नूर आलम बादशाह के 10 गो कविता
(1)
मिसावट
चतुर व्यापारी बानी, बेचेनी हम चाउर.
अपना के निमन, दोसरा के समझेनि बाउर.
मसूली बिकाला बजार में, घर में पाकेला खूदी
मालूम ना काहे बिगड़ल, ऐतना जल्दी बूदी.
अपना के बड़का होशियार, दोसरा के समझेनी बागड़
दुनिया के आंख में धूरा झोंकेनी, मिलाके चाउर में आँकड़.
रेडियो से प्रचार करावेनी, कहके ऐकर बढ़िया बनाट
लोग छोरे जानऽता को केतना करेनी ऐमे हम मिसावट.
सब के धोखा देके बनल बानी बड़का व्यापारी.
हम जानऽतानी कि खाए के बेर लोग देत होई हमे गारी.
लोग के गारी बात के नईखे हमरा तनिको लाज.
हमेशा गारी सुनते बानी त काहे करी सरम आज.
हम साफा बानी बेसरम, काहे करी केहू के कहल.
ईहे आदत से त बा आज हमरा पास बड़का महल.
ऐसन व्यापार में जे कइलसि सरम ओकर फूटल करम.
पकड़ाईल त धजिया उड़ी ना त समझी पाकिट गरम.
चाउर व्यापार में ना लागी सब केहू से ऐसन कायदा.
ऐकरा चलते बाटै पेटचिरवा डाक्टर के भी खूबे फायदा.
देखऽ आज कईले बानी हम केतना तरक्की.
एमे जे उल्टा सिधा ना करे उ रहे हमेशा अनलक्की.
हमजानऽतानी जहिया होखि हम्मर परदाफाश.
ओहि दिन कतम हो जाई सारा नाफा के आश.
केहू कही थाना कचहरी, त केहू कही जेल भेजे के बात.
तब जा के हमर समझ में आई मिसावट के बात बात.
(2)
फूल
लड़का लड़की के एके समुझि, भगवान के देहल फूल.
दुनू में भेदभाव कर के मत करीं कवनो एइसन भूल.
जईसन लड़िका ओईसने लड़की, आकाश के ई तारा जून.
काट के देखऽ दुनू के देह से निकलि लाले खून.
भगवान के देहल ई फूल के दी बरोबर न्याय.
कमजोर समुझ के मत करी एकरा पर अन्याय.
दुनू के खातिर खोजी जिनगी के सही रास्ता आ उपाय.
ताकि आगे जा के दुनू दुनिया में कुछ कर के देखाय.
लड़िका जईसन एके भी इस्कूल भेज के शिक्षा दिलवाईं.
ऐकर हर कदम पर साथ दे के घर से अन्धकार भगाईं.
अपने सुनले होखम एक नारी अगर शिक्षित होइ जाई.
त समझीं जेकर घर उ जाई सात पुस्ता ओकर तरि जाई.
मत करी अपमान, एकर बा हजारो पहिचान.
एकरा बिना रच ना सकले सृष्टि जब भगवान.
तब हमनी के हई एके करे वाला कुमान.
एकरे से बननी हम तुम आ इसारा दुनिया जहान
(3)
हरदम याद आवेला माई
हरदम याद आवेला माई, गोदिया के दूध भात रोटी !
मत बहावs आशुं माई, पास में बा पोता पोती !!
फुटल किस्मत जरल करम, भईनी हम मजबूर !
राह जोह माई, आई बेटा एकदिन जरुर !!
काश होखती तहर, अंचरा के छाव में !
खेलती कूदती घर दुवारे, पुरा गावं में !!
धीरज रख माईs, साथ में नईखी अबो भी !
याद में दुबल हई, दूर बानी तबो भी !!
सुख के बास दुःख के नाश, ईहे बा हमर आश !
बा प्रयास होखेम एकदिन, तहर सपना में पास !!
दुलार के बा लिहाज़, मत होखिह हम से नाराज़ !
फेरु से तहर गोदिया में, करेम हम राज़ !!
साथ रही जबतक आशीर्वाद, होखेम न कबो बेकार ! दू साल के बाद आईब घर, ईहे बा समाचार !!
(4)
पढ़ लिख के गदहा
जवना समय में रही हम देहात,
कवि होखे खातिर दिल रहे बेताब.
जब करीं आगे बढे के प्रयास,
लोग कहे अभी काटऽ जा के घास.
सोचनी काहे ना चल जाईं उहवाँ
भोजपुरी के सेवक नइखन जहवाँ.
कुछे दिन में हो जाईब उहाँ आदमी,
सभे कही हमरा के बड़का भलादमी.
भाडा खातिर रहे ना चवन्नी अठन्नी,
घर से पैसा चोरा के पहुँचनी राजधानी.
बाप दादा के सम्पति से कइनी ऐश आराम,
कमइनी ना धमइनी, तबहूँ बा बड़का नाम.
का सुनाई, कइसे सुनाई आपन हाल,
शहरी हो गइनी, तबो बावे पहिलके चाल.
दसों साल हो गइल, तबो न सुधरल छवि.
दू चार लाइन लिखके समझेनी अपना के कवि.
एके जगे रह रह के देवेनी अंतरवार्ता,
कतना धूर्त बानी केकरो नईखे पता.
दोसर के सफलता देख के, होखेला जलन.
तबे त केहू कह देला खानदानी एकर चलन.
पढ़ लिख के लिहनी हम बड़का डिग्री.
तबो ना सुधरल चाल के सिक्री.
फूटल करम मिलल अईसन जगहा,
पढ़ लिख के हो गइनी साफे गदहा.
(5)
जूता
बुश पर बरसनी याद रखीहs
तोहरा पर न पड़े, फरियाद करीहs
अब त आदत हो गईल छरपे के
पड़ गइल गलती से त माफ़ करीहs.
सारा दुनिया में चर्चा आम हो गइल
बहादुर खुलेआम शर्मनाम हो गइल
प्रयोग भईल स्वागत में उनका
जूतो के अब बड़का नाम हो गइल.
कुछ जूतो बड़ा अजीब होला
कबो दूर त कबो नजदीक होला
नया में रोज पालिश से सफाई
पुरान में गरीब के नसीब होला.
पहिरऽ गोड़ में एके हथियार समुझ के
दुश्मन के पिटाई करी बुश के यार समुझ के
समय समय पर काम आई ई
मत फेंकीहऽ कचरा बेकार समझ के.
(6)
अनुभव नेपाल जनआन्दोलन २००६ के
काठमांडू गईनी,
मिलल काम जोड़े के कन्धी.
जोड़ते जोड़ते कन्धी,
होगईल अनिश्चित कालीन बन्दी.
सब केहू कहे
बन्दी होखे चाहे हड़ताल
ईहा काम चलेला सालोसाल.
सुन के दूर हो गईल
हमरो चिंता फिकिर आ गम
लेकिन कर्फ्यू के चलते
भितरे छूटे लागल दम.
कभी जुलुस कभी कर्फ्यू त कभी नारा.
आज खुली, बिहान खुली,
कहते कहते
पइसो ख़तम हो गईल.
ईहां एतना ना बदहाल
दुनिया भर के महँगी
कि केहू भईल कंगाल,
केहू भिखारी
त केहू जोगी.
नब्बे रुपये मट्टी तेल मिले,
अस्सी रुपये नून.
अईसनो संकट में लोग
गावे खली नेता लोग के गुण.
खूब कमइनी सिंगल,
डबल आ ट्रिपल झारी.
बाकिर
बइठ के खाते खाते
ख़तम हो गइल राशन सारी.
सांझ के सब आदमी कइलख लोग राय,
कइसहूं घर चले के
कईल जाओ हमनी कवनो उपाय.
घर लवटे खातिर ना मिलल
ना बस ना कोनो गाड़ी ना गाडा.
एगो मिलबो कइलख माइक्रो
त दिमाग ख़राब हो गइल
सुन के एक आदमी के चौदह सय भाडा.
बाकिर करतीं का,
चलहीं के पड़ल.
कमाये गइल रहीं.
करजा कमा के लवटि अइनी.
(7)
हाय हमर जान
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
कालहु हमरे साथ रहलू २
आजू कहाँ खो गइलू हो
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
तोहरा बिन जिनगी, भइल बेकार बा
न आँख में नींद, न दिल में करार बा
तोहरा बिन जिनगी, भइल बेकार बा
न आँख में नींद, न दिल में करार बा
कवन गल्ती के तु, सजा देताडू हो
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
संघे संघे रही हमनी, दुनु एके साथ
संघे जिए मरे के, खैनी कसम साथ
संघे संघे रही हमनी, दुनु एके साथ
संघे जिए मरे के, खैनी कसम साथ
काहे एतना तडपावताडू, लगा के दिल में आग हो
हाय हमर जान तु कहाँ चल गइलू हो
दिल बा सुना सुना, चेहरा अन्जाना
तोहर सिवा हमर, कही न ठिकाना
दिल बा सुना सुना, चेहरा अन्जाना
तोहर सिवा हमर, कही न ठिकाना
जल्दी आव तु, बैठल बानी लगा के आश हो
हाय हमर जान, तु कहाँ चल गइलू हो
हाय हमर जान-२ कहाँ चल गइलू हो-२ कहाँ चल गइलू हो
हाय हमर जान तु कहाँ चल गइलू हो -३
(8)
आज भइनी हम पराई
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
सदा खुश रहे खातिर, दs हमके आज दुहाई.
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
डोली जब हमर उठ जाई, केहु रोक ना पाई.
लोर नैना से बह जाई, देखते सुनत होखी बिदाई.
रोवला से रीत ना ओराई, मन के पंछी उड़ जाई.
डोली धीरे-धीरे जाई, याद तोहर खुब आई.
मन करी लौट आईं, लेकिन मुश्किल हो जाई.
तनका दिन खातिर हमके लिहs बोलाई.
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
दिल रोवऽता, मन तरसऽता, अंखिया से लोर गिरऽता.
घर आँगन भइल बेगाना, नइहर छुटल मिलल नयाँ जमाना
बचपन से खईनी तोहर कमइया, आज करावऽता सब समइया.
बाबुल घर पोसाइल देहिया, पराया घर हो ता बिदईया.
सुनलऽ तनी हमर कहनवा, उहाँ लागी जल्दी मनवा.
दिनवा धरावे खातिर लेके जल्दी अईह चौठी मिठाई.
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
मत रोवs बाबु जी, मत रोवऽ माई,
दुनिया के ई रीत केहु से ना मेटाई.
पोसपाल के जवान करबऽ, हाथ से एकदिन छुट जाई
केहु कुछ कर ना पाई, लेके डोली सजनवा बढ़ जाई.
रोवत रोवत कंठ सुख जाई, गाँव नगर सपना हो जाई.
सब जल्दी हमके भूल जाई, ससुरे में माई बाप.
ससुरे में भाई भौजाई,
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
सदा खुश रहे खातिर दs हमके आज दुहाई
आज भइनी हम पराई, करs अब हमरा के बिदाई.
(9)
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल
लाल पियर हरिहर रंग से दुनिया रंगा गइल,
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
नारी खातिर होला ई बहुत बड़ पर्व.
पति खातिर कइल ब्रत होला अपने में गर्व.
पार्वती के तपस्या सब नारिए में आ गइल.
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
पुश्तन से आ रहल, महत्त्व एकर अनमोल बा.
भादो चढ़ते चारू ओर बजल एकर ढोल बा.
खाइल, पियल, नाचल, नइहर के पहर आ गइल
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
कुवांरियन के भोला शिव जइसन वर मिले,
विवाहितन के फूल जइसन घर खिले.
दिल आज हमार सबका ला दुआ कर गइल,
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
बरिस बरिस दिनवा पर आवेला ई आँगन में,
पिछला सारा तीत मीठ भुलाई जाला लोगन में.
हँसी ख़ुशी सारा गाँव शहर हो गईल
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
तीज के तीनो दिन एकर बड़ा महातम,
शुक्ल द्वितीय, तृतीय, सप्तऋषि जेकरा नाम.
पूरा कइला के बाद पाव से सर हो गइल.
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
लाल पियर हरिहर रंग से दुनिया रंगा गइल,
देखऽ सखी तीज के लहर फेरु आ गइल.
(10)
दीदी तु माई के मन मत रोवइहs
दीदी तू माई के मन मत रोवइहs
अबकी तीज में नइहर जरूर अइहs
हम बानी परदेश में, तू बाड़ू देश में
भाई त ना आ पाई, तू जइहs रेस में
बिरह में डूबल माई के तन मत गलइहs
अबकी तीज में नइहर जरूर अइहs
हमनी फलल फूलल, माई घर में बिया बीमार
सुख दुःख में साथ दिहs इहे बा निहोरा हमार
राह जोहत होखी माई आस, निराश मत करीहs
अबकी तीज में नइहर जरूर अइहs
मुश्किल में पड़ जाला जीवन बेमतलब के प्रचार से
समाज भी दूर हो जाला अपना दुनिया जहान से
अपना आस्था के धरोहर हिले मत दिहs
अबकी तीज में नइहर जरूर अइहs
दीदी तू माई के मन मत रोवइहs
अबकी तीज में नइहर जरूर अइहs
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नूर आलम बादशाह,
मुकाम : कोतवाली ९, जमनिया बारा, नेपाल
(नूर आलम बादशाह के ई सगरी कविता दुनिया में भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट anjoria.com के पुरनका संस्करण में प्रकाशित भइल रहली सँ. तब अंजोरिया एचटीएमएल में बनावल जात रहुवे.बाद में जब वर्डप्रेस के सुविधा मिल गइल तब नयका संस्करण वर्डप्रेस में बनावल जा रहल बा. पुरनका संस्करण के सामग्री गँवे गँवे एह ब्लॉग पर अंजोर कइल जात रहेला. अबहियों बहुत कुछ बाकी बा. एहसे आवत जात रहीं.
- संपादक)