कविता
झरताटे चानी के फुहार
बद्री नारायण तिवारी ‘शाण्डिल्य’
डम-डम डमरू बजावता सावनवा,
झरताटे चानी के फुहार.
ओढ़ले अकास चितकबरी चदरिया,
मांथवा पर बन्हले बा धवरी पगरिया,
झरताटे मउसम जटवा से मोतिया,
गेरू रंग कान्हवा पर भिंजली कांवरिया,
पियरी पहिरि बेंग पोखरी के भिंटवा,
मांगतारे मेंहवा के धार.
झरताटे चानी के फुहार.
गोंफिया जनेरवा के फूटता धनहरा,
कजरी के रगिया रोपनिया के पहरा,
डढ़ियन अमवा के झुलुहन में होड़ बाटें,
पंवरत पंखिया पर चोचवन के लहरा,
बनवा में मोरवन के फहरे पतकवा,
बरिसे रूपहला बहार.
झरताटे चानी के फुहार.
अंगना बडे़रियन से झरना के ताखा,
ओरियन से चूवता सनेहिया के हाखा,
पनिया बहारे धनि जमकल मोरिया,
थाकि-थाकि जाले, नाही रूके रे जुवारवा,
फरकत चोलिया के आड़ले हिलोर,
जाने कबे आयी डोलिया सुतार.
झरताटे चानी के फुहार.
खोंतवा में कोइलरि कागवा के बोलिया,
ठोरवा पर गुदियन के थिरकन-ढोलिया,
चातकी के सूखल नरेटिया जुड़ाइल,
कुंचियन से कवियन के उतरलि खोलिया,
फुटे लागल छने-छने कुसुमी कियरियन,
खुशबू के कुंइयन उभार.
झरताटे चानी के फुहार.
देरि ना मकइयन से छोंड़ि भरि जइहें,
जोन्हरी के बलिया से मइनी अघइहें,
पाकि जब धानवा कुवारवा के घामवा,
पीटि, धरि डेहरी, बंसुरिया बजइहें,
ढोलकी के धुन-मिलि झलिया के झंझना में,
मिटि जाई भितराके खार.
झरताटे चानी के फुहार.
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सम्पर्क: द्वारा श्री कमल नयन सिंह,
अवकाश प्राप्त कप्तान, धर्म भवन,
213, राजपूत नेवरी,बलिया-277001
(अंजोरिया डॉटकॉम पर अगस्त 2003 में अंजोर)
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