सोमवार, 6 जनवरी 2025

हम गीत अमन के गाइला

 कविता

हम गीत अमन के  गाइला


- सुरेश कांटक



जब जब आकाश उदासेला,
हर राह अन्हरिया में होला,
हम आपन दिया जर्राइं ला,
हम गीत अमन के गाइला.

जब बाज झपट्टा मारेला,
बिखधर के फन फुफकारेला,
चिरईन से सांस मिलाईला,
हम गीत अमन के गाइला.  

होरी में धनिया रोवेले,
रो रो  के दुखवा धोवेले,
हम गोबर के गोहराईला,
हम गीत अमन के गाइला.

धरती जब फूंका फारेले,
कुंहंकत कोईल जब हारेले,
हम आपन कलम उठाईं ला,
हम गीत अमन के गाइला.

सागर में आगि लहक जाला,
गागर में बाति बहकि जाला,
हम बहकल के बहलाईं ला,
हम गीत अमन के गाइला.

जब बाघ बकरियन के खाला,
जब दूध बिलरिया पी जाले,
बछरन के नीन भगाईं ला,
हम गीत अमन के गाइला.
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कांट, ब्रह्मपुर, बक्सर - 802 112
(दुनिया के भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर ई जनवरी 2004  में अंजोर भइल रहल)

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