रविवार, 15 दिसंबर 2024

मत कहऽ जिनगी बेमानी बा : दू गो गजल

 (1)

मत कहऽ जिनगी बेमानी बा


- शिवपूजन लाल विद्यार्थी

मत कहऽ जिन्दगी बेमानी बा,
खाली धूप-छांह के कहानी बा.
मायूस मत होखऽ मंजिल मिली,
भले सफर में कुछ परिसानी बा.

एह पीरा के सईंचि के रखऽ,
उनकर जुल्मों-सितम के निसानी बा.
ई जनतंत्र बस कहे भर के बा,
आजो केहू राजा, केहू रानी बा.

हमेसे फस्ले-बहार ना मिली,
जिन्दगी में आन्हियो-पानी बा.
समेस्या से कटि के जूझऽ लड़ऽ,
मुंह चोरावल त नादानी बा.

आजादी से केकरा का मिलल,
उनका छत त हमरा पलानी बा.
मत कहऽ जिन्दगी बेमानी बा,
खाली धूप-छांह के कहानी बा.

(2)


दिल के दरद कहां ले जांई

दिल के दरद कहां ले जाईंं,
व्याकुल मन कइसे बहलाईं ?
खुद अन्हार में भटकत बानी,
कइसे उनका राह दिखाईं ?

छल-फरेब के कांट बिछल बा,
कइसे आगा गोड़ बढ़ाईं ?
पत्थर के घर, पत्थर इन्सां,
बिरथा आपन लोर बहाईं.

बाहर-भीतर सगरो खतरा,
कहंवां भागीं, कहां लुकाईं ?
मानवता के खून करत बा,
जाति-धरम के निठुर कसाई.
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शिवपूजन लाल विद्यार्थी,
प्रकाशपुरी, आरा, भोजपुर

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

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