंन्दगी से जानवर भी शरमाईल बा।
जहर उगीले के सर्प राज के महारथ पर भी पूरा पानी फेराईल बा,
नारी के कमसिन जीवन में नारी के जरिये ही जहर घोलाईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।
इहे हाल रही तऽ हमार का होखी के नारा से पूरा हाल थर्राईल बा,
सबसे बुरा हाल के रोना त़ऽ भईया खुद राजा शेर से ही रोआईल बा।
बड़ बड़ हथियार से लैस चूहा जइसन आदमी के रक्षक शेर कहाईल बा,
राजा शेर के दुखड़ा सुन सब जानवरन के आँख में पानी भर आईल बा।।
जानवरन के मीटिंग में.................।।
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याद आवेला
अमवा के पेड़वा पर झुलुआ झुलैया के याद आवेला,
गरमी के दिनवा में नानी के गऊँआ के याद आवेला।।
धूल भरल ट्रेफिक में गऊँआ के टमटम के याद आवेला,
आफिस के खिचखिच में मस्ती भरल दिनवा के याद आवेला।
दोस्तन के झूठिया देख माई से झूठिया बोलल याद आवेला,
प्रदूषण भरल पनिया देख तलवा तलैया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
ब्रेड बटर के देखत ही मकुनी अऊर चोखा के याद आवेला,
कोल्ड ड्रिंक के केलोरी में छाछ और पन्ना के याद आवेला।
फास्ट फूडन के दुनिया में सतुआ-चबेना के याद आवेला,
अश्लील भईल सिनेमा से कठपुतली के नचवा के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
बीबी के होटल बाजी से माई के खनवा के याद आवेला,
मतलबी पटीदारन में जानवर के वफादारी के ञाद आवेला।
दारुबाजन के हुड़दंगई में भंगिया के मस्ती के याद आवेला,
पुलिसियन के रौब देख रावण अहिरावण के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
भ्रष्टाचारी के मनसा देख सुरसा के मुँहवा के याद आवेला,
नेताजी के करनी से गिरगिटया के रंग बदलल याद आवेला।
बेईमान भरल दुनिया में आपन बेईमानी के याद आवेला,
ना होए पुनर्जन्म अब तऽ बस अंतिम समइया के याद आवेला।।
गरमी के दिनवा में.......।।
अमवा के पेड़वा पर झुलुआ झुलैया के याद आवेला,
गरमी के दिनवा में नानी के गऊँआ के याद आवेला।।
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परलय काल
माया के फेरा में प्रानी, नित नित करे बवाल,
पुण्य धरम सब भूल गईल बा, पापी हो गईल काल।
पापी हो गईल काल, काल में बचल बा एक सवाल,
सवाल यहि अब आगे का बा, कइसे सुधरी ईऽ मायाजाल।
कहे अभय कविराय कि अब तऽ हो गईल जी के जंजाल,
करम जुटाईं आपन सबे कोई, अब तऽ आई परलय काल।।
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जिनगी सयान हो गईल
जिनगी सयान हो गईल जीना मोहाल हो गईल.......
रक्षक ही भक्षक बा अब तऽ कहना ईऽ जंजाल हो गईल,
परिवर्तन युग के नारा बा पर हमरा संग बवाल हो गईल।
कहलीं जब जुरमी के लेखा जिनगी एक सवाल हो गईल,
प्रेम प्यार के पाठ पढ़ावल सबसे बड़ा कमाल हो गईल ।।
जिनगी सयान हो गईल....................
आपन स्वारथ मिटावे खातिर अभिनेता किसान हो गईल,
संयासिन के ठाठ के आगे राजा रंक समान हो गईल।
माई बाबू के बदला अब कुकुर घुमावल आसान हो गईल,
भ्रष्टाचार के वैशाखी ले के मेरा भारत महान हो गईल।।
जिनगी सयान हो गईल....................
बाप न मारे मेंढ़की अऊर बेटा तीरंदाज हो गईल,
संस्कारी लोगन के आगे मुजरिम प्रधान समाज हो गईल।
जुरम करत पकड़ाते नेताजी के तबीयत नासाज हो गईल,
देखलवनी जब दुनिया के ऐना सब केहु नाराज हो गईल।।
जिनगी सयान हो गईल....................
जिनगी सयान हो गईल जीना मोहाल हो गईल.......
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कलयुगी माया के महिमा
कलयुगी माया के महिमा से सारी दुनिया दबाईल बा,
का ज्ञानी का अज्ञानी सब एहि माया में अझुराईल बा।
पढ़ब लिखब होखब नवाब कऽ नारा दुनिया से भुलाईल बा,
अब तऽ गोली तमंचा में ही दुनिया के अर्थ समाईल बा।
कलयुगी माया के महिमा.........
नेहरु गाँधी के आदर्श के नारा शिक्षक ही भुलाईल बा,
डाकू गु्ण्डन के सम्मान के खातिर विद्यापीठ अघाईल बा।
जेकर कउनो मान ही नइखे ओकरे मान मनाईल बा,
रिश्वत खाके भी नेताजी के बत्तीसा खीस निपोराईल बा।
कलयुगी माया के महिमा.........
प्रेम प्यार के फेरा में अब तऽ बिटिया से आँख लड़ाइल बा,
सजनी खातिर माई काटत जरको ना लोर चुआईल बा।
ईऽ कहनी तऽ अइसन बाटे खुद के आँख देखाईल बा,
का सोचीं हम एकरा आगे जब एहि से मनवा पटाईल बा।
कलयुगी माया के महिमा.........
अईसन भी नईखे बबुआ लोगिन दुनिया से प्रेम मिटाईल बा,
विध्वसं के बाद निर्माण भी होखी ई सपना देखाईल बा।
पूछब ऊपर नारायण से कि ई खेल से केकर दिल बहलाईल बा,
बन्द कर दीं अब कलयुग के खेला रऊए नाक कटाइल बा।।
कलयुगी माया के महिमा.........
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कुर्सी के महिमा
कुर्सी के महिमा ए भईया देखाऽ जबरदस्त,
जे पाये ऊ मस्त हो रामा जे ना पाये त्रस्त..
सबसे पहिले बुढ़वा कुर्सी कहलाए ऊऽ प्रेसीडेन्ट,
बुढ़वन खातिर फिक्स ए भईया एकर एग्रीमेन्ट.
ना कउनो विवाद भईल बा ना बदनामी के चर्चा,
नम्बर वन के कुर्सी ईऽ बा जाने बऽच्चा बऽच्चा.
ई कुर्सी के छोड़ के बाकी कुर्सी बाऽ मदमस्त,
जे पाये ऊ मस्त हो रामा जे ना पाये त्रस्त..
पीएम सीएम सांसद भईया जाने सब कुर्सी के महिमा,
कुर्सी के पावे खातिर ख्याल न रऽखे कउनो गरिमा.
प्रजातन्त्र के नारा दे के कुर्सी के दू फाड़ कईऽल बा,
का साधू का मुजरिम भईया सबकर इऽहै जात बनल बा.
सत्ता के कुर्सी के खातिर मुजरिम बन गईऽल सरपरस्त,
जे पाये ऊ मस्त हो रामा जे ना पाये त्रस्त..
कबहु रहऽल इन्द्र के कुर्सी बात बात पर डोले लागे,
जान जाये पर कुर्सी ना देब उनकर मनवा बोले लागे.
हमके तऽ ईऽ लागत भईया आपन आफत थोपे खातिर,
पृथ्वीलोक के रोग के पीछे देवलोक के ईऽ चाल बा शातिर.
अब ना डोले इन्द्र के कुर्सी षड़यन्त्र हो गईऽल जबरदस्त.
जे पाये ऊ मस्त हो रामा जे ना पाये त्रस्त..
कुर्सी के महिमा ए भईया देखाऽ जबरदस्त,
जे पाये ऊ मस्त हो रामा जे ना पाये त्रस्त..
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बाबू हमार बियाह कईऽले
हमार अज्ञान मिटावे खातिर बाबू हमार बियाह कईऽले,
ज्ञान के चक्षु खुलते भईया हमरा लाइफ से बाहर गईऽले.
माई के सेवा हम कईऽलीं अऊऽर बाबू के गोड़ दबवलीं,
कबहुँ न ऊँचा बोली बोललीं ईऽ सब हम अज्ञान में कइऽलीं.
हमरा ज्ञान बढ़ावे खातिर बाबू एक प्रयोजन कईऽले,
सबकर राय मंत्रणा ले के हमरा खातिर लऽईकी देखले.
हमार अज्ञान मिटावे खातिर बाबू हमार बियाह कईऽले.
पत्नी आईल सुन्दर गोरी हमके बहुत बहुत ही भाईऽल,
हमरा ज्ञान के सीमा जनले मन ही मन बहुत पछताईऽल.
लोक लाज के शरम में आके पहिले तऽ चुपचाप रह गईऽल,
ओकरा जरिये सरऊऽ फिर हमरा मन पैठ जऽमईऽले.
हमार अज्ञान मिटावे खातिर बाबू हमार बियाह कईऽले.
मेहरारु के रंग में आके हमरे ज्ञान के चक्षु खुल गईऽल,
माई बाबू गौड़ भये अऊर मेहरारु सर्वोपरि हो गईऽल.
माई के सेवा के बदले मेहरारु कऽऽ नशा छा गईऽल,
सरऊ के चक्कर में आके बाबु अपना गोड़ से गईऽले.
हमार अज्ञान मिटावे खातिर बाबू हमार बियाह कईऽले.
माई बाबू से छुट्टी खातिर जल्दी से सब बियाह कऽईले,
का रखल बा माई बाबू में पत्नी के सम्पूर्ण समझऽले.
पीछे की छोड़ आगे की सुध ले नारा ई मन में तू जमईऽले,
बिटवा कबहु न पैदा करिऽहे वरना तू भी काम से गईऽले.
हमार अज्ञान मिटावे खातिर बाबू हमार बियाह कईऽले.
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मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह
ना कुछ कहिऽह ना कुछ बोलिऽह मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह.
सबके फिकर बा आपन आपन न्याय भईल अब सपना भईया,
गाँधी के सिद्धान्त गईल बा हिंसा ईंहा के राज भईल बा.
देख के ईऽ सब आँख ही मुदिंऽह मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह.
भारत माता रोअत बाड़ी कोख के अपना कोसत बाड़ी,
इक दुसरे के रोजी झपटल अन्याय के रथ पर भटकल.
दिल ही दिल में तू रखिऽह मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह.
अपने से दूबर के पटकल शान देखावत कभी ना अटकल,
मार काट तऽ अइसे कईऽलस इंतहान के परचा दिहलस.
करम के अपना तू रोईऽह मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह.
ना कुछ कहिऽह ना कुछ बोलिऽह मनवा तू चुपचाप ही रहिऽह.
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बचवन देश गँवइऽऽह मत
बचवन देश गँवईऽऽह मत दुश्मन से घबड़ईऽऽह मत.
सब देशन से भारत अच्छा जेकर करे हिमालय रक्षा,
सागर करेला एकर रखवारी ललचाएला दुनिया सारी.
एके तू बिसरईऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
इहँवे भइलन कृष्ण कन्हैया आज भी बाटे गोकुल गइया,
इहँवे पर राम अवतरले जे रावण के मान घटवले.
इनके कलंक लगइऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
अनेक योद्धा अनेक त्यागी अनेक योगी अऊर बैरागी,
परोपकारी अनेक दानी जेकर इहँवे बाऽऽ निशानी.
इनसे मुहँ चोरईऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
जिम्मेदारी अब तोहार बा भारत माता के पुकार बा,
दुश्मन चारो ओर अड़ल बा भारत भेदियन से भरल बा.
इनसे तनिक डेरईऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
कपट से कपटी पाकी अइलस खाके मात लजाई गईलस,
भुट्टो के तऽ यादे होई ढाका में जे गुजरल होई.
आपन शान घटईऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
आज नीति डाँवाडोल बा स्वार्थ रूपी विष घोलल बा,
तबाही के पीड़ा भईया भोगे तोहार बाबा मइऽऽया.
तूऽऽ एके अपनईऽऽ मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
बड़कन के कुछ गलती होई बबुअन माख न रखिऽह कोई,
जैसे खाके आम के गुदा गुठली कर दिहल जाव जुदा.
सच्चाई झूठलईऽऽह मत बचवन देश गँवईऽऽह मत.
बचवन देश गँवईऽऽह मत दुश्मन से घबड़ईऽऽह मत.
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धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी
धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी पावन गंगा के पानी
जेकरा दर्शन के तरसे जग के सगरो प्राणी प्राणी.
मूरख पंडित साधू अऊर ग्यानी राजा रंक अऊर अभिमानी,
केहु नाही बा अइसन भईया जे काशीके महिमा ना जानी.
पाप से मुक्ति पावे खातिर हर केहु आवेला काशी,
उनके बाऽ विश्वास कि जालन स्वर्ग में काशी के बाशी.
धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी पावन गंगा के पानी.
काशी के महिमा कारण ग्रहन में आला अईसन भीर,
तिल धरे भर के जगह नाऽ बाचल गंगाजी के तीर.
बुढ़ा बच्चा अऊर जवान भेद भाव के छोड़ निशान,
दौड़ लगावे अइसे जइसे मिल गइले इनके भगवान .
धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी पावन गंगा के पानी .
भीड़ भी लऽउके अइसन जइसे बाढ़ के उमड़ल पानी,
सच्ची सेवा के भावना में भूल गइल सब कुछ प्रानी.
नैया गंगाजी में दौड़ल लेके यात्री जन के पूरा भार,
जनसेवक उनके सेवा खातिर हरदम बा पूरा तैयार .
धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी पावन गंगा के पानी.
घाट घाट पर शोर मचल सुन लीं साधू संतन के बोली,
दान धरम के महिमा सुना के उनकर भर गइल झोली.
गंगा किनारे और सड़क पर लागल ड्यूटि पुलिस के भाई,
इधर से आके उधर से जा जा जनता के बा रहल समझाई .
धन्य धन्य काशी कीऽ नगरी पावन गंगा के पानी .
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माई रे हम जेल जाइब
माई रे हम जेल जाइब कुछ अउर नाही तऽ नेता ही बन जाइब,
माई रे हम जेल जाइब.
बचपन में हम ध्यान ना दिहिलीं एक से बढ़के खेला हम कइलीं,
कसम खिया ले हमसे माई ईऽ गलती अब ना दोहराईब.
माई रे हम जेल जाइब.
पढ़ली लिखिलीं बीए पास केहु ना डललस हमके घास,
का करेब हम नौकरी करके ऐकौ धेला बचा ना पाइब.
माई रे हम जेल जाइब.
बाबू कहले धन्धा कइलीं सब चिजीया में मिलावट कइलीं,
हमरो भी ईमान धरम बा इहै बात तोहके समझाइब.
माई रे हम जेल जाइब.
नेता बनके नाम कमाइऽब नाम कमाइब दाम कमाइऽब,
जे ना मानी हमरा बात हम ओके मिट्टी में मिलाइब.
माई रे हम जेल जाइब.
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कलयुग के नेता.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.
जे तोहरी जी हुजुरी बजावे, सुख सुविधा वो सब कुछ पावे,
चोर गद्दार के तू रखवाला मिल भारत के करें दिवाला.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.
जेकरे द्वारे तू चला जावे धन्य धन्य ऊऽऽ जन कहलाई,
खद्दर से तन आपन सजाके कहलइल तू गाँधी के भाई.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.
जे तोहके धन पहुँचवलस लक्ष्मी ओकरे घर में गइलस,
जब आवे चुनाव के बारी पैदल चले लऽऽ छोड़ सवारी.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.
हाथ जोड़ के तु बतियाऽव मुरख जनता के फुसलाऽऽव,
जीत इलेक्शन घर तू बइऽऽठ बड़ ताव से मूँछ तू ऐंठऽ.
आपन तोहरे बाटे चिन्ता जय कलयुग के नेता भ्राता.
जय कलयुग के नेता भ्राता, भ्रष्टाचार के तुम हो दाता.
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मिलावट
मिलावट के मारे सबही के नाक में दम आइल बा,
केकरा केकरा के कहिं एमा सबहीं अझुराइल बा.
बात मे मिलावट विचार मे मिलावट
चाल में मिलावट खाल में मिलावट,
पोशाक में मिलावट के झण्डा फहराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........
काम में मिलावट ध्यान में मिलावट
पति में मिलावट पत्नी में मिलावट,
मिलावट के भाई बहिन से सिनेमा होटल फुलाइल बा
केकरा केकरा के कहिं........
तौल में मिलावट कौल में मिलावट
चावल में मिलावट दाल में मिलावट,
आटा में मिलावट से दाँत किरकिराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........
शक्क्कर में मिलावट शहद में मिलावट
मख्खन में मिलावट डालडा में मिलावट,
तेल में मिलावट से बाल अझुराइल बा
केकरा केकरा के कहिं........
कथनी में मिलावट करनी में मिलावट
घी में मिलावट और साग में मिलावट,
दवाई में मिलावट से मनुष्यता लजाइल बा
केकरा केकरा के कहिं........
कान में तेल डालके अधिकारी लोग बहिराईल बा,
थोड़ा बहुत खाके अपना कर्तव्य से भुलाइल बा.
कऊनो अइसन चीज नइखे जवन शुद्ध कहलाइल बा,
अगर कुछ शुद्ध बा त विदेश से मँगाइल बा.
रोवतारी भारत माता शुद्धता लुकाइल बा,
सरग जइसन देश आपन नरक में ढ़केलाइल बा.
पढ़के नाराज मत होखब सभै दुख से लिखाइल बा,
एक आदमी के कहात नइखे सबकर उगलाइल बा.
केकरा केकरा के कहिं........
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इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
स्वर्ग में मचल बा हाहाकार सब केहु हो जा खबरदार,
का भईल कऽऽ शोर बा मचल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
का देवी देवता अऊर का देव गुरु सबही बा घबराईल
सबकर एक ही मंत्रणा आखिर ई आफत कहाँ से आइल,
केहु कऽ भी दिमाग नाही चलल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
काऽ होइ काऽ होइ के बीच यमराज कऽ इक दूत आइल
साथ में इक मृतआत्मा के देख सबकर दिमाग चकराईल,
सब देखे लागल एक दुसरा कऽऽ शकल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
बाअदब बामुलाहिजा़ होशियार कहके यमदूत सुनवले यम संदेश
एकरा चक्कर में नर्क में आइल आफत एहिसे ब्रह्माजी दिहले आदेश,
स्वर्ग में ही सत्ता कऽ हो सकेला बदल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
सत्ता के लालची नेता के देख ऊँहा मच गईल तहलका
अइसन स्थिति फिर ना आवे कोई उपाय करे के होई पक्का,
नया नियम के सिवा रास्ता ना बचल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
स्वर्ग और नर्क में कउनो भी नेता कऽ आवागमन हो गइल निषेध
अब मरते ही तुरन्त पुनर्जन्म देबे कऽ पारित हो गइल आदेश,
ना रहिहैं साँप ना होई लाठी कऽ दखल इन्द्र कऽ कुर्सी फिर से डोलल.
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सुखवा सपना भइल बा
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.
आडम्बर के मंच लगल बा, हाहाकार भाषण बनल बा.
शान्ति हो गइल उद्विग्न बा, धैर्य संतोष में आइल विध्न बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.
सांत्वना सहानुभूति के बजर पडल बा, मिथ्या उपहास के तूती बा.
भरसाईं में जरल लाज शरम बा, फुहडता निर्लज्जता भइल धरम बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.
छप्पर फार के बरसत कलेश बा, शिक्षा संस्कार के गिरल स्तर बा.
भालू बन्दर से वेत्ता लोग बदतर बा, यजिगर काया के सख्त अभाव बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.
क्षुद्रता लालच के लगल आसन बा, भ्रष्टाचार करत शासन बा.
आदर सम्मान के लागल गोली बा, लड़का लोग बाबू के फोड़त माथा बा.
सुखवा सपना भइल बा, ना जाने कँहवा गइल बा.
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आयल मधुमास कोयलिया बोले
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
लाल लाल सेमरु पलास बन फूले
सुमनो की क्यारी में भँवरा मन डोले,
किसलय किशोरी डारन संङ झूले
महुआ मगन हो गन्ध द्वार खोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
सुगन्धित पवन भइ चलल होले होले
ढोलक मंजिरा से गूँजल घर टोले,
रंग पिचकारी मिल करत किकोले
छनि छनि भंग सब बनल बमभोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
उड्ल गुलाल लाल भर भर झोले
मीत के एहसास बढल मन के हिडोले,
धरती आकाश सगरे प्रेम रस घोले
मख्खियन के झुण्ड पराग के टटोले.
आयल मधुमास कोयलिया बोले .
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पतई पर परान बा
पतई पर परान बा
सांसत में जान बा
मिथ्या जबान बा
धोका सम्मान बा
दौरी भर शान बा
शिक्षा शैतान बा
टुटहा अरमान बा
नाहक वरदान बा
ढोंगी महान बा
पीडा आसान बा
कौआ लेले कान बा
भेडिया धसान बा
मरयादा शमशान बा
सिर धुनत मान बा
दम तोडत ब्रतमान बा
केहु के न भान बा.
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अभय जी के ई सब रचना पुरनका अंजोरिया पर बरीस 2010 से पहिले अंजोर भइल रहली सँ. अबहीं बहुते रचना बाकी बा. गँवे-गँवे जोड़ा पाई. आवत रहीं.
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