नयका कविता
झाह में जिनगी
- मलयार्जुन
शोर बा
मयना के मारण मंत्र क
डहर भुलाइल
लउर के हूरा
जूरा बान्हे
पर्स में राखत
मोबाइल
झीन
बीच बजरिया
देखा
बतियावत
केसे
जे पेंदी का हीन
बे पानी
कस ना मानी
नूर नुक्सा से गायब
कबले भौंह रंगाई
छेंकल बुढ़ापा राह
झाह में जिनगी
आग का खोरी
सुनी नु प्रलाप
के के रास्ता मिलल
फोफर.
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मलयार्जुन,
वरिष्ठ मनोरंजन कर निरीक्षक, बलिया
(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर नवम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)
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