आत्म निरीक्षण के जरुरत
- डा. राजेन्द्र भारती
भोजपुरी साहित्य अपना लमहर विकास यात्रा में अब अइसन मुकाम पर पंहुच गइल बा कि ओकरा के दोसरा भाषा के साहित्य का आगा ससम्मान राखल जा सकत बा. कुछ लोगन के कहनाम बा कि एकरा पर बाहरी प्रभाव पड़ रहल बा, जइसे उर्दू के गजल, जपानी के हाइकू आदि. त एहमें का नुकसान भा खराबी बा? कवनो भाषा के कवनो विधा के भोजपुरी में स्थान देवल भोजपुरी के प्रतिष्ठा के बाति बा, ओकरा साहित्य के विकास आ समृद्धि के सूचक बा. परहेज नकल से करे के चाहीं, ज्ञान से ना. भोजपुरी साहित्य के कुछ नया दिआई त उ भोजपुरी के उन्नयन ह, विकास ह, समृद्धि ह. हमरा समुझ से कवनो विधा के अपनावल भोजपुरी साहित्य के आगे बढ़ावे में मदद करी, एहसे परहेज ना करे के चाहीं.
आजु भोजपुरी के रचनिहार लोगन के आत्मनिरीक्षण के जरुरत बा, मिलिजुल के हर जगह अइसन मंच बनावला के जरुरत बा जेहसे जागरुकता बढ़ो, ज्यादा से ज्यादा लोग भोजपुरी साहित्य आ समाज से जुड़ो, तबहीं भोजपुरी के स्थिति सुखद होई.
राउरे -
राजेन्द्र भारती
--------------
(दुनिया के भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर ई जनवरी 2004 में अंजोर भइल रहल)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें