मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

एहसान

 कहानी

एहसान


- डॉ श्रीप्रकाश पाण्डेय

इ बइठक साधारण ना रहे. सत्ताधारी पार्टी के मुखिया अउरी उनुकर सब विश्वासी लोग बड़ा गम्भीर मुद्दा पर बातचीत करत रहे लोग. वइसे त उनुकर सरकार चार साल से चलत रहे अउरी पांचवा साल में चुनाव होखे के रहे. समस्या इ ना रहे कि चार साल में सरकार के काम काज निमन रहे कि बाउर, समस्या इहो ना रहे कि अगिला साल ओट में जीत मिली की हार. समस्या इ रहे कि अगर नेताजी फेरू मुख्यमंत्री ना बनब त का होई ?

इ समस्या मुख्यमंत्री के विश्वासी लोगन के सेहत से कवनो सम्बन्ध ना राखत रहे. इ त नेताजी के ‘परसनल’ समस्या रहे. लेकिन  विश्वासी चमचवनी के आपन विचार व्यक्त करे के मोका मिलल रहे त उ बड़ा गम्भीर मुद्दा बनवले रहले स. जइसे कि सामने प्रलय आवे वाला होखें अउरी इ ओह प्रलय से बचाव के राहता खोजत होख स.

एह बैठक में पांचे आदमी रहले. एगो खुद नेताजी, जवन चार साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहलन, दोसरका उनुकर हमजात व्यक्तिगत सचिव. तीसरका उनुकरे पार्टी के कोषाध्यक्ष. चउथका उनुका पाटी के प्रदेश अध्यक्ष आ पांचवा उनुकर भाई, जे अभी पनरह दिन पहिले एगो मेहरारू के बलात्कार अउरी ओहकर हत्या कइला के बादो मजा से घुमत रहले.

चार साल के सरकार चलवला में प्रदेश बीस साल पीछे चलि गइल रहे, इ उन्हन लोग खाती कवनो समस्या ना रहे. चार साल में अपराध में तीन गुना विकास भइल रहे, इ ओह बैठक के कवनों मुद्दा ना रहे. चार साल में प्रदेश के बिजली, सड़क, स्कूल अउरी रोजगार के सब व्यवस्था तहस-नहस हो गइल रहे, इहो कवनों बड़ बात ना रहे. चार साल से प्रदेश में गुण्डा राज चलत रहे, एह बात के कवनों चिन्ता नेताजी के ना रहे. चार साल में कतना किसान आत्महत्या कइले रहले, इ कवनो समस्या ओह बइठककर्ता लोग के ना रहे.

चार साल में प्रदेश में जवन भइल, तवन प्रदेश के लोग के बरबाद करे वाला काम भइल. इ कवनो ध्यान देबे वाला बात ना रहे. चार साल में नेता जी के पार्टी के लोग जवन मन कइल तवन नेताजी के आदमी होखला के नाम पर कइल, लेकिन नेताजी के ओह से कवनो परसानी ना रहे. त फेरू परसानी काथी के रहे?

बइठक में मुख्यमंत्री के सचिव जी बोलल शुरू कइले - ‘जइसन की रउआ सब जानतानी कि अगिला साल ओट होखे वाला बा. इ जरूरी नइखे कि जनता हमहनी के जिताइए दी. काहें से कि लोकतन्त्र में जनता बे पेनी के लोटा होली स. आजू रउआ संगे बिया काल्हू केहू अउरी के संगे होई जाई. चुनाव में हार-जीत नेताजी के कवनों समस्या नइखे, काहें से कि ओकर ठीका बाहर के लोगन
के दिया जाई. ओह खातीर नेताजी आपना खास अधिकारियन के ड्यूटी में लगा देबि. आ फेरू चुनाव चार साल बाद बावे ओकर चिन्ता करे खातीर हमनी के नइखीं जा बइठल. जइसन की रउआ सब जानतानी कि नेताजी कतना गरीब परिवार से रहनी आ इहां के बाबूजी खेत में मजदूरी कइले.........’

‘चूप ना रह सचिव. तहरा से इहे पूछाता कि नेताजी के बाबूजी का रहनी ? उहां के उपर कइगो हत्या बलात्कार के केस बा ? तू मेन बात बताव.‘ - मुख्यमंत्री के सचिव के बात काटि के प्रदेश अध्यक्ष फूफकरले.

‘हमार इ मतलब नइखे. हम चाहतानी कि रउआ सब मए बात ठीक से समझि जाई.’

‘त तू ई कहल चाहतारऽ कि जे गरीब होला ओकर लइका मुख्यमंत्री ना होले स.’ - नेताजी के भाई गरम होई गइले.

‘तू चूप रहऽ. जब तक पूरा बात समझि में ना आवे तब तक कहीं टांग ना अड़ावल जाला.’ - नेताजी आपन भाई के समझवले.’ अब हमरे सब बात बतावे के परी. इ ठीक बा कि हमार जीवन खुलल किताब हवे आ ओकरा के रउआ सभे खूब पढ़ले बानी. फेरू हम ओह के दोहरा देत बानी.‘

नेता जी आपन कहानी बखान करे लगलें -

‘बात ई ओहिजा से शुरू होखल जब हम दस बरिस के रहनी आ मुन्ना दू बरिस के.’ - नेता जी अपना छोटा भाई के एहि नाम से पुकारत रहनी.

‘ओह दिन हम बेमार पड़ल रहनी आ माई-बाबूजी हमरा खटिया के लगे हमरा ठीक होखे के आशा लेके बइठल रहल लोग. तबियत में कुछ सुधार रहे तबे गांव के धनिक हमरा घरे अइले आ हमरा बाबूजी से कहलें कि का रे शिवधनिया, आजू का करत रहले हा कि काम प ना अइले ह ? ’

‘ओइसे त उ धनिक आदमी के उमिर हमरा बाबूजी से कमे रहे, लेकिन बाबूजी हाथ जोरी के कहले कि मालिक लइका के तबियत खराब रहल ह, ओहि बिपति में फंसि गइल रहनी हा. आतना सुनला के बाद उ धनिक कहले कि तोरा अपना लइका के फिकिर बा आ हमार काम के नइखे ?’

‘ई बात नइखे मालिक.’

‘त कवन बात बा ?’

‘मालिक हमार लइका............’

‘चूप. चलू हमरा संगे आजू ढेर जरूरी काम बावे.’

‘लइका के छोड़ि के ?’

‘हं.’

‘ना मालिक अइसन मति करीं.’

‘ते ना चलबे ?’

‘ना.’

‘बाबूजी के अतना कहते उनुकर लात-मुक्का से स्वागत शुरू हो गइल. उ तब तक ओह धनी आदमी के लाख प्रयास के बादो लात खात रहि गइले जब तक कि उ हांफे ना लागल.’ - ई कहि के नेताजी के आंखि डबडिया गइल. माहौल गमगीन हो गईल. आंखि पोछि के नेताजी फेरू शुरू हो गईलन -

‘हम पढ़े में तेज रहनी लेकिन पेट भरे के काम आ पढ़ाई एक संगे ना चलित. लेकिन तबो हम हिम्मत ना हरनी. दुख त एह बात के रहे कि उ आदमी अक्सर बाबूजी के मारे. एक दिन इहे होत रहे त उ हमरा से बरदास ना भइल आ लेहना
काटे वाली गड़ासी से ओह आदमी के गरदन काटि दिहनी. चौदह बरिस में पहिला खून. तब से कहां के पढ़ाई ! एगो ई धन्धे शुरू हो गइल खून करे के.

हमरा लगे एक से एक नेता लोग के बुलावा आवे आ हम उन्हन लोग के जीतावे के ठीका लीहीं आ आपना गिरोह  के आदमी से बूथ कैप्चरिंग करा के जीतवाईं.

एगो समय अइसन आइल कि हमार जीतवावल चालीस पचास के करीब विधायक जीते लगलें. हमरा के पईसा, लईकी देबे के, आ कानून से बचावे के काम ओहि नेतवन के रहे. लेकिन ई कब तक चलित. इ बात हमरा समझि में आ गइल कि हमरा जीतववला से इ विधायक मंत्री बनि सकेलन स त हम काहें ना ?‘

नेताजी कुछ देरि सांस लिहनी, बाकिर चारो आदमी एह रूप में नेताजी के बात सांस रोकिके सुनत रहे लोग जइसे कवनो जासूसी धारवाहिक देखत होखस लोग.

‘एकरा बाद जवन भइल ओकरा से रउआ सभ परिचित बानी. अब हम मेन बात पर आवऽतानी. राजनीति में आके हम विधायक, मंत्री, आ मुख्यमंत्री तक पहुंच गइनी. मुख्यमंत्री के रूप में तबादला, कमीशन आ कई तरीका के गलत काम से हम अरबो रूपिया कमइनी. बस इहे रूपिया हमरा चिन्ता के जरि बा.

‘भइया हमरा तहार बात समझि में नइखे आवत रूपया तहरा के काहें परसान कईले बा.’ - मुन्ना कुछु ना समझले.

‘मुन्ना बात ई बा कि केन्द्र सरकार हमरा सेे टेढ़ नजर राखेले आ ओकरा जब मोका मिली हमार सरकार के बरखास्त कइके राज्यपाल के देख-रेख में ओट करवाई. तब जरूरी नइखे कि जवन हमनी के चाहबि जा तवने होई. अगर दोसर सरकार आई त एह धन के लुकवावल मुश्किल हो जाई.’

एका-एक जइसे सब नींद से जागल आ आपन माथा पीट के लगभग समवेत आवाज में बोलल लोग कि ई बात त हमनी के समझिए न पवनी हा जा.’

‘अब समझि में आ गइल होखे त रउआ सब एह धन के सुरक्षित करे के कवनो उपाई बताईं.’

बइठक में चुप्पी छापी लिहलसि. सब आपन-अरपन दिमाग खपावे लागल. लगभग पनरह मिनट के चुप्पी के बाद नेताजी के नीजि सचिव बोलले कि - ‘श्रीमान एगो उपाई बा कि ओह धन के अधिकांश हिस्सा सफेद बना दिहल जाई.’

‘लेकिन एह में बहुते धन टेक्स में चलि जाइ.’ - कोषाध्यक्ष आपन चिन्ता प्रकट कईलन.

तले प्रदेश अध्यक्ष बोलले - ‘आ फेरू इ समस्या बा कि आतना धन आइल कहां से ? इ कइसे देखावल जाई ?’

‘इ समस्या के समाधान हमरा लगे बा. पहिले नेता जी तैयार होखीं तब !’

नेताजी कुछ सकुचइले, सोचले, फेरू मुह खोलले - ‘इ बात ठीक बा कि जब तक
हम्हनी के सरकार बिया जवन मन करऽता करत बानी जा. लेकिन काल्हू के देखले बा ? अगर बात टैक्स दिहला के बा त जेल गइला आ पइसा छिनइला से अच्छे नू बा. हमरा तहार विचार नीक लागत बा. तू आपन योजना के खुलासा करऽ.’

‘नेताजी के लगे जतना धन बा ओकर खुलासा करे के एगो उपाई बा कि आजुए से नेताजी पूरा प्रदेश के तूफानी दौरा करीं. हर बलाक, हर कस्बा, इहां तक कि हर गांव में सम्भव होखे त राउर कार्यक्रम लागे. ओह पार्टी में कार्यक्रम में इ पहिले से घोषणा होखे कि रउआ पाटी के लोग रउआ के चन्दा दी. उ चन्दा त नाम मात्र के रही. रउआ चाहीं त मंच से लाखन रूपया के घोषणा करि सकेनी. आ फेरू दू महिना बाद राउर जन्मदिन बा. ओह जन्मदिन में राउर पार्टी के विधायक, मंत्री, जिलाध्यक्ष आदि से चन्दा मांगी. चन्दा मिले कम ओकर सरकारी घोषणा अधिक होखे. इ अब राउर मर्जी कि रउआ कतना के टैक्स देत बानी आ फेरू उपहार के देता, कतना देता, एकर हिसाब के राखेला ?‘

इ कहि के निजी सचिव विजई मुद्रा में सबके देखले. सब हल्का सा मुसुकाइल आ सबके नजर नेताजी पर टिक गइल. नेतोजी मुसकइलें.

सब कुछ ठीक हो गइल. एह काम में ध्यान देबे वाली बात ई रहे कि नेताजी के देशभक्ति मुअल ना रहे. एकर प्रमाण इ रहे कि उ अउरी लोगन नियर आपन धन ‘स्वीस’ बैंक में ना रखले. नेताजी के ई एहसान देश पर हमेशा रही.
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डॉ श्रीप्रकाश पाण्डेय,
एमए, पीएचडी, त्रिकालपुर,
रेवती, बलिया, उ.प्र.

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  नवम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

देवी गीत

 देवी गीत

- कृष्णा नन्द तिवारी

(उर्फ किशन गोरखपुरी)

माई शेरावाली क पूजिला चरनियां
कि सुति उठिना .
माई दीहितीं दरशनियां कि सुति उठिना,
हो कि सुति उठि ना ..
लालि रंग चुनरी आ नारियल चढ़ाईला.. .
माई के दुअरिया पे सिरवा झुकाइला ..
माई लेहड़ावली क धरीला शरनियां,
कि सुति उठिना .माई दीहितीं दरशनियां 0
धूप-अगरबतिया ले माई के देखाइला .
रउरे मंदिरवा में असरा लगाइला..
माई विन्ध्याचली जी के करीला भजनियां,
कि सुति उठिना. माई दीहितीं दरशनियां 0
नवरात्रि माई के पूजन जे करावेला .
मय पाप कटि जाला,
सुखी जीवन पावेला ..
गावेलन ‘किशन’ माई सगरी कहनियां,
कि घूमि-घूमिना .
माई दीहीती दरशनियां कि सुति उठिना,
हो कि सुति उठिना ..
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कृष्णा नन्द तिवारी,
पुलिस चौकी, सतनी सराय, बलिया.कहानी
(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  नवम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)



झाह में जिनगी

 नयका कविता

झाह में जिनगी


- मलयार्जुन



शोर बा
मयना के मारण मंत्र क
डहर भुलाइल
लउर के हूरा
जूरा बान्हे
पर्स में राखत
मोबाइल
झीन
बीच बजरिया
देखा
बतियावत
केसे
जे पेंदी का हीन
बे पानी
कस ना मानी
नूर नुक्सा से गायब
कबले भौंह रंगाई
छेंकल बुढ़ापा राह
झाह में जिनगी
आग का खोरी
सुनी नु प्रलाप
के के रास्ता मिलल
फोफर.
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मलयार्जुन,
वरिष्ठ मनोरंजन कर निरीक्षक, बलिया

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  नवम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

रविवार, 15 दिसंबर 2024

परबतिया

कहानी

परबतिया

- डॉ जनार्दन राय

भोर होत रहे. मुरूगा बोलल - कुकू हो कू. लाली राम बाबा का इनार पर नहात खाने गवलनि - ‘प्रात दरसन दऽ हो गंगा, प्रात दरसन दऽ’. भोर का भजन में मस्त लाली के गवनई खाली उनहीं के ना, चिरई-चुरूंग, जड़-चेतन, मरद-मेहरारू सभकरा दिल में पइठि के गुदगुदी पैदा कइ दिहल करे. लाली गिरहथ रहलन. उनुकरा गांव का लन्द-फन्द से कवनो ढेर मतलब ना रहे. दिन में मजूरी आ सांझि खानेे नहा धो के अक्सर गावल करसु -

‘कह कबीर कमाल से, दुइ बात लिख लेइ.
आये का आदर करें, खाने के किछु देइ.’

कबीर कमाल से आ हम उनहीं का बाति के दोहासत बानीं - ‘जे केहू दुवारे आवे, ओके इजति से बइठाईं आ जवने नून रोटी बा, सिक्कम भर पवाईं.’ एह बानी के जे मानी, ओकरा पानी के रइछा परवर दिगार काहे ना करिहे !

एक दिन भोर में लालीबोे पिछुवारा से लवटला का बाद अपना पतोहि से कहली - ‘ए दुलहिन! दुअरिया में डोर बा, गगरिया लेइ के तनी इनरा से लपकल पानी ले ले आव, नाहीं त काली माई के छाक देबे में देरी हो जाई. कहिये के भरवटी ह, आजुले अबहीं पूरा ना भइल.’

का जाने काहें दो, ओह दिन उ असकतियात रहली बाकिर सासु का हुकुम के टारल उनुका बस के बाति ना रहे. डोर कान्हि पर, गगरी करिहांन पर धइ के चलि दिहली. गोड़ लपिटात रहे, पुरूवा के पिटल देहिं, पोर-पोर अंइठात रहे. लसियाइल त रहबे कइल बाकिर कवनो ढेर फिकिर ना रहे काहे कि उनुका पेट में भगवान के दिहल फूल अब विकास पर रहे. गोड़ भारी भइ गइल रहे. सासु का चुपे-चुपे कबो-कबो करइला के सोन्ह माटी जीभि पर धइ के सवाद लेइ लिहल करसु. जीव हरदम मिचियाइल करे. सासु एहपर धियान
ना देसु. बाकिर एक दिन रहिला में से माटी बीनि के दुलहिन अपना फाड़ में धरत रहली, एके लाली बो देखि लिहली आ पूछली, ‘काहो दुलहिन, कवनो बाति नइखे नू?’ एतना सुनते घुघुट काढ़त तनिकी भर मुसुकाई दिहली. पतोहि के हंसल आ संगही लजाइल चुप्पी संकार लिहलसि कि किछु न किछु बाति जरूर बा.

भइल का कि डोर में गगरी के मेहंकड़ फंसाई के इनार में लटकाइ के पानी भरल गगरी जेवहीं खिंचे के मन कइली, मूस के कुटुड़ल डोरि भक् से टूटि गइल. गगरी इनार में आ देहि जगति से भुइंया गिरि के चारू पले परि गइल. आंखि ताखि टंगा गइल. मुंह प एगो अजबे पियरी पसरि गइल. कुल्ला गलाली करे आ किछु लोग पानी खाति इनार पर जुटे लागल रहे बाकिर अबहीं मजिगर भीड़ ना रहे. जेतने रहे अरहि अरहि, हाय हाय करे खातिर कम ना रहे. बड़इया बो बड़ फरहर मेहरारू रहे. चट देने लाली का पतोहि के मुड़ी जांघि पर धइ के सुहरावे लागलि. मीजत, माड़त, सुहुरावत कवनो देरी ना लागल.

दू-तीन पहर में उनके देहिं कौहथ में आ गइल, तबले लालीबो पहुंचली आ कहली कि - ‘का ए दुलहिन, एनिये आके ई कवन मेला लगा दिहलू हऽ, तह के कवनो काम भरिये हो जाला.’ तले बुढ़उ कहलनि - ‘ना चुप रहबू, देखते बाड़ू की पतोहि जगति पर से ढहि के बेहोस परल बिये आ तूं अपना मन के पंवरी पसरले बाड़ू.’ एतना सुनते लाली बो हक्का-बक्का हो गइली आ रोवते में रागि कढ़वली - ‘बछिया हो, बछिया.’ तले फेरू बुढ़उ डपटलनि. लाली बो सिट्ट लगा गइली. उ चुप त जरूर हो गइली बाकिर कोंखि में परल फूल
के ले के चिन्ता गरेसले रहे, जवन कहे लायेक ना रहे बाकिर पतोहि के लूर सहुर गुन गिहियांव आ पानी खातिर अर्हवला के ले के लाली बो भितरे-भीतर कुंथत रहली. ना किछु कहिये जा ना रहिये जा. संपहवा बाबा, राम बाबा, सकड़ी दाई, काली माई, गंगाजी, सातो बहिनी, सत्ती माई, सभकर चिरउरी मिनती भइल. किछु देरी का बाद बड़इया बो कहलसि - काहो? देहिं काहें छोड़ ले बाड़ू? तनी टांठ होखऽ. हिम्मत बान्हऽ. देखते बाड़ू कि सासुजी छपिटाइ के रहि गइल बाड़ी . एतना सुनते पतोहि लमहर सांसि लेइ के
कहलसि - ‘ जिनि घबराईं, काली का किरिया से किछु ना होई. नहाईं, धोईं. छाक देईं, सब ठीक बा.’

पतोहि घरे गइल आ लाली बो ओह दिन भुंइपरी क के परमजोति का थाने गइली. सांझि सबेरे मनवती - भखवती होखे लागल. पियार से पखाइल, सनेह से संवारल, चूमल-चाटल देहि देखे लायेक हो गइल. सुख के दिन सहजे सवरे लागल. दुख बिला गइल. दिन बीतल देरी ना लागे. एक दिन उहो आइल जब भोर में लाली बो के पतोहिं का कोंखि से लछिमी के जनम भइल. धूमन बाबा बीतल बातिन के त बतइये देसु, अगवढ़ के जेवन फोटो खींचस उ साल छव महीना में साफे झलके लागे. एसे उनुकर मोहल्ला में बड़ा इज्जत अबरूह रहे. उहां का ए कदम साधु मिजाज के असली फकीर रहलीं. का मियां-हिंदू, ठाकुर-ठेकान, बाम्हन-भुइहार, धुनिया, नोनिया, कमकर, कुर्मी, कोहार, सभकर भला मनावल उहां के सहज सुभाव रहे. पूख नछत्तर में जनमल परबतिया अब धीरे-धीरे दिने दूना रात चउगुना संयान होखे लागल. किछु बूझल, समुझल, समुझावल आ अपना बेहवार से दूसरका के खुस कइ दिहल ओकरा खातिर सहज बाति रहे.

टोल, महाल, आपन, पराया, घर-दुवार सभ के अपने बूझे. अब अइसनों दिन आइल जे एकरा से थाना, पुलिस, पियादा, सभ केहू थहरा जा. थथमि जा. पढ़ि-लिखि के परबतिया परिवार के चौचक बना दिहलसि. माई-बाबू, घर-गांव, सभकरा संगे रहते परबतिया कविता करे के सीख लिहलसि. समाज में इज्जत के डंका बाजि गइल. एक दिन गांव के परधानों बनि गइलि. मुखिया, हाकिम-हुकाम सभे केहू आवे लागल. कविताई का ललक में एक दिन ‘परबतिया’ परानपुर का पोखरा पर बनल इसकूल का कवि सम्मेलन में चलि गइल आ सुर-साधि के गवलसि -

हमरे सिवनवां में फहरे अंचरवा,
फहरि मारेला हो, लहरि मारेला!

एतना सुनते ‘परबतिया’ का आंचर पर मुखिया जी के क्रूर नजर परि गइल आ ओही दिन से ओके धरे बदे कवनो कोर कासर ना छोड़लनि. गोटी बइठावे लगलन आ अइसन बइठल कि मुखिया जी एक दिन मंत्री बनि गइलन. अब ‘परबतिया’ पर डोरा डाले में चार चान लागि गइल. दिन-दिन परबतिया बढ़े लागल. रूप, गुन, जस, पद, मये में विस्तार होखे लागल. ‘परबतिया’ गांव में सड़क बनावे बदे एक दिन मंत्री जी का बंगला पर चढ़ि गइल. ‘परबतिया’ आखिर मेहररूवे न रहे. रूप गुन रहबे कइल. जाने-अनजाने ‘परबतिया’ मंत्री का कामातुर हविश के शिकार हो गइल. लोभ-लालच में उ किछु ना कहलसि. कुंवार मंत्री जी बियाह के प्रस्ताव दे के ‘परबतिया’ के घपला में रखले रहि गइलन. पेट में परल बिया जामे लागल. जइसे-जइसे दिन बीते लागल चिंता बढ़े लागल. एक दिन परबतिया हिम्मत बान्हि के बियाह वाला प्रस्ताव के रखलसि. मंत्री जी टारे लगलनि आ एक दिन उहो आइल जब उ अपना परबतिया का पेट में परल पाप के छिपावे बदे पोखरा में अपना गुरूगन से जियते गड़वा दिहलनि.

लइका, बूढ़, जवान, पुलिस, पियादा, गांव, जवार सभ जानल एह कांड के. बाकिर मंत्री जी का डर से केहू सांसि ना लिहल. उनुकरा पेशाब से दिया जरेला. डर का मारे अइसन जनाला कि हवो थाम्हि जाई. नीनि में परल परान कबो-कबो अइसन चिहुकेला जइसे केहू झकझोरि के जबरिया जमा देले होखे. जिम्दारी टूटि गइल. देस अजाद हो गइल. सभ केहू अपना घर-दुआर के मलिकार हो गइल. कहे सुने के अजादी हो गइल. बाकिर ई नवका करिक्का अंगरेज फफनि के बेहया लेख एतना जल्दी पसरि गइलनि स कि किछु कहात नइखे.

सुराज जरुर मिलल, बाकिर एह बदमासन का चलते आम आदमी का जिनिगी में कवनों बदलाव नइखे लउकत. हमरा परोस का परबतिया अइसन गंवईं के लाखन गुड़िया, धनेसरी, तेतरी, बहेतरी, अफती, लखनवती, लखिया, हजरीआ रोज रोज बदमासन के हविश के शिकार हो रहल बाड़ी स. बाकिर मंत्रीजी का तुफानी हवा का आगे गरीबन क बेना क बतास का करी? शासन पर काबिज बदमाश, थाना पर मनियरा सांप लेखा फुुंफुकारत थानेदार, पाजी पियादा, नशा में मातल मंत्री, इसकूल में बदहवाश मुदर्रिश, बेहोश वैद जीप कार के नसेड़ी डरेबर, केकर-केकर बाति कहीं, सभे कहूं कवनो अनहोनी का डर से चुप्पी सधले बा. नाहीं त सुपुटि के जीव चोरावत बा. अइसना बदहाली में केहू किछु कह ना पाई, बाकिर हमरा इत्मीनान बा कि अइसहीं मनमानी-बेवस्था ना चली. एक न एक दिन बदलाव जरूर आई.

पितरपख का निसु राति में पोखरा का जलकुंभी से कबो-कबो छप्प-छप्प क सबद सुनाई परेला. कबो-कबो त एको जनमतुआ निराह राति में पहर-दू-पहर भर केहां-केहां करेला. अइसन बुझाला कि ओह जनमतुवा के चुप करावे बदे परबतिया पुरूवा हवा का पंख पर चढ़ि के मंत्री जी से बदला लेबे खातिर छिछियाइल फिरेले. जब भोर होखे लागेला त जनाला कि जनमतुआ थाकि के सुति गइल आ परबतिया एक दम शांत भाव से लिखल चिट्टी पढ़ि-पढ़ि के सुनावे लागे ले -

प्रिय मंत्री जी!
याद बा नू उ दिन जब आप हमरा संगे..... वादा कइले रहलीं कि सूरूज एने-ओने भले हो जइहें, चान भलहीं टसकि जइहें, ध्रुवतारा खिसकि जाई, गंगा के धार बदल जाई, बाकिर हमार पियार अमिट रही, अमर रहि. का उ दिन भुला गइलीं ? हम आपे का इंतजारी में पोखरा का कींच-कांच, पांक पानी में परल बानीं. का होई ए देहि के ? का होई एह अबोध जनमतुआ के ?

ई का बिगरले रहे जे एके आप एह दिन के देखवलीं ? आप याद राखीं अर्जुन का बेटा का माथे मउर ना बन्हाई, कर्ण के कवच भलहीं कवनों कामे ना आई, बाकिर आप इहो
समुझि लेइब कि कबुर का आह से उपजलि आग में पूंजीवादी बेवस्था जरि-जरि के राखि हो जाई आ माथ के मुकुट गंगा का अरार लेखा भहरा के मटिया मेट हो जाइ. देस समाज गांव गंवई के बेवस्था चोटी से ना चली. इहो जाने के परी की शासन वेवस्था में लागल अदीमी के लंगोटी के बेदाग राखे के पारी आ बेदाग ना रही त झंउसहीं के परी.

आपे के परबतिया

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- डॉ जनार्दन राय,
काशीपुर नई बस्ती, कदम चौराहा,
बलिया - 277 001

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  नवम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)
 

बारहमासा

कविता

बारहमासा

- सुरेश कांटक


 

करेजवा साले, ए मोर राजा,
बितल साले-साले ए मोर राजा.
रंग-राग ले ले के, तरसल फगुनवा
राजा बसंत सजल, धरती के धनवा
बिगड़ि गइल चाले, ए मोर राजा.

चईत महिनवा विरहवा सतावे
अलसल भोरवा के पुरवा चेतावे
भुलइलऽ कवना जाले, ए मोर राजा.

दंवरी-दंवात बइसाख दिन-रतिया
घमवा में बिगड़ेला सभके सुरतिया
हो गइनी बेहाले, ए मोर राजा.

जेठवा के लुकवा झंकोर देलस देहिया
नदी-नारा सुखल, दरार भइल नेहिया
पड़ल छाले छाले, ए मोर राजा.

उमसल असढ़वा बेहाल भइल हलिया
फिस-फुस घमवा, बेकल गांव गलिया
उड़ावऽ मत गाले, ए मोर राजा.

सावन के बदरा गरजि के डेरावे
बियवा डलाला, कजरिया ना भावे
देखावे रूप काले, ए मोर राजा.

भादो में कड़के आ बरिसे बदरिया
रोपनी आ नदी-नार भरल अहरिया
बजावे झिंगुर झोल, ए मोर राजा.

घमवा कुआरवा दशहरा ना भावे
रेंड़ा प धनवा आ धरती सुखावे
सपन हाथी पाले, ए मोर राजा.

कातिक में मुंह खोल ताकेला धनवा
फुलवा के असरे टंगाइल परनवा
झरेला ओस खाले, ए मोर राजा.

अगहन में कटिया आ गोलहथ सोहावे
ठंढी बयरिया जियरवा कंपावे
बजावऽ मत ताले, ए मोर राजा.

पुसवा के फुस दिन चइती बोआइल
जड़वा में जोड़ी बिना, मन घबड़ाइल
कमइया के खालें, ए मोर राजा.

माघ के टुसरवा पुअरवा ओढ़ावे
चलिया तोहार तनिको नाही भावे
भइल जीव के काले, ए मोर राजा.

अबहूं से आवऽ ना देखऽ सुरतिया
मोहले बिया तोहे कवन सवतिया
जइब नरक-नाले, ए मोर राजा.

कांटक चिरइंया उड़ी जब अकासे
धरती सरापी, रही ना कुछ पासे
रही काले काले, ए मोर राजा.
------

सुरेश कांटक,
कांट, ब्रह्मपुर, बक्सर, बिहार - 802 112

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

मत कहऽ जिनगी बेमानी बा : दू गो गजल

 (1)

मत कहऽ जिनगी बेमानी बा


- शिवपूजन लाल विद्यार्थी

मत कहऽ जिन्दगी बेमानी बा,
खाली धूप-छांह के कहानी बा.
मायूस मत होखऽ मंजिल मिली,
भले सफर में कुछ परिसानी बा.

एह पीरा के सईंचि के रखऽ,
उनकर जुल्मों-सितम के निसानी बा.
ई जनतंत्र बस कहे भर के बा,
आजो केहू राजा, केहू रानी बा.

हमेसे फस्ले-बहार ना मिली,
जिन्दगी में आन्हियो-पानी बा.
समेस्या से कटि के जूझऽ लड़ऽ,
मुंह चोरावल त नादानी बा.

आजादी से केकरा का मिलल,
उनका छत त हमरा पलानी बा.
मत कहऽ जिन्दगी बेमानी बा,
खाली धूप-छांह के कहानी बा.

(2)


दिल के दरद कहां ले जांई

दिल के दरद कहां ले जाईंं,
व्याकुल मन कइसे बहलाईं ?
खुद अन्हार में भटकत बानी,
कइसे उनका राह दिखाईं ?

छल-फरेब के कांट बिछल बा,
कइसे आगा गोड़ बढ़ाईं ?
पत्थर के घर, पत्थर इन्सां,
बिरथा आपन लोर बहाईं.

बाहर-भीतर सगरो खतरा,
कहंवां भागीं, कहां लुकाईं ?
मानवता के खून करत बा,
जाति-धरम के निठुर कसाई.
---------
शिवपूजन लाल विद्यार्थी,
प्रकाशपुरी, आरा, भोजपुर

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

चिनगारी

लघुकथा

चिनगारी


- शिवपूजन लाल विद्यार्थी

हम आफिस के काम निबटा के पटना से  लवटत रहीं. ट्रेन में काफी देर रहे. करीब  तीन घंटा से प्लेट फारम प बइठल-बइठल बोर  होत रहीं. गाड़ियन के विलम्ब से चले के  सूचना सुनि-सुनि के भीतर-भीतर खीझ होत रहे  आ रेलवे प्रशासन पर पिनपिनाहट. समय  गुजारल बड़ा कठिन होत रहे. अगल-बगल में  कवनों जान-पहचान के अदिमीओ ना लउकत  रहे कि बोल-बतिया के समय काटल जाव.

बोरियत से जूझे खातिर आखिरकार बैग में  से एगो पुरान पत्रिका निकालि के उलटि पुलटि  करे लगलीं. बाकिर पत्रिका पढे में जी ना  रमत रहे. मन के बझावे खातिर झूठो-मूठो के  पन्ना उलटत रहीं.

तबे एगो युवती सामने आके खाड़ हो  गइल. हालांकि हमार नजर पत्रिका प गड़ल  रहे, मगर आहट से ओकर उपस्थिति के हमरा  आभास मिल गइल. अगर उ - ‘बाबू जी,  बच्चा बहुत भुखाइल बा. कुछ खाये के दीहीं’

कहिके आपन हथेली हमरा ओरि ना बढाइत त साइत हम ओकरा तरफ ताके के जरूरतो ना  समझतीं.

हम नजर उठवलीं. कोई तेरह-चउदह साल  के दुबर-पातर, बाकिर नाक-नक्श  के एगो सांवर लइकी डेढ-दू बरिस के एगो  मरियल अस बच्चा गोदी से चिपकवले खड़ा  रहे. ओकर कमसीनी आ कदकाठी देखिके हम  अन्दाजा लगावत रहीं कि कोरा में के बच्चा  ओकर भाई आ भतीजा हो सकेला. जिज्ञासा  वश हम पूछि बइठलीं- ‘ई बच्चा तोर भाई ह ?’

‘ना, बाबूजी , ई हमार आपन बेटा ह.’

ओकर ई उत्तर सुनि के हम भउचक रह  गइलीं. चिहाई के ओकरा ओरि गौर से ताके  लगलीं जइसे ओकर उमिर के बढिया से थाह  लगावे के चाहत होखीं. अतना कम उमिर के
लइकी के बच्चा ! घिन होखे लागल. करुणा  आ दया के जगहा घिरना आ उबकाई आवे  लागल. सोचे लगली - निगोड़ी के आपन पेट  भरे के ठेकाना नइखे. भीख मांगत बाड़ी. उपर  से कोढ़ में खाज के तरह ई बलाय ! पेट के  आगि से बेसी ससुरी के आपन तन के अगिन  बुझावे के पड़ गइल. एही उमिर से देह में  आगि लेसले रहे ! छि...छि..! भीतर-भीतर  हम ओकरा प झल्ला उठली. आ ना चहलो प  मुंह से निकल गइल- ‘तहरा पेट के भूख से  अधिक शरीरे के भूख सतावत रहे, देहे के  आगि के चिंता बेसी रहे ? आपन पेट भरत  नइखे, उपर से छन भर के सुख-मउज के फेरा  में  एगो अउर मुसीबत मोल लेहलू ?

हमार दहकत सवाल से उ तिलमिला  गइल. हमार बात ओकरा दिल प बरछी नियन  लागत. व्यंग भरल लहजा में हमरा प प्रहार  कइलस- ‘बाबू जी ई मुसीबत, ई बलाय रउवे  जइसन सफेद पोश लोगन के किरिपा ह. रउवे  सभे के जोर-जुलुम के निसानी - हवस के  चिन्ह - आगि के चिनगारी ह ई.

हम बेजबाब हो गइली. अइसन लागल  जइसे उ हमार नैतिक-बोध के गाल प कसिके  तमाचा जड़ देले होखे. अतना कहि के उ  हमरा भिरी से चल दिहलस. हम अइसे  अपराध बोध से भर गइली. सिर शरम से  झुक गइल.

हम ओकरा कुछ ना दे सकलीं, मगर उ  हमरा के बहुत कुछ दे गइल. हमरा चेतना के  एगो झटका, मन में ई सड़ल समाज का प्रति  घिरना आ छोभ. दिल के कोना में एगो  अनजान अस टीस अउर सोच के एगो नया  दिसा.
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शिवपूजन लाल विद्यार्थी,
प्रकाशपुरी, आरा, भोजपुर

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

आपन आपन सोच

 कहानी

आपन आपन सोच


- डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय



ई समाचार पूरा जोर शोर से फइलल. बाते अइसन रहे जेकरा से पूरा प्रशासन में  हड़कम्प मचि गइल. मउअत, उहो भूखि से, ई  त प्रशासन के नाक कटला के बराबर बा.  उहो ई खबर अखबार में निकलल रहे कि सुरखाबपुर में एक आदमी खाना के अभाव में  तड़प-तड़प के दम तुरि देले बाड़न. बात  अतने रहित त कुछ पूर परीत. बात एकरा से  आगे ई रहे कि उ आदमी दलित रहलन. ईंहा ई धियान देबे वाली बात बिया कि अउरी जात  रहित त कुछ कम बवाल होइत. लेकिन एहिजा  बात दलित के रहे, से हर राजनीतिक पार्टी  आपन-आपन रोटी त सेकबे करीत. कई पार्टी  के नेता दलित के सुरक्षा के ठीक ओही तरे आपन मुद्दा बना लिहले जइसे पाकिस्तान काश्मीर के आपन  मुद्दा बना लेले बावे. बड़-बड़ भाषण होखे लागल. सरकार पर  कई गो आरोप लागल. डी.एम. से लेके  चपरासी तक ओह दलित के परिवार के  सहायता करे के होड़ मचा दिहल. तुरन्त  जतना जेकरा बस में रहे सहायता के घोषणा  कइल. केहू ओकर लइकन के पोसे के  जिम्मेदारी लिहल, केहू घर बनवावे के. कहीं  से जमीन के केहू पट्टा लिखवा दिहल, त केहू  नगद सहायता दिहल. सरकारी मंत्री जी अइले  त घोषणा कइलन कि केहू के भूख से मरे ना  दिहल जाई. आ उहो सरकार के तरफ से  ओह दलित परिवार के चढ़ावा चढ़वले. सब  कुछ हो गइल. एह बीचे सब इहे सोचल कि  इ मुद्दा कइसहुं दबि जाई. ई केहू ना सोचल  कि आखिर ई भूख से मरे के मउवत कहां से आइल. खैर हमहूं अगर सरकारी कर्मचारी  रहितीं त सोच के कवनों जरूरत ना रहित.  हम त एह मामला के दबइबे करितीं. लेकिन  ई मौत टाले के कई बरिस से प्रयास करत  रहनी लेकिन उहे भइल जवन ना होखे के  चाहीं.

एह मउवत के बिया बीस बरिस पहिले  बोआ गइल रहे. जब चउदह बरिस के उमिर में  रामपति के बिआह बारह बरिस के सुनरी के  संगे तई भइल. चुंकि रामपति हमरा उम्र के  रहले त हम उनुका के जानत रहनी. उनका  बिआह के समाचार सुनि के हमरा बड़ा दुख  भइल. एह खातिर ना कि उनुकर बिआह चौदह बरिस में होत रहे बलुक एह खातिर कि उनुकर  बिआह हमरे उमिर के रहल त होत रहे आ हमार अबहीं तिलकहरूओं ना आवत रहले स.

ई दुख जब हम अपना चाचा से सुनवली त उ  कहले कि ‘‘आरे बुरबक तोरा त पढ़ि लिखि  के बड़ आदमी बनेके बा. उ त चमड़ा के काम करे वाला हवन  सं. उन्हनी के कइसहू बिआह हो जाता इहे  कम नईखे. उन्हनी के जिनगी के इहे उद्देश्य  बा कि खाली कवनों उपाई लगा के बिआह  कईल. अउरी भेड़-सुअर अइसन लईका  बिआ. एह से इ फायदा होई कि उन्हनी के  परिवार बढ़ि त लोकतन्त्र में पूछ होई.’

सुनरी के बारह साल के उमिर अउरी  ओह पर पियरी से जइसे देहि सूखि गइल होखे  ओह तरे बिना हाड़-मांस के काया बिआह के  बाद तुरन्ते गवना आ गवना के पनरह दिन  बाद उ खेत में काम करे पहुंच गइल. रामपति  कवनों पहलवान ना रहले. अभी त पाम्हीं  आवत रहे. लेकिन शरीर के भीतर अबहीं बीर्य  पूरा बाचल रहेे अउरी एहकर फायदा उ सुनरी  के देहि से एह तरे उठवले रहले जइसे केहू उखिं के चूसत होखे. लगातार पनरह दिन के  रउनाईल अउरी उपर से खेत में काम करे के  परि गइल. लाख कोशिश करत रहली, काम  ठीक से नाहिए होखे. एगो त मासूम कली  उहो रउनाईल. ओकर स्थिति देखि के हम  कहनी कि ‘‘तहरा से काम नईखे होत, तू घरे  चलि जा.’’ उ त शरमा के कुछु ना बोललसि  लेकिन ओकर सासू कहली कि ए बबूआ अगर  ई घरे चलि जाई त एकर मरद बेमार बावे  दवाई करावे के पईसा कहां से आई.’

‘बेमार बावे ? उ कइसे.’

‘इ बात तहरा ना बुझाई. बबुआ उ नान्ह  में बिआह होला त लड़िका अक्सर बेमार पड़ी  जालन स.’

‘काहे ? हमारा कुछु ना बुझाइल.’

‘तहार बिआह होई त समझि जईबऽ.’

आगे कुछु ना पूछि के हम चुप लगा  गइनी. लेकिन चमड़ा के काम करे वाला के लइका के बिआह होला  त काहे बेमार होलन स ई जानल जरूरी रहे.  ई बात हम चाचा जी से पूछनी त उ जवन  बतवले ओकर सारांश इहे रहे कि उन्हनी के  कम उमिर में बिआह होला. अउरी उ बिआह  के बाद के काम करे खातीर पूरा परिपक्व ना  होलन स एह कारण बेमार होखल इ कवनों  नया बात नईखे.

‘एहकर छुटकारा नईखे चाचा जी.’

‘बा बेटा’

‘उ का ?’

‘उ इ कि जेतना जनता अशिक्षित  बिआ उन्हनी के शिक्षित कइल जाउ. ई  बतावल जाउ कि बिआह के सही उमिर का  बावे तब जाके उ बिआह करऽ सँ.’

‘त ई कम उमिरे उन्हनी के बेमारी के  जरि बिया ?’

‘हं बेटा, एहि से हम तहार बिआह ना  कइनी हा. नाहिं त तहरो उहे हाल होईत.’

हम शरमा के इहे कहि पवनी - ‘चाचा  जी !’

बिआह के एक साल में एगो, तीन साल  में  दूगो,  साढ़े चार साल में तीन गो, छव साल में  चार गो, जब रामपति से सुनरी के लईका  हो गइल, त हम रामपति से कहनी -‘एगो त  तहार कम उमिर में बिआह हो गइल. अब  अतना जल्दी-जल्दी लइका होखी त कइसे  चली. आखिर त उन्हनी के पोसे में खर्चो  त  लागि.’

‘रउआ ओके का चिन्ता बा ? उ जनम  लेत बाड़न स त केहू के कई-धई के जीहन  स.’

‘लेकिन सोचऽ ओह में से एकहू आदमी  बनि पइहन स ?’

‘ई रउआ ठीक कहऽतानी. आदमी त रउरे सभे हईं. काहे से के रउआ बड़ आदमी नू हईं.'

 ‘ना हमार कहे के इ मतलब नईखे. हम  कहऽतानी कि कम रहितन स, पढ़ितन स आ,  ओह से आगे चलि के अच्छा जीवन जीअतन  स.’

‘रहे दीं-रहे दीं. हमनी के लगे कवन धन,  सम्पति बा. अगर भगवान अपना मन से संतान  देत बाड़न त ओह में राउर का जाता ?’

 रामपति आगे बहस के कवनों गुंजाइस ना  छोड़लन. बियाह के अठवां साल में पांचवा, दसवां  मे छठवां, अउरी बारहवां में सातवां लईका जब  सुनरी के भइल त उ ठीक ओही तरे हो गइल  जइसे पीयर आम हो जाला. रामपति त टी.बी के मरीजे हो गइलें. उनकर माई भोजन के  अभाव में पहिलहीं मरि गइल रहली. अब घरे  कमाए वाला केहू ना रहे. लईकन के केहू  खाए के कही से कुछ दे दीहल त ठीक, ना  त उ छोटे-छोटे लइका भूखे रहि जा स.  उनकर घर में टूटही पलानी अउरी एगो टूटही  खटिया के अलावा अगर कुछ रहे तो एगो  दूगो माटी के बरतन. आ ओकर हकीकत  बयान करत दरिदरता. एह बीचे एक दिन हम रामपति के घरे  एह दया के साथ गइनी कि उनका खातीर कुछ  दवा-दारू के बेवस्था कर दीं. घर में घुसते  खांसी के आवाज सुनाई दीहल. एक ओर  टूटही खटिया पर रामपति खांसत रहले. उनकर  मेहरारू लगे बइठल रहली आ उनकर चार पांच  गो
लइका पोटा-नेटा लगवले एकदम लगंटे आसे-पास अपने में अझुराइल रहले स.

रामपति के देखि के हम कहनी - ‘का हो रामपति, का हाल बा ?’’

रामपति हमरा किओर देखलें अउरी कहलें  - ‘रउआ व्यंग करे आइल बानी कि हमार हाल  पूछे ? रउआ सब के हमनी के खाइल पहिनल  त नीक नाहिए लागेला, भगवान दू चार गो  सन्तान दे देले बाड़न त रउआ सब के जरे के  मोका मिल गइल.’

‘हमार मतलब उ नइखे. हम त तहार  कुछु मदद कइल चाहऽतानी.’

‘धनि बानी रउआ आ राउर मदद. हमरा  केहू के मदद ना चाहीं.’ रामपति आपन मुंह  हमरा  ओरि से फेर लिहले.

‘तू सोचऽ. अगर तहरा कुछु हो गइल त  तहरा लइकन के का होई ?’

‘होई का ? जइसे भगवान देले बाड़न  ओहिसहीं जिअइहन. लेकिन रउआ चिन्ता मति  करीं.’

एही बीच उनुकर एगो लइका सुनरी के लगे  रोअत आइल अउरी कहलसि - ‘माई-माई खाए  के दे. भूखि लागल बा.’

‘हम कहां से दीं ? घरे बावे का ?’ -  सुनरी आपन दुख प्रकट कइली लेकिन उ  लइका रिरिआ गइल. नतीजा इ निकलल कि  ‘द खाएके’ मांगे के सजा चार पांच थप्पर खा  के भुगतल. ई घटना से हमरा ना रहाइल.

 हम पूछनी - ‘का हो रामपति, का एहि खातीर  उन्हनी के जनमवले बाड़ऽ ?’

‘रहे दीं. रहे दीं. रउरा जइसन हम बहुत  देखले बानीं. रउआ सब दोसरा के दुख देखि  के खूब मजा लेनी.’ -  रामपति के बोले  से पहिले सुनरी फुंफकार दिहली.

हम त घरे चलि अइनी लेकिन ओही  सांझ रामपति मरि गइले. ओकरा बाद सरकारी  आदमी अउरी राजनीतिक पारटीयन के नौटंकी  शुरू हो गइल. ऐह में जवन भइल उ देखि  के हम इहे सोचनी कि सुनरी आ रामपति के  परिवार अनुदान के ना सजा के पात्र बा. अगर  हमनी के इहे हाल रही ज देश के विकास  अउरी जनसंख्या कम करे के सपना अधूरा रहि  जाई.

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डॉ.श्रीप्रकाश पाण्डेय, एम.ए., पी.एच.डी
ग्राम - त्रिकालपुर, पो.- रेवती, जिला - बलिया

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

बुधवार, 11 दिसंबर 2024

सम्पादकीय का बहाने

सम्पादक के पन्ना

सम्पादकीय का बहाने

- डॉ. राजेन्द्र भारती

 ‘अंजोरिया डाट काम’ भोजपुरी भाषा के साहित्य, संस्कृति, भोजपुरी माटी आ तीज-तेवहार का संगे से दूर बसल भोजपुरिया  भाई-बहीन के आपन देस आ भोजपुरी माटी के  गमक, साहित्य, संस्कृति, आ तीज-तेवहार के  ईयाद दिवावल आपन कर्तव्य बूझत बा. भोजपुरिया लोग सगरे संसार में फइलल बा.  ओह सबलोग का लगे पंहुचे खातिर इन्टरनेट से  नीमन कवनो दोसर माध्यम नइखे. ई अलगा  बाति बा कि इन्टरनेट पर देवनागरी फान्ट के  समस्या एगो बड़हन समस्या बा. कुछ हद तक  एहकर आसान समाधान करे के कोशिश कइले  बानी जा बाकिर कुछ अक्षर दिहला में तबो  दिक्कत बा. जइसे कि ट आ र आउर ड आ  र के संयुक्ताक्षर. आशा बा कि रउरा सभे ए ह दिक्कत के समुझब आ हो सके त एहकर  कवनो आसान समाधान बताएम.

भोजपुरिया संस्कृति के रक्षा आ भोजपुरी  साहित्य के समृद्धी बदे इन्टरनेट के माध्यम से  आप सभे तक पहुंचेे के भरसक प्रयास  ‘अंजोरिया डॉट कॉम’ करि रहल बा. एह काम
 खतिर अपना तन-मन से जुटल प्रकाशक के  हम धन्यवाद देबे चाहत बानी जे सिर्फ भोजपुरी  के प्रति अपना प्रेम का चलते इ काम करत  बानी.

श्रद्धेय रचनाकारो लोग से निहोरा बा कि विदेश में बसल भोजपुरी भाई लोगन के  धेयान में  राखि के विशेष रूप से भोजपुरी  संस्कृति के उजागर करे वाली रचना, लेख, निबन्ध, ललितनिबन्ध, आलेख, निकष, फीचर,  कहानी, लघुकथा, लोककथा, कविता, गीत, लघु  नाटक, नाटिका, एकांकी अविलम्ब एगो रंगीन  पासपोर्ट साइज फोटो आ आपन संक्षिप्त परिचय  का संगे भेजीं आ अउरू रचनाकार मित्र लोगन  से भिजवाई.

‘अंजोरिया डॉटकॉम’ देखीं आ देखे के  सलाह दीं. नीक लागे त प्रिन्ट निकाल के सुरक्षित करीं.  रचनाकार के प्रकाशित प्रिन्ट  कापी डाक से अवश्य भेजल जाला. आप सभे के प्रतिक्रिया के इन्तजार बा.

राउरे,
डॉ राजेन्द्र भारती
कदम चौराहा, बलिया - 277001
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( डॉ राजेन्द्र भारती जी अंजोरिया डॉटकॉम के संस्थापक संपादक रहीं. उहां के लिखल ई सम्पादकीय भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  अक्टूबर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)


बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना

 कजरी

बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना

- त्रिभुवन प्रसाद सिंह ‘प्रीतम’



झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.
उड़े चुनरिया अंगिया झलके,
फरके चढ़त जवानी, रामा,
पानी-पानी ऋतु मस्तानी,
निरखि उमिरि के पानी,
अरे रामा, हंसे नयन के कजरा,
बदरा झरि-झरि जाला ना.
झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.

इरिखा भईल, सुरूज गरमइले,
होते सांझि जुड़इले, रामा,
छिपल चनरमा जाइ अन्हारा,
करिखा मुहें पोतइले,
अरे रामा झुक-झुक झांके तरई,
सुरति सहल न जाला ना.
झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.

होते भोर, कुमुद मुसुकइली,
चढ़ते दिन कुम्हिलइली, रामा
कांच कली खिलला से पहिले,
लाल-पियर होइ गइली,
अरे रामा, लता लटकि रहि गइली,
उपर चढ़ल न जाला ना..
झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.

चढ़ल झमकि सावन, मनभावन,
पतई पीटे ताली, रामा
थिरकि उठल बन मोर ताल पर,
झूमे डाली-डाली
अरे रामा बजल बीन बंसवरिया,
कजरी रोज सुनाला ना..
झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.

खुलल केस, लट बिखरन लागे,
लहर-लहर लहराये, रामा
विस के मातलि जइसे नागिन,
बार-बार बलखाये,
अरे रामा सुधि उमड़ल, प्रियतम ठिग,
मनवा उड़ि-उड़ि जाला ना..
झुर-झुर बहे बयार,
बवरिया अँचरा उड़ि-उड़ि जाला ना.
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त्रिभुवन प्रसाद सिंह ‘प्रीतम’
शारदा सदन, कृष्णा नगर, बलिया- 277001

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  सितम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

भूख

 लघु कथा

 भूख

 - राम लखन विद्यार्थी

मरद-मेहरारु आपन मारूति कार से जेवर  बेसाहे सोनारी बाजार पहुचलन. जवन सर्राफ के  दोकान में जाये के रहे, ओह दोकान से चार  डेग एनही कार रूक गइल, कारन कि दोकान  के सामने बहत मोरी से एगो अधेड़ अउरत  कादो निकाल-निकाल के आपन तगाड़ी में रखत रहे. मरद कार के हार्न बजावत रहलन  आ उ अउरत अपना धुन में कादो काढ़ते  रहल. अनकसा के मरद कार से मुड़ी निकाल  के डंटलन - ‘‘रे.. तोरा सुनात नइखे का रे.?’

‘सुनात बा...’ अउरत कार का ओर मुंह  फेर के कहलसि.

‘त फेर हटत काहे नइखीस. एह कादो में  तोर का भुलाईल बा, जे परेशान बाड़ीस...’

‘हम आपन भूख खोजत बानी बाबू.’

 अउरत कातर स्वर में कहलसि. एही बीचे दोकान के सेठ उहां आ  गइलन. ‘का बात-बात बा श्रीमान ?’ सेठ  पूछलन.

‘लागऽता ई अउरत पागल हीय. कहतीया  हम कादो में आपन भूख जोहत बानीं.’

सेठ मुस्काइल, कहलस-‘श्रीमान जी ई  अउरत पागल ना हिय. जे कहतीया बिलकुल ठीक कहतीया.’

सेठ के बात सुन के मरद अचरज में पड़  गइल. कहलस ‘‘तू हू त उहे कह देल.’

‘देखीं सरकार, हमनी के दोकान में सोना  चानी के काम होला. सोना-चांदी तरसत खा  उहन के छोट-छोट कन दोकान में जेने-तेने  छितरा जाला. सबेरे दोकान बहराला आ बहारू  मोरी में गिरा दीहल जाला. ओही सोना-चांदी के कन खातिर ई कादो निकालत बिया. पानी  से कादो साफ करी तब सोना-चानी के कन  खरिया जाई. फेरु ओही कन के हमनी के  दोकान मे बेंच दीही. सौ-पचास एकरा भेंटा  जाई.’

मरद चिहाइल- ‘हाय रे भूख !’

तबले उ अउरत कादो भरल तगाड़ी के कपार पर उठा के पानी गिरत नल का ओर  चल दिहलस. मरद आपन कार सर्राफ के दोकान पर ला  के लगा दिहलन. मरद-मेहरारु कार से निकल  के जेवर बेसाहे सर्राफ के दोकान में ढुक  गइलन.
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राम लखन विद्यार्थी,
साहित्य सदन, पानी टंकी, काली स्थान,
डिहरी-ऑन सोन, रोहतास

(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  सितम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

अँखिया के पुतरी

 कविता

अँखिया के पुतरी

- डॉ बृजेन्द्र सिंह बैरागी



बेटी हो दुलारी बारी, कइसे बिआह करीं ?
ई  दानव दहेज कहँवँ कब कइसन रूप धरी.

अदिमी के रूपवा में दानव दहेज देखऽ.
दया धरम, तियाग, क्षमा से परहेज देखऽ.
लीलें चाहे धियवन के ईहो रोज घरी-घरी.
बेटी हो दुलारी बारी.....

एही भ्रष्टासुरवा के राज बा समाज में
बहुरूपिया ई बोलेला बढ़ी के समाज में
सोना चांदी धन दउलत से ना पेट भरी.
बेटी हो दुलारी बारी....

सोचि-सोचि डर लागे कांपे हो करेजवा
लीली जाला तनिके में दानव दहेजवा
एकरे बा राज, के समाज के सुधार करी.
बेटी हो दुलारी बारी....

पोसि पालि बहुते जतन से सेयान कइनी
शक्ति रूप जानिके हम धीरज धियाज धइनी
बेटी तूं त हउ हमरो अंखिया के पुतली.
बेटी हो दुलारी बारी....

सोचिले सुनर वर से बिआह कई दीहींतीं
भलहीं हो बिकाइ बरबाद होई जईतीं
बाकी स्टोपवा अउर गैसवा के का करीं.
बेटी हो दुलारी बारी....
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डॉ बृजेन्द्र सिंह बैरागी
आदर्श नगर, सागरपाली, बलिया - 277506
 (भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  सितम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)
 

नेम प्लेट

 लघु कथा

नेम प्लेट

- माला वर्मा



‘बाबू जी, अब रउआ वृद्धाश्रम में जाके रहे  के पड़ी. एइजा केहू के एतना फुरसत नइखे जे रउआ से बतकूचन करे आ सेवा  टहल में आपन समय बरबाद करे. बेमतलब
 रउआ चक्कर में हमनी के दिमाग बंटल  रहेला.’

‘ना बेटा.... हमरा के ओइजा मत भेजऽ.  आगे से हम तनिकों शिकायत ना करब. जब  तहरा लोग के फुरसत मिली तबहीं खेयाल  रखीह. ई मकान बनावे में हमार जीवन भर के कमाई लाग गइल. अब बुढ़ापा में ई घर छोड़  के कहां जाईं ? अइसहूं बबुआ, ई घर पर पहिला हक हमरे बनेला....बाद में तहरा लोग  के.’

‘खूब कहनी बाबूजी, पिछला हिस्सा  स्वर्गीया माई के नाम, बांया हिस्सा छोटकू के  नाम. अब बताईं....... राउर हिस्सा कहां बचत  बा..?

‘का कहत बाड़ बबुआ, घर के प्रवेश  द्वार पर हमार नाम के तख्ती नइखे  लउकत? ऐकर मतलबे बा कि पूरा घर हमार  ह...’

‘एक बीता काठ के टुकड़ा पर ऐतना  गुमान..! ऐकरा पर राउर नाम के चार अक्षर,  उहो धुंधला गइल बा. ऐकरे बलबूते कहतानी  कि हमार घर ह..? लीं ऐकर मियाद अभीए
 पूरा कर देत बानीं. ना काठ के टुकड़ा रही  ना राउर दावा...’

छन भर में नेम प्लेट कई टुकड़ा में गिर  के जमीन पर बिखर गइल. पुरान लकड़ी के  बिसाते केतना !
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माला वर्मा, हाजीनगर, प.बंगाल-743135 001
(भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  सितम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)
 

मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

भोजपुरी कविता में वियोग

आलेख

 भोजपुरी कविता में वियोग


 - भगवती प्रसाद द्विवेदी


 ‘वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा  गान’ के मुताबिक कविता रचेवाला पहिलका कवि वियोगी रहल होइहन आ उन्हुकरा आंतर के बेसम्हार पीर के आह-कराह से कविता के जनम भइल होई. ओइसहूं,  साहित्य में जवन कुछ शाश्वत बा, अमर बा, ओकर अधिकतर हिस्सा करूने से लबालब भरल बा. सांच पूछल जाउ त आमजन के जिनिगी के कथा दुःखे आ वियोग-बिछोह से सउनाइल बा आ रचनिहार किछु आप बीती, किछु जगबीती से घवाहिल होके अंतर्मन के पीर के बानी देला. तबे उ मरम के छूवेवाली  रचना बनेले आ अपना गहिर-गझिन संवेदना से पढ़निहार-सुननिहार पर आपन अमिट छाप छोड़ेलें. चाहे हीर-रांझा होखसु, लैला-मजनूं होखसु भा सोहनी-महिवाल. कठकरेजी समाज एह लोग के कबो मिलन ना होखे दिहल, बाकिर एह चरित्रन के अमर प्रेम आ वियोग-बिछोह के दिल दहलावे वाली कथा जन-जन के जबान पर आजुओ बा.


भोजपुरिया समाज अपना बल-बूता पर जांगर ठेठा के बहुत किछु हासिल करेवाला समाज रहल बा. रोजी-रोटी के जोगाड़ में आम तौर पर मरद लोग बहरवांसू हो जात रहे  आ घर-परिवार, गांव-जवार आ पत्नी-प्रेमिका  के वियोग ताजिनिगी झेले खातिर अलचार रहे. कमोबेस इहे हाल आजुओ बा आ नगर-महानगरन में छिछियात भोजपुरिया दुख-तकलीफ आ बिछोह के अपना आंतर में दबवले जीवटता के जियतार नमूना पेश करि रहल बाड़न.


भोजपुरी के लोकगीतन में त  वियोग-बिछोह के अइसन मार्मिक, हृदयस्पर्शी  चित्र उकेराइल बा कि सुननिहार के करेजा फाटे  लागेला आ आंख से लोर के नदी बहे  लागेले. ई वियोग खाली मरद मेहरारू आ प्रेमी  प्रेमिका के बिछुड़ले भर सीमित नइखे. एकर फइलाव कबो ससुरा जात बेटी के वियोग का रूप में बियाहगीत में त कबो दुनिया जहान से नाता तूरत परिजन के बिछोह का रूप में  मउवत गीतो में मिली. भोजपुरी के आदिकवि  कबीर अपना निरगुनिया बानी में जीव आ  आतमा के बिछोह के रेघरियावे वाला चित्र
 उकेरले बानीं. महेन्दर मिसिर के पूरबी में  आंवक में ना आवेवाला वियोग के दरद के  बखूबी महसूसल जा सकेला. बारहमासा में त  हर ऋतु के मौसमी सुघरता का संगे बिरह में बेयाकुल नायिका के मनोदशा के तस्वीर आंतर  के तीर-अस बेधे बेगर ना रहि सके. हर  जगहा इहे भाव - ‘पिया के वियोगवा में कुहुके  करेजवा’. चाहे फागुन के फगुवा होखे, चइत  के चइता होखे भा सावन के कजरी. अगर  साजन-सजनी के साथ ना होखे त सुहावन  मउसम के भकसावन लागत देरी ना लागे. तबे  नू विरहिनी के आंख से लोर, मघा नछत्तर के  बरखा मे ओरियानी के पानी अस टपकेला.


 महाकवि जायसी लिखले बानी :

बरिसे मघा झकोरि-झकोरि
 मोर दुइ नैन चुअत जस ओरी.

राम सकल पाठक ‘द्विजराम’ रचित ‘सुन्दरी-विलाप’ के सुन्दरी के विलाप पथलो  दिल इंसान के पघिलावे के ताकत राखत बा :

गवना कराइ सईंया घरे बइठवले से,
अपने गइले परदेस रे बिदेसिया.
चढ़ली जवनिया बैरिन भइली हमरी से,
केई मोरा हरिहें कलेस रे बिदेसिया.
अमकि के चढ़ीं रामा अपना अटरिया से,
चारू ओर चितईं चिहाइ रे बिदेसिया.
कतहूं ना देखीं रामा सईंया के सुरतिया से,
जियरा गइल मुरझाइ रे बिदेसिया.


लोक जिनिगी के कुशल चितेरा भिखारी ठाकुर के अमरकृति ‘बिदेसिया’ त बिदेसी आ  सुन्दरी के विरहे-वियोग के केन्द्र में राखिके  रचल गइल बा. जब बिदेसी अचके में परदेस चलि जात बाड़न, त सुन्दरी भाव-विह्वल होके  कहत बाड़ी :

पियवा गइलन कलकातवा ए सजनी !
तरि दिहलन पति-पत्नी नातवा ए सजनी,
किरिन-भीतरे परातवा ए सजनी!

विरहिनी बेचारी जल बिन मछली नियर तड़पत बाड़ी. आखिर हमरा जरी मेे के आरी  भिड़ा देले बा? रोज आठो पहर बाट जोहे के  सिलसिला का कबो खतम होई ?

बीतत बाटे आठ पहरिया हो
डहरिया जोहत ना.
धोती पटधरिया धइके, कान्हवा प चदरिया हो,
बबरिया झारिके ना.
होइब कवना शहरिया हो
बबरिया झारि के ना.
केइ हमरा जरिया में भिरवले बाटे अरिया हो,
चकरिया दरिके ना.
दुख में होत बा जतसरिया हो,
चकरिया दरिके ना.
परोसिकर थरिया, दाल-भात-तरकरिया हो,
लहरिया उठे ना,
रहित करित जेवनरिया हो,
लहरिया उठे ना.

आधुनिक भोजपुरी कवितो में एह पक्ष के मर्मांतक पीर का संगे रचनाकार लोग उठावत आइल बा. अपना घर में रहेवाली अकेल  मेहरारू आ टोल-परोस के मरदन के भुखाइल  बाघ-अस नजर. दिन भर त काम-धाम में  लवसान होके कटियो जाला, बाकिर पहाड़-अस  रात काटल मुश्किल होला. आचार्य पाण्डेय  कपिल के शब्दन में :

कइसे मनवा के बतिया बताईं सखी,
हाल आपन कहां ले सुनाईं सखी.
दिन त कट जाला दुनिया के जंजाल में,
रात कइसे अकेले बिताईं सखी.

सावन के रिमझिम फुहार, झींसी आ  हरियरी, उहवें परदेसी बालम के वियोग. डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव के एगो गीत में विरही मन में पइसल हूक के अन्दाज लगावल जा सकेला :

असो आइल फेरू सावन के बहार सजनी,
जब से परे लागल रिमझिम फुहार सजनी!
ठाढ़ दुआरी राधा भींजे, कान्हा घर नाआइल,
उमड़ि-घुमड़ि घन शोर मचावे,
हिय में हूक समाइल
बिजुरी धरे लागल जरला पर अंगार सजनी.
टप-टप-टप-टप मड़ई चूवे,
नींद भइल बैरिनिया,
बलमा गइल विदेस छोड़िके,
कलो बारी धनियां
नइया परल बाटे बीचे मंझधार सजनी.

आज काल्ह जब बाजारवाद नेह नाता के मिठास लीलत जा रहल बा, जिनिगी कतना अकसरुवा, दुख-पीर के पर्याय बनल जा रहल  बिया. बेसम्हार भीड़ो का बीच कई कई गो मोरचा पर लड़त-भीड़त, पछाड़ खात आ टूटत जात बिरही मन. शिवकुमार ‘पराग’ के कहनाम बा :

आह-वाह जिनिगी में बा,
धूप-छांह जिनिगी में बा.
सूनत करेजा फाटेला,
उ कराह जिनिगी में बा.
जब चारू ओर जुलुमी जन के ताण्डव होई
त जिनिगी पहाड़े नू बनि के रहि जाई.

कविवर जगदीश ओझा ‘सुन्दर’ के पाती देखी :

कुकुर भइले जुल्मी जन, हाड़ भइल जिनिगी
नदी भइल नैना, पहाड़ भइल जिनिगी.

अभाव आ विरह के बाथा-कथा प्रभुनाथ मिश्र बयान कइले बानीं :

सनन-सनन जब बहेले बेयरिया
टटिया के ओटवो उड़ावेले चुनरिया
कांपि जाले पतई से पाटल पलान रे
बदरा के देखि-देखि बिहरे परान रे!

धनिया लाख चाहत बाड़ी, बाकिर होरी के  सुधि बिसरते नइखे. पिया के मिठकी नजरिया  पर दीठि-कनखी मारत डॉ अशोक द्विवेदी  कहत बाड़न :

अंगना-बंड़ेरिया प कगवो ना उचरे
पिया तोर मिठकी नजरिया ना बिसरे.
डाढ़ि-डाढ़ि फुदुकेले रूखी अस दिन भर
मन के चएन नाहीं देले कबो छिन भर
सुधिया तोहार मोरा हियरा के कुतरे.

आखिरकार परदेसी के पाती पाके धनिया क हुलास-उछाह के पारावार नइखे. अनन्त  प्रसाद ‘राम भरोसे’ के पाती भरपूर भरोसा  दियावत बिया :

चिट्ठि में लिखले बाड़न कि
फगुआ ले हम आइब.
तब तक ले पगार पा जाइब,
बोनस भी पा जाइब.
चिन्ता के कुल्हि छंटल बदरिया,
चिट्ठी आइ गइल बा.
मन उड़िके जा पहुंचल झरिया,
चिट्ठी आइ गइल बा.


कुल्हि मिला के भोजपुरी कविता में वियोग के जवन चित्र उकेरल गइल बा, उ बड़ा जियतार बा आ ओह में मउसम का मिजाज का संगे नारी-मन के सोच, आकुलता,
 तड़प आ अभाव ग्रस्त बेबसी के हर दृष्टि से  मन के छूवे वाला चित्रण भइल बा, जवन  भोजपुरी काव्य के उठान आउर ताकत के  परिचायक बा.
------------
भगवती प्रसाद द्विवेदी
द्वारा, प्रधान महाप्रबन्धक, दूरसंचार जिला,
पोस्ट बाक्स 115, पटना-800001 -बिहार

( भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम पर  सितम्बर 2003 में प्रकाशित भइल रहल.)

आपन पहिचान तलाशत भोजपुरी

 

आपन पहिचान तलाशत भोजपुरी 

 डा॰रवि रामहोता

अगर भोजपुरी समय का कसौटी पर खरा उतरल बा त ओकरा खातिर आम लोगन के निजी कोशिश, कुछ लेखकन, बहुते गायकन आ कलाकारन के धन्यवाद देबे के पड़ी. ई बात कहलन मारीशस में भारतीय आप्रवासियन के संस्था आईडीसी के सचिव आ मानव वैज्ञानिक डा॰रवि रामहोता.

ऊ आगा कहलन, ई ऊ भाषा हऽ जे सभे मारीशिसियन के, जाति धर्म रंग आ नस्ल से अलगा, एक सूत्र में पिरोवेले. ई हर समुदाय के भाषा हऽ चाहे ऊ हिन्दू होखसु, मुसलमान, ईसाई, चाइनीज आ ईहां तक कि गोरको के. ई सनेह के भाषा हऽ... मारीशियन समुदाय के आत्मा हऽ. एही चलते हमनी का एकरा से बिलगाना रहि सकीं. एकरा के समुचित आदर आ पहिचान देबहीं के पड़ी.

असंख्य शोध प्रकल्पन का साथे जुड़ल डा॰रामहोता के सोचावट हऽ कि जे भी मारीशस के मानव वैज्ञानिक शोध, खास कर गुणात्मक, करे चाही ओकरा खातिर भोजपुरी के जानकार भईल एगो अनिवार्यता होखी.

भोजपुरी भाषा के जानकारी एह देश के विकास के कहानी, एकर सामाजिक तानाबाना, पूजास्थल वगैरह के समुझे बुझे में सहायक होखी. एही चलते, अगर हमनी का चाहत बानी कि अपना देश आ अपना लोगन के समुझल बुझल जाव आ पूर्वाग्रह रहित सफल शोध के बढ़ावा देहल जाव, भोजपुरी के बढ़िया सनमान देबे के पड़ी.

अगस्त २१ से ३१ अगस्त तक चलल भोजपुरी मेला का आखिर में आईडीसी, काउन्सिल आफ इण्डियन डायस्पोरा, अधिकारियन के एह बात ला समुझावे के कोशिश कइलसि कि शैक्षणिक प्रक्रिया में सुधार खातिर आ दोसरा भाषन का प्रभाव में आवत विकृति से बचावे खातिर भोजपुरी के भाषा के रुप में मान्यता दिहल आ प्राइमरी स्कूलन का पाठ्यक्रम में शामिल कइल जरुरी बाटे.

(

लि डिफाई मीडिया ग्रूप से साभार

सोभानंद सीपरसाद के लिखल लेख


लि डिफाई मीडिया ग्रूप पर अतवार के खबर के सम्पादक सोभानंद सीपरसाद भारत आ इंगलैन्ड में पढ़ाई कइले. नैरोबी आ मुंबई में काम कइलें. इण्डियन एक्सप्रेस समूह के अखबारन के मुख्य उपसम्पादक रहलन आ कई गो किताब लिख चुकल बाड़न. शोभानंद सीपरसाद सिनेमा आ टिवी सिरियलो में काम कर चुकल बाड़न. हर रोज ऊ मारीशस रेडियो पर एगो भोजपुरी लोककथा सुनावेलन.


अगस्त २००८ का आखिरी पखवारा में मारीशस में भोजपुरी मेला लागल रहे. ओही मेला के खबर ईहां दिहल जा रहल बा.)


Readers write

 नमस्कार. राउर चिट्ठी मिलल....

(अइसन नइखे कि भोजपुरी में दुनिया के पहिलका वेबसाइट के पाठक लोग कमेंट ना करत रहल. भरपूर कमेंट आसत रहल जबकि तब देवनागरी में आपन टिप्पणी देबे में बहुते परेशानी रहल. बाकिर आजुकाल्ह के भोजपुरिया या त एह लायक ना समुझसि कि एहिजा कवनो टिप्पणी करसु भा कवनो कारण से महटिया जालें. नीचे अंजोरिया के शुरुआती दिनन में आइल टिप्पणी आ अपनो तरफ से लिखल बात एहिजा दीहल जा रहल बा. दुख के बात बा कि पूरा सन्दर्भ नइखे मिलत. आ हो सकेला कि सही क्रमो में ना होखे ई पोस्ट. बाकिर मकसद त इहे बा कि रउरो सभे देखीं कि का लिखल जा सकेला. - संपादक)
(January 2009)

रविकुमार गिरी २८ मई के लिखलन कि

संपादक जी, नमस्कार.

बड़ा खुशी होला अँजोरिया खोल के. हर तरफ से अँजोर. कहानी कबित से ले के समाचार में जेनरल, फिल्म, राजनीति सब कुछ. ई सब देख के मन बोल उठे ला, वाह सांचे अँजोरिया अँजोर कर दिहलस.


विश्वदीप शाही २७ मई के लिख भेजले बाड़े कि

एडिटर साहब, मुझे आपका यह वेबसाइट बहुत बढ़िया लगा. इसमें हमें भोजपुरीवुड के सब समाचार आसानी से मिल जाला. कवन कलाकार के भोजपुरी दुनिया में जनम भइल बा, के पहिले से बा, सबकर विचार व्यवहार के बारे में, उनकर परिचय से पता चल जाला.

बाकि कुछ ज्यादा नाही लिखब, काहे कि हमें अँजोरिया में अडले जयादा दिन नहीं भेल.

राउर पाठक विश्वदीप


२१ मई के श्री एल पी कहार लिखले बानी कि

अँजोरिया.कॉम के हम कतना बड़ाई करीं, हमरा लगे कवनो शब्द नइखे. हम पहिला बेर ई साइट के विजिट कइनी. हम के बहुत अच्छा लागल.


धन्यवाद कहार जी, आशा करत बानी कि रउरा अब बार बार आयेम. - संपादक


२३ मई के अंजोरिया के एगो पाठिका मीनाक्षी लिखले बाड़ी कि


Respected EditorJi,


I am not 100% bhojpuria but I believe Avadhi is a part of Bhojpuri though I am not use to with Avadhi too but its my mother tong I must say. I use to visit your site quite often and I find it interesting having every section of life. Though I feel your Tatka News is not a news but a part of your personal comment on various issue but still its ok.


Recently I saw one serial called "Gamchha pade" Its really nice. I read many poems of same writer as well others too. Recently I liked Ashok diwedi "sath baris beetal" and Noor alam "Juta". Why there is nothing related with sports???


Meenakshi Ji,

Namaskar.

Many thanks for your appraisal of Anjoria.

Tatka Khabar is more like a blog,I do agree. Its purpose is to aquaint our readers with nuances of Bhojpuri. News is available at so many sources that a single person cannot dream of being a newsprovider.

It is really good to note that you like some of the articles published. I work single handedly and taking few hours out of my busy professional routine which has got nothng to do with web or Bhojpuri. But then Bhojpuri is my love and web publishing my passion.

You have noticed a glaring shortcoming of Anjoria. It does not have a sports page but you should have noticed another shortcoming as well. Anjoria does not have women related articles too. Both these sectors are important but I do not have the contributors for those sections. Many a times I have appealed to my female readers to start contributing their point of view on the socio-economic-politico-cultural aspect of Bhojpuri and Bhojpurias, but, alas, no one has came forward till now.

As far as sport goes, it is a very wide field. No article shall look good without accompanying photographs and there comes the copyright problems. I wont like to lift photos from the web. I am in the look out of suitable correspondants who can write in Bhojpuri using UTF font as well. Only then it will be possible for me to carry those articles.

This reply got very long, but I could not withheld myself replying in details to a concerned reader.

Thank you again.

Yours

Editor, Anjoria.com


१८ अप्रेल के विश्वदीप लिखले बाड़न कि

भोजपुरी समाज के हर खबर मिल जाला. फिल्म से जुड़ल हर कलाकार के खबर मिलेला. अंजोरिया डॉटकॉम बहुत अच्छा साइट बा. हम कुछ गाना लिखले बाटी भोजपुरी भाषा में. हम चाहत बाटी कि कवनो कंपनी वोह गाना के देखे. यदि पसन्द होखे तब अपने फिल्म में वोह गाना के डाले. आप मुझे अइसे कंपनी का इमेल भेजने का तकलीफ करें.


विश्वदीप जी, फीडबैक का साथे राइर इमेल नइखे मिलल कि रउरा के जवाब भेजल जा सको. वइसे फिल्मी दुनिया में घुसे के राह बहुत संकरा होला. हर जगहा बेवकूफ बनावे वाला भेंटा जइहें. दोसरे फिल्म निर्मता आ निर्देशक अतना व्यस्त रहेलें कि हर नया आदमी के कविता गीत कलाकारी संगीत सुने के फुरसत ओह लोग का लगे ना रहेला. एहसे त पहिले कवनो निजी संबंध वाला आदमी के खोजीं जे फिल्मी दुनिया में कवनो काम में लागल होखे आ ओकरा बाद धीरे धीरे आपन राह बनाईं.

हँ अगर रउरा अपना गीत के बानगी हमरा के भेज दीं त हम आपन राय जरूर दे सकीलें.

रउरा सफलता के शुबकामना का साथे,

संपादक.


मनीष कुमार शर्मा ने २८ जनवरी को फिर लिख भेजा है :-

नमस्कार,

क्यूं नहीं आप अपने इस साइट का प्रारुप बिल्कुल बेन की तरह बना रहे हेँ, ताकिहम आसानी से अपने सदस्यों कि कमेन्ट लिख सकें. वो आफलाइन हो या आनलाइन, उन्हे मैसेज लिख सकें.

आप खुद बेन के मेम्बर है. अगर वैसा ही सब सिस्टम हो जाय तो बहुत ही अच्छा लगेगा.


शेष सब आपको नेक्स्ट में लिखता रहुंगा.

सादर,

मनीष


प्रिय मनीष जी,

आप की माने तो उस सब के लिये बेन है ही. मैं चाहता हूं कि कोई दूसरा अँजोरिया बन जाये. आपको बतलाना जरुरी है कि अँजोरिया मैंने तब शुरु की थी जब दुनिया में कोई साइट भोजपुरी में नहीं थी. भोजपुरी पर जरुर थीं. तब से लेकर अब तक मैंने ढेरो झंझावात झेले हैं और हर मुसीबत में अँजोरिया मेरी सहचर रही है. अगर कहूं कि आज मेरा अस्तित्व भी अँजोरिया के चलते ही है तो गलत नहीं होगा. जब दुनिया में कहीं कोई अपना नहीं दिखता था तब अँजोरिया के पन्ने मुझे जो सुकुन देते थे उसी के सहारे मैं अपने दुर्दिन झेल पाया.

माफ कीजियेगा, मुझे दूसरा बेन नहीं बनाना. मैं खुद भी बेन का सदस्य हूं और उसकी लोकप्रियता की कामना पहले दिन से कर रहा हूँ.

सप्रेम

सम्पादक, अंजोरिया


२२ जनवरी के मनीष कुमार शर्मा लिखले बाड़न -


पइसा के बड़ा लीला बा भईया... पइसे आदमी के हीरो बना देला, आ जेकरा लगे ओकर कवनो गिनितिये नइखे...... केहू कहत रहे कि निरहू हीरो बनीहे ?... आ चाहे हीरो लायक शकल बा ?.... प्रवेशो के त केहू ना कही...लेकिन इहो बबुआ हीरो बाड़न. बबुआ से कहीं तनी खाये पिये के...


फेर लिखले बाड़न -


बहुत अच्छा लागेला हमरा इ साइट .


फेर शिकायत कइले बाड़न -


आदरणीय सम्पादक जी,

नमस्कार.


आशा करता हूँ कि सब कुशल होगा. आज भी मैंने अँजोरिया ज्वायन किया अपने इमेल आइडी से जो कि इस तरह से है..... पर एक बात आपसे ये कहना चाहूंगा कि जब भी हम कोई फीडबैक या मैसेज लिख रहे हैँ तो वहकहीं दिखाई नहीं देता है... आपका स्तम्भ चिट्ठी मिलल मे जा के ढूँढ़ता हूँ तो वहाँ भी नहीं मिलता है. आखिर क्या कारण है. कृपया प्रकाश डालें.


और एक बात, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. छह महीने पहिले भी जब मैंने आपका अंजोरिया ग्रुप ज्वायन किया था तब भी कुछ इसी तरह के प्राब्लम सामने आये थे.


ओके प्लीज रिप्लाई मी एन्ड टेक केयर आफ योरसेल्फ.

सादर,

मनीष.


मनीष भाई,


आपकी शिकायत वाजिब है. आप ने तो कम से कम इमेल भेजकर बात कर ली. मैँ उन लोगों के बारे में सोचता हूँ जो वैसा नहीं कर पाते.


पीछे वाली बात तो नहीँ मालूम है, पर आजकल वाले फीडबैक क्रमशः डाले जा रहे हैं. आपकी शिकायत ने इतना जरूर कर दिया है कि अब मैं कोशिश करूंगा कि फीडबैक रोज के रोज जोड़ दिये जांय. आज सारा बैकलाग खतम करना चाहूँगा. आगे से आपको शिकायत नहीं होनी चाहिये, पर आपका सुझाव मिलता रहे इतनी आशा जरूर रहेगी.


एक समस्या और है. कुछ फीडबैक पता नहीं क्यों मुझ तक पहुचते ही नहीं. इसलिये भी मैं सबसे आग्रह करता हूँ कि अगर हो सके तो इमेल कर दें. इससे एक फायदा तो यह होता है कि मैं आपको व्यक्तिगत जवाब भेज पाता हूं.


सादर सप्रेम,

आपका

संपादक


भोजपुरी गायक अभिनेता गोपाल राय का बारे में पढ़ के जय प्रकाश वर्मा १८ जनवरी के लिख भेजले बाड़न -

thanku


प्रकाशजी फिलिम तू बेजोड़ बाड़ू हो वाला पन्ना पर से १५ जनवरी के लिखलन कि -


हमके गाना सुनना है


प्रकाश जी देखत बानी, गाना मिली त जोड़ दिहल जाई.


आई.आई.टी.बांबे से एगो पाठक ११ जनवरी के लिखलन -


संपादकजी, नमस्कार.


'भोजपुरी गीत गवनई' कालम के सुरुआत त सोने पर सुहागा बा. ए काम के जेतने परसंसा कइल जाव कमे होई. अउरी हम रउरी ए बिचार के नमन करतानी की इहवाँ खाली उहे गीत परोसे के विचार बा जवन पूरा परिवार की संगे बैठी के सुनल जा सके. उत्तम विचार बा.


एगो हमार सुझाव बा अगर संभव होखे त इहवाँ कजरी, लोरकाइन,आल्हा आदि जइसन खाटी भोजपुरिया गीत-गवनई भी परोसल जाव काहें की भोजपुरिया फिल्मी गीत त सहरो में आसानी से उपलब्ध हो जाता पर एकदम माटी से जुड़ल, भोजपुरिया संसकृति अउरी समाज से जुड़ल गीतन के मिलल तनी कठिन होला.


आसा बा आप हमरी चिरौरी पर धेयान देइब.


पर ए नेक अउरी सुंदर काम खातिर अँजोरिया धन्यबाद के पात्र बिया. जय अँजोरिया, जय भोजपुरी गीत-गवनई, जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया समाज, जय भारत माई.


Hitendra Singh Yadav sent this feedback on 6th Jan :


great it is.

surely it will be hit .

when the dvd is releasing i can take it in pune.


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(Dec 2008)


विजय ३० दिसम्बर के http://www.anjoria.com/films/bc107-tu-bejor-baru.htm से पुछलन कि :


How can i download of songs from this website ?

Sorry sir, you cant download any song from this site as it has none. The songs are embedded from youtube.com or other sites. - editor.


२७ दिसम्बर के मनराज यादव http://www.anjoria.com/films/bc109-monalisa-nirahu.htm से लिखलन कि :

लागल रहा निरहू भईया !


Jitesh Kumar Chaudhary sent this feedback on 23rd Dec.08:

it is nice to see this type of reginol langauge web site. i have got all my desire in this web site. thanking you for this and keep updating this web site.

Thanks for appreciation. - editor.


१६ दिसम्बर के संजय भाई लिखलन कि :

मु....झे.... गा....ना....सुनना है.

सुनऽ भाई. इन्तजाम कर दिहले बानी. आपन फरमाइशो कर सकीले बाकिर गाना के लिंक बता के..

सम्पादक


१६ दिसम्बर के संजय भाई लिखलन कि

महुआ चैनल पर गोरखपुर के शान सुप्रसिद्ध भोजपुरी गायक राकेश श्रीवास्तव के गीत सुन के मन गदगदा गइल. राकेश पर गोरखेपुर के ना पूरा पूर्वांचले के नाज बा.

ठीक बा संजय भाई, राउर बात हम राकेशो जी तक चहुँपा देब.

सम्पादक


१३ दिसम्बर के आदर्श अमोल लिखलन -


मिल मिल के बिछड़ना मुझे अच्छा नहीं लगता

पर तुम को पाने का रास्ता भी नहीं मिलता.

तेरे खुलुसे मुहब्बत पर एतबार है इतना

सिवा तेरे, कोई रिश्ता सच्चा नहीं लगता.

तू मेरा प्यार, मेरी जिन्दगी, मेरा सब कुछ

बिन तेरे ये जीवन, मुझे अच्छा नहीं लगता.

बहुत मुश्किल से मिलते हैं किसी को चाहने वाले

मैं जिसको चाहता हूँ वो मुझे ही नहीं मिलता.

दिल तो क्या जान भी मैं उस को दे देता

वो एक बार अपने प्यार का इजहार तो करता.


वाह वाह आदर्श जी. काश यह कविता भोजपुरी में होती और आपने इसे मेरे पास इमेल से भेजा होता.... - सम्पादक


तिलकराज यादव ११ दिसम्बर के लिखलन कि :

भोजपुरी में आपन विचार लिखे बदे हिन्दी की बोर्ड के व्यवस्था करीं तबे न भोजपुरी लिखे में मजा आई. इहां हम इंगलिश लिखब त भोजपुरी बेमजा हो जाई.


तिलकराज भाई,

हम एही खातिर न रउरा सेवा में बानी. रउरा रोमन लिपि में लिखीं हम कोशिश करब कि राउर मनोभाव सही सही भोजपुरी में प्रकाशित कइल जाव.

सम्पादक.


ArvindKumarPandey sent this feedback on 10th Dec 08 :

Dear anjoria. com

Actually I am belonging to Rausinghpur, PO. Chilkahar,PS Rasra and District Ballia (UP) and nowadays I am serving in a Defence Department in Tripura State.Today i opened Anjoria.com website but found many things lacking.

The main thing, in this websites, there is no any option for search. Suppose, I want to listen a songs, how can I do this ? So, you are requested to kindly develop this sites for smooth function.


Dear Arvind Ji,

Thanks for your suggestion. In partial solution to your demand a new chapter has been added to Anjoria where you can listen Bhojpuri Songs. For a detail search there are many search engines like google, yahoo, altavista, live etc. Anjoria does not have enough expertise to add search on its own.

Please keep suggesting ways to improve and I will be happy to folloow those which can be implemented by me.

- Editor.


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(Nov 2008)



मनोज तिवारी खातिर मिलल बधाई सन्देश


अंजोरिया के माध्यम से मैं मनोज तिवारी को बधाई देना चाहता हूं। भोजपुरी के वो सुपर सितारे हैं इसमें कोई दो राय नहीं और इनका ये रूप हाल ही में दर्शकों ने फिल्म भोले शंकर में भी देखा.


पंकज शुक्ल

निर्देशक- भोले शंकर


A reader has sent an email :

Dear Editor,

I loved this edition of Bhola Babu (the one which comments on the next terrorist attack destination and the way people are forced to think because of poverty and unemployment).

The poll section can also be an interesting part of the website...

u can have many more such polls conducted on a regular basis related to current affairs and people can vote for it.

You can also organise some writing competitions for unprofessional writers and publish the best entry on your website.

These were some suggestions that came to my mind suddenly when i was going though your website today.

Otherwise, the website is very interesting and is helping people in coming closer to Bhojpuri by showing it in a more creative and hi-tech way.

Best of Luck for your endeavour.

(Name withheld on request)


This is the kind of feedback every editor loves to receive. A feedback should suggest some improvement, some new ideas, sincere criticism etc.

Thank You reader.

Editor

प्रणिताप्रिया १९ नवम्बर के लिखनी,

namaskar ..

accha laagl is site dekh ke ...

bhikhari thakur ke nirgun khojat rain ....ihanwa kuch ta milal ...baki abahun je khojatani nakhe milat...apne ke kahi milal hokhe ta bataib...

pranam


अभय मिश्रा १९ नवम्बर के लिख भेजनी,

BALLIA KE HAM LAIKA HAM BALLIA SE PAYAR KARINA


अजय जी १४ नवम्बर के लिख भेजनी,

e sansthan aaj k uya k rojgar pradan kare khatir ba. e ballia k uya aaj bhi berogar hoker edher se udher mara phirta. e sansthan anjoria.com k madhaym se her ek uya apana rojgar khatir samrpit ba. dhainbad

SOFTNET COMPUTER INSTITUTE

BALLIA -277001

Phone : 9936221830


रजनीश जी १३ नवम्बर के लिख भेजनी,

aise bhojpori ke neek beb site na ho sakela e ago apna me alag pahchan banai. hamar ehe kamna ba.

Rajnish

E-home computer Hanumanganj


13 नवम्बर के चलनी के चालल दुलहा मनराज यादव लिखले बाड़े,

का हो राम प्रवेश भईया, तू त पहिले ही बाल पर छक्का मार दिय हो मरदवा. ती बेमिसाल बाटऽ!


13 नवम्बर के सुरेन्द्र् तिवारी लिखले बानी कि

ई बहुत अच्छा बा कि हमनी का दूर रह के भी भोजपुरी के बारे में जाने के मिलत बा. अँजोरिया आ महुआ टीवी के धन्यवाद.


12 नवम्बर के अजय जी खालि अपना बिजनेस के नाम भेजले बानी.

अजय भाई, अगर कुछ जानकारी दे दिहले रहती कि राउर संस्थान का करत बा आ पाठकन के ओकरा से का फायदा हो सकेला त ज्यादा बढ़िया रहित. सम्पादक


6 नवम्बर के दुलहा अलबेला का बारे में पढ़ के एगो पाठक मदीहा नाम से टिप्पणी कइले बाड़े,

cooool movie


राजीव पाण्डेय जी ३ नवम्बर के लिख भेजले बानी कि

Hamke bahut khusi ba ki anjoria.com aur mahua tv chanel ke madhyam se logo ko bhojpuria samaj ka aur gyan hoga aur E hamni ke vikas ke khatir ego naya yug ke suwat hai


नीरज श्रीवास्तव जी शुभा शर्मा के सुन्दरता से प्रभावित होके लिखले बानी कि

i m from media. actress is so beautiful but hero not good. who is she. can i have her mobile nomber. i want take a interveu.


फीडबैक में रउरा एसएमएस, भउजी हो, भोला बाबू, लड़िकपन के गीत वगैरह खातिर सामग्री भेज सकीलें. नाम दे देमऽ तऽ आउरी बढ़िया. राउर इमेलो मिल जाव त फेर का पूछे के बा !


- सम्पादक


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दरपन झूठ ना बोले.....

जो सच है तेरे सामने आये हँस ले चाहे रो ले


इयाद बा कुछ महीना पहिले जब हम अलेक्सा रैंकिग के बाति उठवले रहीं आ एगो प्रकाशक हमरा पर खिसिया गइल रहन. तब अंजोरिया अलेक्सा रैंकिग में भोजपुरी से संबंधित साइटन में दूसरका नम्बर पर रहे. स्वाभाविक बा कि पहिलका आ दूसरका नम्बर वालन का बीच कुछ प्रतियोगिता के भावना आ जाय.


पता ना का बाति बा, बाकिर अब अलेक्सा रैंकिग करे के आपन तरीका बदलि दिहले बा आ अँजोरिया दूसरा से नीचे उतरि के चउथका पायदान पर चलि गइल बा. दूसरका पर भोजपुरी‍.आर्ग आ तीसरका पर चौरीचौरा.काम आ गइल बा. दुनू के प्रकाशकन के बधाई. लागल रहऽ भाई लोग. भगवान करसु तहरा लोगन के तरक्की दिन दूना बढ़े. हमरा अब अतने संतोष बा कि हम चैलंजर टू द थ्रोन नइखी रहि गइल आ दिमाग पर से कुछ तनाव कम हो गइल बा.


रउरा इहो कहि सकीले कि हारे को हरिनाम, भा मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी. जवन चाहे कह लीं सभे, सभ मंजूर बा. तबहियों फेर ऊ बतिया दुहरायेम, का बाति बा कि भोजपुरी के अतना आबादी, अतना आइटी वाला, अतना विजिटर का रहला का बादो भोजपुरी के कवनो साइट एक लाख के सीमा नइखे लाँघ पावत?


का बाति बा कि देश के संविधान के आठवीं सूची में भोजपुरी के नाम नइखे शामिल कइल जा पावत काहे कि संघ लोक सेवा आयोग भोजपुरी में इम्तिहान करवावे में अपना के असमर्थ पावत बा?


का बाति बा कि अतना बड़ क्षेत्र, अतना आबादी रहला का बादो एगो अखबार नइखे जवन भोजपुरी में होखो? काहे बलिया के अखबार में छपरा के खबर ना मिल पावे आ छपरा के अखबार में बलिया के? जबकि आरा छपरा बलिया देवरिया चारो के कवर करत एगो अखबार, ना भोजपुरी में त हिन्दिये में सही, नइखे निकलत? जबकि एह जिलन के सामाजिक ताना बाना एक दूसरा से अतना जुड़ल बा कि एक जगह कुछ होखो त दोसरो प्रभावित होइये जाला.


का बाति बा कि भोजपुरी फिल्मन के अतना बड़हन बाजार का बादो भोजपुरी टीवी चैनल के कमी आजु ले अखरत बा. बड़हन बड़हन नाम के घोषणा हो जाला आ फेर सब कुछ शान्त हो जाला जइसे पोखरा में ढेला फेंकला का बाद उठल लहर फेर धीरे धीरे थिरा जाला.


सोंची. सोंचल जरूरी बा. भोजपुरिहन के दिल्ली मुबई कोलकाता चेन्नई हर जगहा हिकारत से देखल जाला. कहीं भईया कहि के कहीं मेंड़ूआ कहिं के त कही कुछ अउरी कहि के. काहे?


जे अपना माई के ना भईल ऊ कहियो केहू के ना हो सके. बात तनी तिक्खर बा बाकिर कहल जरूरी बा. भोजपुरी हमनी के माई हऽ, एकरा के ईज्जति दीं सभे. आदर सम्मान दीं सभे. अंग्रेजी फ्रेंच जर्मन रसियन में कमाई करीं बाकिर एगो छोट नेहार्डर, मनीआर्डर के ओकरा अतना जरूरत नइखे जतना नेहार्डर के, माईओ के भेजल करीं!


13 May 2008


ठाकरे विवाद

15 Mar 08


कुछ लोग के शिकायत हो सकेला कि राज ठाकरे, आ बाद में बाल ठाकरे, के बयान पर अँजोरिया कवनो कड़ा रूख ना अपनवलसि. कारण साफ बा कि कि हम अइसनका कवनो विवाद के हिस्सा ना बन सकी जवना देश के तूड़त होखो. कुकुर हमरा के काटी त हमहूं कुकुर के काटे ना धउड़म. कटहवा कुकुरन के लाठी मारल जाला, हबकल ना जाला!


दोसरे हर बाति का पाछा लाठी लेके दउड़लो ठीक ना होखे. बात समुझीं. देखीं कि सामने वाला के का गलती बा. ताली एके हाथ से ना बाजे. दूसरका हाथ कुछ नाहियों करे त सामने पड़ल रहेला. हिन्दी भाषी भा भोजपुरिहा भाषी के खिलाफ अगर मराठी मानुष खड़ा भइलन त का कारण बा. का खाली सामनहीं बाला दोषी बा? हमार कवनो दोष नइखे?


पहिले त आईं राज ठाकरे का बाति पर. राज ठाकरे अतने कहलन कि छठ का बहाने मुम्बई में शक्ति प्रदर्शन हो रहल बा. पूजा में नेतवन के हाजिरी बजवला के कवन काम बा. दोसरे महाराष्ट्र में रहे वाला, कमाए वाला के मराठी भाषा आ संस्कृति के आदर करे के चाहीं. एहमें कवन बात गलत बा? रउरा एक त हमरा घरे आएम, खाएम पसरेम, सूतेम, आ हमार कवनो खयाल ना करेम त हम कव दिन ले रउरा के बरदाश्त कर सकीलें? राज ठाकरे इ त ना कहलन कि बिहार यूपी में रहे वाला मराठियन के बिहार यूपी के भाषा आ संस्कृति के सम्मान ना करे के चाहीं.


काश्मीर में, पूर्वोत्तर का राज्यन में देश का बाकी क्षेत्र का लोग कई कारण से बस ना सके. सबले बड़ कारण बा सुरक्षा के सवाल. काश्मीर से पूरा हिन्दू जमात के चहेट के बाहर निकला दिहल गइल, ओह लोग के बेटी बीबी के इज्जत लूटल गइल. आजु ले ऊ लोग दिल्ली, जम्मू आ दोसरा जगहा रिफ्यूजी बनल मारल मारल फिरत बा लोग. निकलल कहियो लालू मुलायम के बोली?


ना! निकलबो ना करी. काहे कि सवाल देश के एकता आ बिहार यूपी वालन के सम्मान के नइखे. सवाल बा वोट के, वोट बैंक के पालिटिक्स के. मेरे जिगर के टुकड़ों कह के बिहार के शिक्षा व्यवस्था के चउपट कइल? यूपी में बोर्ड परीक्षा में नकल करे के पुरा छूट देके यूपी के शिक्षा व्यवस्था के चउपट कइल? बिहार में कर्पूरी डिविजन का चलते लड़िकन के पढ़ाई के खराब कइल? राज ठाकरे आ कि उनकर चाचा बाल ठाकरे? इहे लालू आ मुलायम जइसन नेता बिहार यूपी के कंगाल बना के राख दिहलन. ओहनिये का पाछा पाछा दउड़ल जाई का फेर?


आज शत्रुघ्न सिन्हा, मनोज तिवारी वगैरह के आलोचना कइल जा रहल बा. काहे? एही खातिर नूं कि ऊ लोग लालू मुलायम के हँ में हँ नइखे मिलावत? हम त आजुवे ना बार बार हर बार कहेम कि जहाँ रहे के बा, जहाँ कमाए के बा, ओहिजा के लोग के भाषा के संस्कृति के सम्मान देबे के पड़ी. जेतना सम्मान हम अपना भाषा अपना संस्कृति के दिहिले ओतने हर कोई अपना भाषा आ संस्कृति के देबेला.


के रोकले रहे लालू मुलायम वगैरह के बिहार यूपी में ढंग के उद्योग धंधा, ढंग के स्कूल कालेज खोले से? बाकिर ना. ओह लोग के जाति के राजनीति से फुरसत नइखे. अपहरण के उद्योग ओह लोग का राज में खुल के फइलल. आजु ले ऊ कमजोर नइखे पड़ल जबकि राज लालू आ मुलायम का हाथ से निकल के नीतीश आ मायावती के हाथ में आ गइल बा. बिहार यूपी में कतना बढ़िया माहौल बा ई ओहिजा रहहीं वाला जानत बूझत बाड़न. दूर के ढोल सुने में सबका बढ़िया लागेला. तनी बिहार आ यूपी में नया उद्योग शुरु कर के देखीं तब बुझाई! एगो साधारण सड़क त बने नइखे देत लोग. तुरते रंगदारी माँगे चहुँप जात बा लोग.


हो सकेला कि हमार बाति कुछ लोग के फेर खराब लागो. बाकिर दोसरा के दोष देबे से पहिले अपने चेहरा शीशा में देखे लोग. केकरा चलते, कवना चलते आजु बिहार यूपी के लोग जेने तेने छितराइल चलत बा. उ कारण हटावऽ लोग. नाराबाजी आ गाँधीगिरि के बाते से काम ना चली, कामो करे के पड़ी.


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कहाँ राजा भोज कहाँ गंगुआ तेली

30th Aug 2007


पिछला हप्ता हमरा से एगो गलती हो गईल. भोजपुरी के बड़का दुआर पर आवे जावे वाला लोगन में से कुछ लोग से हम निहोरा करि बईठनी कि कबो हमरो दुआरे आ के देखीं.


ओहमें से कुछ लोग बड़का दुआरे शिकायत करि दिहलन कि गंगुआ हमनी के नेवता भेजले बा. ऊ तऽ हमनी के जाने ना. रऊरा दुआरे आवत जात देखेला तऽ हमनी के नेवता देबे के हिम्मत करि लिहलसि. ओकर अतना मजाल !


तुरते हमरा किहाँ नोटिस आ गउवे कि रे गंगुआ अईसनका मति करि. जाने ले कि ना ई गैर कानूनी हवे. हम तुरते माफी माँग लिहनी. ना सरकार, हमरा से गलती भऽ गईल. अब माफी दे दींही.


हम का जननी कि छोट मोट बाति के अतना बड़हन बवाल हो जाई. हम तऽ सगरो गाँव का नाराजगी लेइओ के जे पूछत रहुवे ओकरा के बड़का दुआर के पता दे देत रहुवीं. ई जानत बूझत कि ऊहाँ का हमार पता केहू के ना बतावेनीं. बोलीलें कि हमरा का मालूम गंगुआ नाम के कवनो आदमी बा कि ना. लोग हमरा के समुझावत रहुवे कि बबुआ फँसब कहियो तब बूझाई. ओकरा से सटलऽ तऽ कहियो ना कहियो झटका खइबे करबऽ. बसवा का पाछे नईखऽ पढ़ले लटकले तऽ गइले बेटा !


अब तऽ गलती हो गईल. माफी माँग चुकनी. तबो कहात बा कि गनीमत कहऽ कि लोग हमरा से शिकायत कईल. कहीं थाना कचहरी चलि जाईत लोग तऽ तोरा बेभाव के पड़ि जाईत. हँ सरकार. मान लिहनीं. एहीसे तऽ पलक झलकते माफी माँग लिहनी. तबो रउरा चाहीं तऽ फाँसी चढ़ा दीहीं. राउर मर्जी.


हम का जानत रहनी कि लोग का भोजपुरी से मोह नईखे, बड़का दुआर से मोह बा. छोटका के दुअरा अईला से ओह लोग के इज्जत घटि जाई.


हँ देश दुनिया समाज में रहला से अतना तऽ हमरो मालूम बा कि नेवता हकारी बरोबरिये में चलेला. अब हमहूँ कान पकड़ि लिहनी. ना बाबा ना बड़का दुआर काउर झँकबो ना करेब.


का कहतानी, हम गलत कहतानी ?

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आपन बाति

17th Oct 2007


एने दू तीन दिन से कुछ व्यस्तता, कुछ असकत आ कुछ तकनीकि गड़बड़ी का चलते नया सामग्री नइखे दिया पावत.


तबहियों एह मौका के उपयोग हम अँजोरिया के व्यवस्थितत करे में लगवले बानीं. कुछ बदलाव तऽ रउरो लउकले होखी. आशा करत बानीं कि ई परिवर्तन रउरा नीक लागल होखी.


बहुत दिन से एगो समस्या से परेशान रहत रहीं. भोजपुरी के स्तरीय आ प्रतिनिधि सामग्री जुटावला में बड़ा दिक्कत होत रहुवे. जे लिखेवाला बा ऊ इन्टरनेट पर आवत नइखे, आ जे आवत बा से लिखत नइखे. दू लाइन के फीडबैक खातिर त हम छछन के रह जानीं.


भोजपुरी के प्रतिष्ठित आ प्रतिनिधि पत्रिका पाती के सहयोग से हमार ऊ समस्या हल हो गइल बा. अब नियमित रूप से रउरा के भोजपुरी के साहित्य पढ़े के मिलल करी. शोध करेवालन खातिर भी ढेरे सामग्री के जुटान होखी. बस हमेशा के तरह रउरा आपन नेह छोह बनवलें राखीं.


रउरा नेह छोह का बदौलत हम आपन सब दुख तकलीफ भुला के, अपना व्यक्तिगत संकट के एक ओर फरका राखि के अँजोरिया के उजियार करे में लागल बानीं आ ओकर परिनामों देखे के मिल रहल बा. प्रतिष्ठित साहित्यकारन का नजरि में अँजोरिया आ गइल बा.


हमार हमेशा से कोशिश रहल बा कि अँजोरिया पर स्तरीय सामग्री दिआव, अब ऊ कोशिश सफलीभूतो होखेलागल बा. एह सब खातिर हम मनोज भावुक जी, अभय त्रिपाठी जी, नीरज चतुर्वेदी जी, शैलेश मिश्रा जी, सियाराम सिंह, सुधीर भाई, शशिशेखर सिंह जी, निराला तिवारी जी, बिनय पाण्डे जी, शशिभूषण रायजी, एके उपाध्याय जी, डा॰राजेन्द्र भारती जी, आ परिचय दास जी वगैरह के आभारी बानीं. ऊहाँ लोग से समय समय पर मिलल उत्साह, दिशा निर्देश, नैतिक समर्थन, सहयोग, विरोध, कटाक्ष, आ आशीर्वाद से आजु अँजोरिया लोकप्रियता के शिखर का तरफ गतिमान होके बढ़ि रहल बा.


सबले बढ़िके हम डा॰अशोक द्विवेदी जी के आभारी बानीं कि अपना नेह छोह आ आशिर्वाद से अँजोरिया खातिर प्रतिनिधि साहित्य उपलब्ध करवनीं.


‍सम्पादक


28th Sept 2007


वेबसाइट बनावे के अगिला कड़ी आ देवनागरी फान्ट का बारे में अपना पाठकन के सवाल पर कोशिश करेम कि जल्दिये कुछ कह सकीं.अकेला आदमी एने तोपेला तले ओने उघार हो जाला. हम तऽ सोचत रहीं कि अतना पाठक लोग में से कुछ लोग लिखनिहारो भेंटा जाईत तऽ कुछ बोझा हलुक करित लोग आ संगही संगही कुछ नया विचारो भेंटाइत.


21st Sept 2007


कई दिन से अपना पाठकन के अभिरूचि के जानकारी लिहला का बाद हमरा बूझात बा कि यदि हम समाचार वाला हिस्सा हटा देईं, भा ओकरा के सीमित कर देईं तऽ जवन समय बाँची ओकर कुछ बेहतर इस्तेमाल भोजपुरी के ज्यादा सामग्री देके कइल जा सकेला.


समाचार संकलन में समय बहुत अधिका लागेला. चिरई के जान जाला आ खवईया के सवादो ना आवे. मुश्किल से एक चौथाई पाठक समाचारन के देखे के जहमत उठावेलें. ओकरा बदले यदि हम सामयिक लेख दींहि तऽ शायद ऊ अधिका प्रभावी होखी.


राउर का विचार बा ?


जहाँ तक रहल बाति समाचारन के तऽ ओकर कमी हम समाचारन के लिंक देके पूरा करेके कोशिश करम. जे जवना जिला के बा तहवाँ के समाचार देखि सकेला. अन्तर अतने भर पड़ी कि समाचार हिन्दी में होखी.


आजु रउरा अतने भर करीं कि सामने दिहल फीडबैक वाला जगहा पर हमरा विचार से सहमति खातिर YES आ असहमति खातिर NO लिख के भेज दीं.


दू चार दिन तकले एह फीडबैक मिलला से करीब करीब सबकर विचार से अवगत हो जायेम आ ओहि हिसाब से आगे काम करब.


राउर,

अँजोरिया सम्पादक

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बाजऽ ए बाजा बाजऽ

Bhojpuri presence on Internet


बाजऽ ए बाजा बाजऽ, अनका के घर बाजऽ

एक बेरि बजलऽ हमरा घर, हम जोतीं अनका के हर.


ई लाईन बेटी का शादी का चलते करजा में डूबल एगो किसान तब कहले रहुवे जब खेत में हर जोतत ओकरा एगो बारात के बाजा सुनाइल रहे.


भोजपुरी के वेबसाइटन पर शोध करे के शशिभूषण राय जी के योजना सुनि के हमरा उहे लइनवा याद आ गइल. अबहीं हालही में हम एह गलती से निकलल बानीं फेर एहमें अझूराए नइखी चाहत. बाकिर जब बात निकलल बा त बतिया कहइबे करी.


सितम्बर २००६ में हम एगो लेख लिखले रहीं. रउरा ओह लेख के पढ़ सकीलें.


शशिभूषण राय जी वेब पर भोजपुरी के पुरनिया हईं, दोसर हईं विनय पाण्डेय जी, ई दुनू आदमी के हम हमेशा इज्जत करेनी आ करत रहेम. ईंहा लोग से हमरा कबो कवनो बाति पर विरोधो नइखे भइल. साँच कहीं त एक आदमी छोड़ के दोसर कवनो वेबवाला से हमरा मनमुटाव नइखे भइल. जेकरा से भइल बा ओकरो से हमरा अनजाने में भइल बा. नीयत के खोट आ नियति के दोष अलग अलग चीज होला!


खैर जवन भइल तवन भइल. बीत गइल से बात गइल. चलल जाव अपना राह पर.


आपन बाति

25th Oct 2007


एने कइ दिन से हम अँजोरिया के व्यवस्थित करे में लागल बानीं. पांच साल से अँजोरिया के बहुते तरह के वेश पहिरावल गइल. हालत इ हो गइल बा कि एक रुपता नइखे रहि गइल. पांच सात गो स्टाइलशीट बन गइल बा. कोशिश बा कि समूचा साइट के एकही स्टाइलशीट का नियन्त्रण में ले आईं. एहमे टाइम आ मेहनत दूनो बहुते लागत बा.


एही बीच अँजोरिया के लिखनिहार के सूचीबद्ध करे के कामो कर डलनी. एकाध केहू कहीं छूटल फटकल होई तऽ हम माफी चाहत बानीं. जहाँ भी गलती होखे बताईं. अँजोरिया के दूतरफा संवाद बनावे लायक बनाईं. रउरा लोगन का सक्रिय सहयोग बिना अँजोरिया के अँजोर ना कइल जा सके.


लिखनिहारन के सूची दिहला से एगो फायदा हो गइल कि कुछ पन्ना कोना आँतर में दबा गइल रहली हा स से सामने आ गइल बा. एकाध गो भुलाइलो रचना मिल गइल जेकरा के फेर से सामने ले आयेब. तबले रउरा सभे धीरज धरीं.


अँजोरिया के अइसन माध्यम बनावे के कोशिश कर रहल बानीं कि भोजपुरिहा लोगन के हर रूचि के व्यंजन परोसल जा सके. तबहियों अपना सीमा के ज्ञान हमरा बा. मुम्बई के फिल्मी दुनिया आजुकाल्ह भोजपुरी सिनेमा से गहगह बा बाकिर हमरा लगे अइसनका केहू नइखे जे भोजवुड के खबर आ फोटो वगैरह पठा सको. भोजपुरी रंगमंचो पर बहुते काम हो रहल बा. ओकरो कवनो खोज खबर हम नइखिं दे पावत. रउरा सभ में केहू एह सब कमी के पूरा करि सको त हमरा बहुते खुशी होखी.


इन्टरनेट के प्रकृति विचित्र हऽ. एहिजा अधिका लोग ह्वैम बैम थैंक यू मैम का फेर में पड़ल रहेला. कुछेक लोग गुननिहार बा जे आवेला आ कूड़ा करकट में लुकाइल हीरा के तलाश में कबाड़ के खोरि खोरि के खोजत रहेला. ओहू लोगन खातिर अँजोरिया पर सामग्री जुटावल जा रहल बा जेहसे भोजपुरी भाषा पर शोध करे वालन के भी कुछ काम लायक सामग्री मिल जाव.


अँजोरिया के खोरत रहेम त कुछ काम लायक सामग्री रउरो भेंटा जाई. नइखे भेंटात त शिकायत करीं. कोशिश करेम कि जहाँ तक हो सके राउर निहोरा पूरा कइल जा सके. हम नियमित रुप से लेखन करे वाला लोगके भी नेवता देत बानी कि आईं सभे आ अँजोरिया पर आपन सामग्री प्रकाशित कराईं. अगर देवनागरी लिपि में यूटीएफ फान्ट में टाइप कइल सामग्री मिल जाव त बहुते आसानी होखी. ना त रोमन में लिखल सामग्री के देवनागरी में बदले में कई हालि गलती हो जाला आ कुछ के कुछ हो जाला. रउरा लिखम घोर आ हम गलती से लिप्यान्तर कर देम घोड़. त आ ट, र आ ड़ के रोमन में अलगा अलगा लिखल मुश्किल काम हऽ. ढ़ लिखल त आउरियो. कइ हालि हम रउरा लोग से एगो बहस खातिर निहोरा कइनी कि रोमन लिपि में भोजपुरी ध्वनियन के मानकीकरण करे का दिसाईँ कवनो प्रयास कइल जरुरी बा. हो सकेला कि रोमन भोजपुरी तब आउरियो फइल पसरि जाव.


राउर,


अँजोरिया सम्पादक

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दरपन झूठ ना बोले.....

जो सच है तेरे सामने आये हँस ले चाहे रो ले


इयाद बा कुछ महीना पहिले जब हम अलेक्सा रैंकिग के बाति उठवले रहीं आ एगो प्रकाशक हमरा पर खिसिया गइल रहन. तब अंजोरिया अलेक्सा रैंकिग में भोजपुरी से संबंधित साइटन में दूसरका नम्बर पर रहे. स्वाभाविक बा कि पहिलका आ दूसरका नम्बर वालन का बीच कुछ प्रतियोगिता के भावना आ जाय.


पता ना का बाति बा, बाकिर अब अलेक्सा रैंकिग करे के आपन तरीका बदलि दिहले बा आ अँजोरिया दूसरा से नीचे उतरि के चउथका पायदान पर चलि गइल बा. दूसरका पर भोजपुरी‍.आर्ग आ तीसरका पर चौरीचौरा.काम आ गइल बा. दुनू के प्रकाशकन के बधाई. लागल रहऽ भाई लोग. भगवान करसु तहरा लोगन के तरक्की दिन दूना बढ़े. हमरा अब अतने संतोष बा कि हम चैलंजर टू द थ्रोन नइखी रहि गइल आ दिमाग पर से कुछ तनाव कम हो गइल बा.


रउरा इहो कहि सकीले कि हारे को हरिनाम, भा मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी. जवन चाहे कह लीं सभे, सभ मंजूर बा. तबहियों फेर ऊ बतिया दुहरायेम, का बाति बा कि भोजपुरी के अतना आबादी, अतना आइटी वाला, अतना विजिटर का रहला का बादो भोजपुरी के कवनो साइट एक लाख के सीमा नइखे लाँघ पावत?


का बाति बा कि देश के संविधान के आठवीं सूची में भोजपुरी के नाम नइखे शामिल कइल जा पावत काहे कि संघ लोक सेवा आयोग भोजपुरी में इम्तिहान करवावे में अपना के असमर्थ पावत बा?


का बाति बा कि अतना बड़ क्षेत्र, अतना आबादी रहला का बादो एगो अखबार नइखे जवन भोजपुरी में होखो? काहे बलिया के अखबार में छपरा के खबर ना मिल पावे आ छपरा के अखबार में बलिया के? जबकि आरा छपरा बलिया देवरिया चारो के कवर करत एगो अखबार, ना भोजपुरी में त हिन्दिये में सही, नइखे निकलत? जबकि एह जिलन के सामाजिक ताना बाना एक दूसरा से अतना जुड़ल बा कि एक जगह कुछ होखो त दोसरो प्रभावित होइये जाला.


का बाति बा कि भोजपुरी फिल्मन के अतना बड़हन बाजार का बादो भोजपुरी टीवी चैनल के कमी आजु ले अखरत बा. बड़हन बड़हन नाम के घोषणा हो जाला आ फेर सब कुछ शान्त हो जाला जइसे पोखरा में ढेला फेंकला का बाद उठल लहर फेर धीरे धीरे थिरा जाला.


सोंची. सोंचल जरूरी बा. भोजपुरिहन के दिल्ली मुबई कोलकाता चेन्नई हर जगहा हिकारत से देखल जाला. कहीं भईया कहि के कहीं मेंड़ूआ कहिं के त कही कुछ अउरी कहि के. काहे?


जे अपना माई के ना भईल ऊ कहियो केहू के ना हो सके. बात तनी तिक्खर बा बाकिर कहल जरूरी बा. भोजपुरी हमनी के माई हऽ, एकरा के ईज्जति दीं सभे. आदर सम्मान दीं सभे. अंग्रेजी फ्रेंच जर्मन रसियन में कमाई करीं बाकिर एगो छोट नेहार्डर, मनीआर्डर के ओकरा अतना जरूरत नइखे जतना नेहार्डर के, माईओ के भेजल करीं!


13 May 2008


ठाकरे विवाद

15 Mar 08


कुछ लोग के शिकायत हो सकेला कि राज ठाकरे, आ बाद में बाल ठाकरे, के बयान पर अँजोरिया कवनो कड़ा रूख ना अपनवलसि. कारण साफ बा कि कि हम अइसनका कवनो विवाद के हिस्सा ना बन सकी जवना देश के तूड़त होखो. कुकुर हमरा के काटी त हमहूं कुकुर के काटे ना धउड़म. कटहवा कुकुरन के लाठी मारल जाला, हबकल ना जाला!


दोसरे हर बाति का पाछा लाठी लेके दउड़लो ठीक ना होखे. बात समुझीं. देखीं कि सामने वाला के का गलती बा. ताली एके हाथ से ना बाजे. दूसरका हाथ कुछ नाहियों करे त सामने पड़ल रहेला. हिन्दी भाषी भा भोजपुरिहा भाषी के खिलाफ अगर मराठी मानुष खड़ा भइलन त का कारण बा. का खाली सामनहीं बाला दोषी बा? हमार कवनो दोष नइखे?


पहिले त आईं राज ठाकरे का बाति पर. राज ठाकरे अतने कहलन कि छठ का बहाने मुम्बई में शक्ति प्रदर्शन हो रहल बा. पूजा में नेतवन के हाजिरी बजवला के कवन काम बा. दोसरे महाराष्ट्र में रहे वाला, कमाए वाला के मराठी भाषा आ संस्कृति के आदर करे के चाहीं. एहमें कवन बात गलत बा? रउरा एक त हमरा घरे आएम, खाएम पसरेम, सूतेम, आ हमार कवनो खयाल ना करेम त हम कव दिन ले रउरा के बरदाश्त कर सकीलें? राज ठाकरे इ त ना कहलन कि बिहार यूपी में रहे वाला मराठियन के बिहार यूपी के भाषा आ संस्कृति के सम्मान ना करे के चाहीं.


काश्मीर में, पूर्वोत्तर का राज्यन में देश का बाकी क्षेत्र का लोग कई कारण से बस ना सके. सबले बड़ कारण बा सुरक्षा के सवाल. काश्मीर से पूरा हिन्दू जमात के चहेट के बाहर निकला दिहल गइल, ओह लोग के बेटी बीबी के इज्जत लूटल गइल. आजु ले ऊ लोग दिल्ली, जम्मू आ दोसरा जगहा रिफ्यूजी बनल मारल मारल फिरत बा लोग. निकलल कहियो लालू मुलायम के बोली?


ना! निकलबो ना करी. काहे कि सवाल देश के एकता आ बिहार यूपी वालन के सम्मान के नइखे. सवाल बा वोट के, वोट बैंक के पालिटिक्स के. मेरे जिगर के टुकड़ों कह के बिहार के शिक्षा व्यवस्था के चउपट कइल? यूपी में बोर्ड परीक्षा में नकल करे के पुरा छूट देके यूपी के शिक्षा व्यवस्था के चउपट कइल? बिहार में कर्पूरी डिविजन का चलते लड़िकन के पढ़ाई के खराब कइल? राज ठाकरे आ कि उनकर चाचा बाल ठाकरे? इहे लालू आ मुलायम जइसन नेता बिहार यूपी के कंगाल बना के राख दिहलन. ओहनिये का पाछा पाछा दउड़ल जाई का फेर?


आज शत्रुघ्न सिन्हा, मनोज तिवारी वगैरह के आलोचना कइल जा रहल बा. काहे? एही खातिर नूं कि ऊ लोग लालू मुलायम के हँ में हँ नइखे मिलावत? हम त आजुवे ना बार बार हर बार कहेम कि जहाँ रहे के बा, जहाँ कमाए के बा, ओहिजा के लोग के भाषा के संस्कृति के सम्मान देबे के पड़ी. जेतना सम्मान हम अपना भाषा अपना संस्कृति के दिहिले ओतने हर कोई अपना भाषा आ संस्कृति के देबेला.


के रोकले रहे लालू मुलायम वगैरह के बिहार यूपी में ढंग के उद्योग धंधा, ढंग के स्कूल कालेज खोले से? बाकिर ना. ओह लोग के जाति के राजनीति से फुरसत नइखे. अपहरण के उद्योग ओह लोग का राज में खुल के फइलल. आजु ले ऊ कमजोर नइखे पड़ल जबकि राज लालू आ मुलायम का हाथ से निकल के नीतीश आ मायावती के हाथ में आ गइल बा. बिहार यूपी में कतना बढ़िया माहौल बा ई ओहिजा रहहीं वाला जानत बूझत बाड़न. दूर के ढोल सुने में सबका बढ़िया लागेला. तनी बिहार आ यूपी में नया उद्योग शुरु कर के देखीं तब बुझाई! एगो साधारण सड़क त बने नइखे देत लोग. तुरते रंगदारी माँगे चहुँप जात बा लोग.


हो सकेला कि हमार बाति कुछ लोग के फेर खराब लागो. बाकिर दोसरा के दोष देबे से पहिले अपने चेहरा शीशा में देखे लोग. केकरा चलते, कवना चलते आजु बिहार यूपी के लोग जेने तेने छितराइल चलत बा. उ कारण हटावऽ लोग. नाराबाजी आ गाँधीगिरि के बाते से काम ना चली, कामो करे के पड़ी.


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आपन बाति

17th Oct 2007


एने दू तीन दिन से कुछ व्यस्तता, कुछ असकत आ कुछ तकनीकि गड़बड़ी का चलते नया सामग्री नइखे दिया पावत.


तबहियों एह मौका के उपयोग हम अँजोरिया के व्यवस्थितत करे में लगवले बानीं. कुछ बदलाव तऽ रउरो लउकले होखी. आशा करत बानीं कि ई परिवर्तन रउरा नीक लागल होखी.


बहुत दिन से एगो समस्या से परेशान रहत रहीं. भोजपुरी के स्तरीय आ प्रतिनिधि सामग्री जुटावला में बड़ा दिक्कत होत रहुवे. जे लिखेवाला बा ऊ इन्टरनेट पर आवत नइखे, आ जे आवत बा से लिखत नइखे. दू लाइन के फीडबैक खातिर त हम छछन के रह जानीं.


भोजपुरी के प्रतिष्ठित आ प्रतिनिधि पत्रिका पाती के सहयोग से हमार ऊ समस्या हल हो गइल बा. अब नियमित रूप से रउरा के भोजपुरी के साहित्य पढ़े के मिलल करी. शोध करेवालन खातिर भी ढेरे सामग्री के जुटान होखी. बस हमेशा के तरह रउरा आपन नेह छोह बनवलें राखीं.


रउरा नेह छोह का बदौलत हम आपन सब दुख तकलीफ भुला के, अपना व्यक्तिगत संकट के एक ओर फरका राखि के अँजोरिया के उजियार करे में लागल बानीं आ ओकर परिनामों देखे के मिल रहल बा. प्रतिष्ठित साहित्यकारन का नजरि में अँजोरिया आ गइल बा.


हमार हमेशा से कोशिश रहल बा कि अँजोरिया पर स्तरीय सामग्री दिआव, अब ऊ कोशिश सफलीभूतो होखेलागल बा. एह सब खातिर हम मनोज भावुक जी, अभय त्रिपाठी जी, नीरज चतुर्वेदी जी, शैलेश मिश्रा जी, सियाराम सिंह, सुधीर भाई, शशिशेखर सिंह जी, निराला तिवारी जी, बिनय पाण्डे जी, शशिभूषण रायजी, एके उपाध्याय जी, डा॰राजेन्द्र भारती जी, आ परिचय दास जी वगैरह के आभारी बानीं. ऊहाँ लोग से समय समय पर मिलल उत्साह, दिशा निर्देश, नैतिक समर्थन, सहयोग, विरोध, कटाक्ष, आ आशीर्वाद से आजु अँजोरिया लोकप्रियता के शिखर का तरफ गतिमान होके बढ़ि रहल बा.


सबले बढ़िके हम डा॰अशोक द्विवेदी जी के आभारी बानीं कि अपना नेह छोह आ आशिर्वाद से अँजोरिया खातिर प्रतिनिधि साहित्य उपलब्ध करवनीं.


‍सम्पादक


28th Sept 2007


वेबसाइट बनावे के अगिला कड़ी आ देवनागरी फान्ट का बारे में अपना पाठकन के सवाल पर कोशिश करेम कि जल्दिये कुछ कह सकीं.अकेला आदमी एने तोपेला तले ओने उघार हो जाला. हम तऽ सोचत रहीं कि अतना पाठक लोग में से कुछ लोग लिखनिहारो भेंटा जाईत तऽ कुछ बोझा हलुक करित लोग आ संगही संगही कुछ नया विचारो भेंटाइत.


21st Sept 2007


कई दिन से अपना पाठकन के अभिरूचि के जानकारी लिहला का बाद हमरा बूझात बा कि यदि हम समाचार वाला हिस्सा हटा देईं, भा ओकरा के सीमित कर देईं तऽ जवन समय बाँची ओकर कुछ बेहतर इस्तेमाल भोजपुरी के ज्यादा सामग्री देके कइल जा सकेला.


समाचार संकलन में समय बहुत अधिका लागेला. चिरई के जान जाला आ खवईया के सवादो ना आवे. मुश्किल से एक चौथाई पाठक समाचारन के देखे के जहमत उठावेलें. ओकरा बदले यदि हम सामयिक लेख दींहि तऽ शायद ऊ अधिका प्रभावी होखी.


राउर का विचार बा ?


जहाँ तक रहल बाति समाचारन के तऽ ओकर कमी हम समाचारन के लिंक देके पूरा करेके कोशिश करम. जे जवना जिला के बा तहवाँ के समाचार देखि सकेला. अन्तर अतने भर पड़ी कि समाचार हिन्दी में होखी.


आजु रउरा अतने भर करीं कि सामने दिहल फीडबैक वाला जगहा पर हमरा विचार से सहमति खातिर YES आ असहमति खातिर NO लिख के भेज दीं.


दू चार दिन तकले एह फीडबैक मिलला से करीब करीब सबकर विचार से अवगत हो जायेम आ ओहि हिसाब से आगे काम करब.


राउर,

अँजोरिया सम्पादक

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बाजऽ ए बाजा बाजऽ

Bhojpuri presence on Internet


बाजऽ ए बाजा बाजऽ, अनका के घर बाजऽ

एक बेरि बजलऽ हमरा घर, हम जोतीं अनका के हर.


ई लाईन बेटी का शादी का चलते करजा में डूबल एगो किसान तब कहले रहुवे जब खेत में हर जोतत ओकरा एगो बारात के बाजा सुनाइल रहे.


भोजपुरी के वेबसाइटन पर शोध करे के शशिभूषण राय जी के योजना सुनि के हमरा उहे लइनवा याद आ गइल. अबहीं हालही में हम एह गलती से निकलल बानीं फेर एहमें अझूराए नइखी चाहत. बाकिर जब बात निकलल बा त बतिया कहइबे करी.


सितम्बर २००६ में हम एगो लेख लिखले रहीं. रउरा ओह लेख के पढ़ सकीलें.


शशिभूषण राय जी वेब पर भोजपुरी के पुरनिया हईं, दोसर हईं विनय पाण्डेय जी, ई दुनू आदमी के हम हमेशा इज्जत करेनी आ करत रहेम. ईंहा लोग से हमरा कबो कवनो बाति पर विरोधो नइखे भइल. साँच कहीं त एक आदमी छोड़ के दोसर कवनो वेबवाला से हमरा मनमुटाव नइखे भइल. जेकरा से भइल बा ओकरो से हमरा अनजाने में भइल बा. नीयत के खोट आ नियति के दोष अलग अलग चीज होला!


खैर जवन भइल तवन भइल. बीत गइल से बात गइल. चलल जाव अपना राह पर.


आपन बाति

25th Oct 2007


एने कइ दिन से हम अँजोरिया के व्यवस्थित करे में लागल बानीं. पांच साल से अँजोरिया के बहुते तरह के वेश पहिरावल गइल. हालत इ हो गइल बा कि एक रुपता नइखे रहि गइल. पांच सात गो स्टाइलशीट बन गइल बा. कोशिश बा कि समूचा साइट के एकही स्टाइलशीट का नियन्त्रण में ले आईं. एहमे टाइम आ मेहनत दूनो बहुते लागत बा.


एही बीच अँजोरिया के लिखनिहार के सूचीबद्ध करे के कामो कर डलनी. एकाध केहू कहीं छूटल फटकल होई तऽ हम माफी चाहत बानीं. जहाँ भी गलती होखे बताईं. अँजोरिया के दूतरफा संवाद बनावे लायक बनाईं. रउरा लोगन का सक्रिय सहयोग बिना अँजोरिया के अँजोर ना कइल जा सके.


लिखनिहारन के सूची दिहला से एगो फायदा हो गइल कि कुछ पन्ना कोना आँतर में दबा गइल रहली हा स से सामने आ गइल बा. एकाध गो भुलाइलो रचना मिल गइल जेकरा के फेर से सामने ले आयेब. तबले रउरा सभे धीरज धरीं.


अँजोरिया के अइसन माध्यम बनावे के कोशिश कर रहल बानीं कि भोजपुरिहा लोगन के हर रूचि के व्यंजन परोसल जा सके. तबहियों अपना सीमा के ज्ञान हमरा बा. मुम्बई के फिल्मी दुनिया आजुकाल्ह भोजपुरी सिनेमा से गहगह बा बाकिर हमरा लगे अइसनका केहू नइखे जे भोजवुड के खबर आ फोटो वगैरह पठा सको. भोजपुरी रंगमंचो पर बहुते काम हो रहल बा. ओकरो कवनो खोज खबर हम नइखिं दे पावत. रउरा सभ में केहू एह सब कमी के पूरा करि सको त हमरा बहुते खुशी होखी.


इन्टरनेट के प्रकृति विचित्र हऽ. एहिजा अधिका लोग ह्वैम बैम थैंक यू मैम का फेर में पड़ल रहेला. कुछेक लोग गुननिहार बा जे आवेला आ कूड़ा करकट में लुकाइल हीरा के तलाश में कबाड़ के खोरि खोरि के खोजत रहेला. ओहू लोगन खातिर अँजोरिया पर सामग्री जुटावल जा रहल बा जेहसे भोजपुरी भाषा पर शोध करे वालन के भी कुछ काम लायक सामग्री मिल जाव.


अँजोरिया के खोरत रहेम त कुछ काम लायक सामग्री रउरो भेंटा जाई. नइखे भेंटात त शिकायत करीं. कोशिश करेम कि जहाँ तक हो सके राउर निहोरा पूरा कइल जा सके. हम नियमित रुप से लेखन करे वाला लोगके भी नेवता देत बानी कि आईं सभे आ अँजोरिया पर आपन सामग्री प्रकाशित कराईं. अगर देवनागरी लिपि में यूटीएफ फान्ट में टाइप कइल सामग्री मिल जाव त बहुते आसानी होखी. ना त रोमन में लिखल सामग्री के देवनागरी में बदले में कई हालि गलती हो जाला आ कुछ के कुछ हो जाला. रउरा लिखम घोर आ हम गलती से लिप्यान्तर कर देम घोड़. त आ ट, र आ ड़ के रोमन में अलगा अलगा लिखल मुश्किल काम हऽ. ढ़ लिखल त आउरियो. कइ हालि हम रउरा लोग से एगो बहस खातिर निहोरा कइनी कि रोमन लिपि में भोजपुरी ध्वनियन के मानकीकरण करे का दिसाईँ कवनो प्रयास कइल जरुरी बा. हो सकेला कि रोमन भोजपुरी तब आउरियो फइल पसरि जाव.


राउर,


अँजोरिया सम्पादक

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बेमतलब के बात

18 Feb 08


कुछ लोग कही कि इ सब बेमतलब के बाति बा तबहियों हम ई बतावल चाहत बानीं कि भोजपुरी के नव गो सबले अधिका लोकप्रिय वेबसाइटन में से तीन गो अँजोरिया परिवार से बा!


विनय पाण्डे जी आ शशिभूषण राय जी के शुरुआत कइल काम के अँजोरिया मजगर तरीका से बढ़वलसि आ इण्टरनेट पर भोजपुरी के मजबूत मौजूदगी दर्ज करवलसि.


कुछ व्यक्तिगत कारण से हम सभा सम्मेलन में ना जा पाइलां, काहे कि हमार जिनिगी रिक्शावाला जिनिगी हऽ, रोज कमाए के बा रोज खाए के बा. दूइयो चार दिन के छुट्टी लिहल हमरा खातिर असम्भव जइसन हो जाला. परिणाम इ होला कि भोजपुरी के सभा सम्मेलन करे वाला लोगन खातिर हमार अस्तित्वे नइखे. हमरा ओकर कमी ना बूझाला, कमी एह बाति के बुझाला कि सभा सम्मेलन के खबर हमेशा हमरा तीसरा पक्ष से मालूम होला आ कई हालि खबर बीत गइला का बाद!


अँजोरिया के शुरुवे से परम्परा रहल कि हर नवागन्तुक भोजपुरिहा के स्वागत कइल. जब जवना साइट का बारे में पता लागल ओकर खबर, ओकर लिंक हम अँजोरिया पर जरुर दिहनी. तबो हमरा का मिलल? लोग राजा भोज बनि गइल आ हम गंगूआ तेली!


अगर रउरा लोगन में से केहू के सम्पर्क भोजपुरी के कवनो संस्था से होखे त रउरा से निहोरा बा कि अपना संस्था के खबर, गतिविधि का बारे में अंजोरिया के जरुर सूचित करीं. ओकरा के प्रकाशित प्रचारित करिके हमरा बहुते खुशी होखी, आ रउरा कवनो नुकसान ना होखी!


भोजपुरी के लेखक, कवि, प्रकाशक लोग से भी निहोरा बा कि आपन रचना का बारे में, प्रकाशन का बारे में अँजोरिया के सूचित करीं ताकि हम ओकरा के स्थायी जगहा दे सकीं. अँजोरिया हमार प्यार हऽ धंधा ना हऽ. रउरा इहो कह सकेली कि मिले त मारीं ना त बाल ब्रह्मचारी! जइसे कि सरकारी कर्मचारियन का बारे में कहाला कि उहे इमानदार बा जेकरा मउका ना मिलल भा जेकरा हिम्मत ना भइल! भोजपुरी धंधा लायक भाषा हो जाव त एहले बढ़के दोसर कवनो खुशखबरी ना होखी. काहे कि दुनिया पइसा के भाषा बुझेला,प्यार के ना! बाकिर अँजोरिया चाही कि दुनिया में कहीं कतहूँ केहू भोजपुरी खातिर कुछ करो त हम दुनिया के ओकरा बारे में बता सकीं. भोजपुरी के कतना विश्व संगठन बाड़ी स हमरा पता नइखे, बाकिर हर चार छह महना पर कहीं ना कहीं कवनो विश्व सम्मेलन जरूरे आयोजित होखेला. हम हर सम्मेलन का बारे में जाने चाहत बानीं, बतावत चाहत बानीं.


सम्पादक,

अँजोरिया

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(Sept-Oct 2008)


राजीव पाण्डेय जी ३ नवम्बर के लिख भेजले बानी कि

Hamke bahut khusi ba ki anjoria.com aur mahua tv chanel ke madhyam se logo ko bhojpuria samaj ka aur gyan hoga aur E hamni ke vikas ke khatir ego naya yug ke suwat hai


नीरज श्रीवास्तव जी शुभा शर्मा के सुन्दरता से प्रभावित होके लिखले बानी कि

i m from media. actress is so beautiful but hero not good. who is she. can i have her mobile nomber. i want take a interveu.


विवेकानन्द पाठक ३० अक्टूबर के लिखले बानी कि

सब कुछ बढ़िया बा अँजोरिया में.

Badiya Ba sab kuchh anjoria me


२१ अक्टूबर के मनराज यादव जी लिखले बानी कि

भोजपुरी चैनल महुआ चालू होये से बड़ी खुशी हुई है.


२० अक्टूबर के रविशंकर सिंह बागी लिखले बानी कि

जय भोजपुरी, जय अँजोरिया. १९ अक्टूबर २००८ के मनोज तिवारी बहादुरपुर में आईल रहलें. उहँवा करीब बीसन हजार से भी जेयादा भीड़ रहे. हमरा बड़ी खुशी भईल कि एगो पुरबिया के स्वागत में अतना लोग जुटल बा. बाकिर एगो अफसोसो बा कि दिल्ली में रहेवाला पुर्वांचलवासियन के इज्जत से ना देखल जाला. एकर सबले बड़ कारण बा किकेहू केहू के हेल्प करल ना जाने. हम एगो बिजनेसमैन हईं. हमार बिजनेस शिक्षा से जुड़ल बा. यूटेक कम्प्यूटर एजुकेशन. लेकिन अपना क्षेत्रीय वासी से भोजपुरि में बात करी ले जा. बस रउरा लोग के आशीर्वाद से आ परम गुरु शिव खेड़ा जी के प्रेरणा से राजनीति का साथ साथ समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रख देले बानी. जय हिन्द


१३ अक्टूबर के राजकुमार तिवारी मधुर लिखले बानी कि

घर के खबर नेट पर पढ़ के बहुत अच्छा लागल. हम कोलकाता में रहि के सोबई बाँध बलिया के समाचार पढ़ लेनी, कतना खुशी के बात बा.

साथही साथ उहाँ के फिल्म अभिनेता अनिरुद्ध जी के प्रशंसा मे ंलिखले बानी कि फिलिम बढ़िया लागल. कोलकाता में देखनी जा.


२९ अक्टूबर के राकेश श्रीवास्तव लिखले बानी कि

दिये से रोशन रहे आपका घर द्वार, खुशियाँ आयें जीवन में बार बार. सफलता हर दम पर करे आपका इन्तजार. दीवाली की शुभकामनाओं के साथ ढेर सारा प्यार.


२९ अक्टूबर के भेजल फीडबैक में सत्येन्द्र नारायण सिंह जानत चाहत बानी कि

i want to know about the bhojpuri writer RAMESHWAR SINGH KASHYAP writer of Famous Natak LOHA SINGH. If any one can give me details please..i will be highly oblised


Please read about Prof.Rameshwar Singh Kashyap


२१ अक्टूबर के मनराज यादव जी लिखले बानी कि

भोजपुरी चैनल महुआ चालू होये से बड़ी खुशी हुई है.


२० अक्टूबर के रविशंकर सिंह बागी लिखले बानी कि

जय भोजपुरी, जय अँजोरिया. १९ अक्टूबर २००८ के मनोज तिवारी बहादुरपुर में आईल रहलें. उहँवा करीब बीसन हजार से भी जेयादा भीड़ रहे. हमरा बड़ी खुशी भईल कि एगो पुरबिया के स्वागत में अतना लोग जुटल बा. बाकिर एगो अफसोसो बा कि दिल्ली में रहेवाला पुर्वांचलवासियन के इज्जत से ना देखल जाला. एकर सबले बड़ कारण बा किकेहू केहू के हेल्प करल ना जाने. हम एगो बिजनेसमैन हईं. हमार बिजनेस शिक्षा से जुड़ल बा. यूटेक कम्प्यूटर एजुकेशन. लेकिन अपना क्षेत्रीय वासी से भोजपुरि में बात करी ले जा. बस रउरा लोग के आशीर्वाद से आ परम गुरु शिव खेड़ा जी के प्रेरणा से राजनीति का साथ साथ समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रख देले बानी. जय हिन्द


१३ अक्टूबर के राजकुमार तिवारी मधुर लिखले बानी कि

घर के खबर नेट पर पढ़ के बहुत अच्छा लागल. हम कोलकाता में रहि के सोबई बाँध बलिया के समाचार पढ़ लेनी, कतना खुशी के बात बा.

साथही साथ उहाँ के फिल्म अभिनेता अनिरुद्ध जी के प्रशंसा मे ंलिखले बानी कि फिलिम बढ़िया लागल. कोलकाता में देखनी जा.


१२ अक्टूबर के सतीश कुमार सिंह लिखले बानी कि

i am very glad about my letter .so anjoria site is very nice site that evert person is very nice who member of anjoria site , and really i wish to all the member of anjoria tell laudly jai maa durga .jai ho bhirgu baba ki ,beero ki dharti jawano ka desh bagi ballia uatter pradesh.


८ अक्टूबर के विंध्यवासनी राय लिखले बानी कि

First I congrats ajoria and Mahua TV team for becoming the first bhojpuri channel and website.

I like your website and channel because bhojpuri is very sweet language,so I love bhojpuri.I want to join your channel Mahua News because Iam student of journalism and mass

communication.So please send me reply with address of Mahua TV branch in noida.


बधाई खातिर धन्यवाद, बाकिर महुआ टीवी से अँजोरिया के कवनो तरह के औपचारिक संबंध नईखे. महुआ टीवी के लोग से संपर्क करे के हमार प्रयास बेकार हो गईल बा एहसे हम ओह लोग का बारे मेा ज्यादा जानकारी नइखी दे सकत. - संपादक.


२ अक्टूबर के सतीश कुमार सिंह लिखले बानी

हम अंजोरिया ग्रुप ज्वायन करके बहुत खुश बानी. अबहीं त हम बेंगलोर में बानी बाकिर हमार गांव बलिया में बा. हमरा उमेद बाकि अंजोरिया हर भोजपुरिहा खातिर वरदान बा. भगवान करे ई हजार बरिस जिये


१ अक्टूबर के राकेश श्रीवस्तव जी सभके नवरात के बधाई भेजले बाड़े

नवरात्रि में दुर्गा माई ाबके कल्याण करस, ईहे कामना बा.

आप सबके, राकेश श्रीवास्तव


२६ सितम्बर के सिद्दिकी भाई लिखले बाड़े कि

खिलल बा भोजपुरिया समाज में एगो आउरी फूल जवन गमकाई पूरा हिन्दुस्तान के. नाम हऽ बिजेन्द्र आकांक्षा रहे वाला सिवान के. बिजेन्द्र भईया बढ़त जा, आगा हमनी के दुआ तहरा साथ बा..


२६ सितम्बर के आशुतोष शर्मा हम बाहुबली में अमर उपाध्याय आ रिंकू घोष के जोड़ी देख के लिखले बाड़न कि बहुत बढ़िया जोड़ी बाटे.


२४ सितम्बर के अभिषेक राय शिकायत का साथ सुझाव भेजले बाड़े

I congrats anjoria for becoming the first bhojpuri website.

I always visit the site but I would like to suggest anjoria that u should update the site everyday or even after a week as few columns like bhojpuri sms have not been updated since last month.


Editor Replies : Thank You Abhishek for remindings, but Anjoria is updated daily. Some columns sometimes take a back seat to see whether some one notices it or not?


२१ सितम्बर के निरहुआ पर लिखल लेख पढ़ के लिखलन मनराज यादव

Dinesh lal Yadav "Nirahuwa" bhojpuri ke megastar bani.


१९ सितम्बर के आशा श्रीवास्तव जी लिखले बानीं

अंजोरिया से ना जाने केतना लोग के राह मिलल. हम वेक्तिगत रुप से एह बात के समझत बानी. अंजोरिया लोग के कुंठित मन से अंधियार भगाई ई हमरा भरोसा बा. ईहे अंजोरिया के गुन ह जे कि सभकरा जीवन के उजियार करेला.


Habibur Rahman has written on 19th Sept.

manoj ji you r my best actor in bhojpuri film aur aapki filme mujhe bahut aachi lagti hai.


१९ सितम्बर के डा॰एस॰पी॰सिंह सलाह भेजले बाड़न कि


भाई जहिया से हम ई अँजोरिया से मिलल बानी बिना देखले चैन ना मिलेला. शायद देश में रहि के अतना याद ना आवत लेकिन ई वेबसाईट सही में एगो दिया जइसे बा जेकरा सहारे हमनी के विदेशो में अपना लोगन के याद क सकेनी.


हमार एगो ईच्छा बा कि आऊरी नवजवानन के एकरा से जोड़ीं लोग. आ इम्पालयमेंट के जानकारी ई साइट पर दिहला से अउरी लोगन के जोड़ल जा सकेला.


जय भोजपुरी. जय भारत.


१८ सितम्बर के भेजल फीडलबैक में रविशंकर जी गाना के फरमाइश कइले बाड़न.


१६ सितम्बर के भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी पर लिखल लेख पढ़ के जीतेन्द्र कुमार मनोज तिवारी के रियल एक्टर बतलवले बाड़े.


१६ सितम्बर के आलोक कुमार के भेजल फीडबैक पढ़ात नईखे. बुझाता कि देवनागरी में कुछ लिखले बाड़न.


जय सिंह १५ सितम्बर के लिखलन कि


ham chahat tani ki siwan khube taraki kare.bhagwan se hamar ehe prathana ba.e bhisad badh se bhagwan biharwasi ke raksha karas


सोहराब अली १३ सितम्बर के लिखलन कि


i had read anjoria.com i like it and i will alwayes read and open this site i proude of my bhojpuri language.


११ सितम्बर के डा॰एस॰पी॰सिंह लिखले बाड़े -


बहुत बढ़िया हौ. मजा आ गयेल. विदेशो में देश के माटी का मजा एही के कहल जाला. हम इटली में आजु पहली बार ई अँजोरिया देखनी.

जय भोजपुरी.


Somji Prasad wrote on 2nd Sept -


maine aaj hi anjoriya padha achcha laga i love my bihar


Sanju has written on 4th Sept -


हम अँजोरिया नाम से बहुत खुश बानी. अंजोरिया एक दिन पूरा बिहार ही नही पूरा भारत के अँजोर करी आ एकरा साथ में मुंबई के भी अँजोर करी, जेतना भ्रष्ट नेता बाड़न जा ओहू लोग के मन के अँजोर करी. जय बिहार. - संजू

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(July-Aug 2008)

राजीव पाण्डेय जी ३ नवम्बर के लिख भेजले बानी कि

Hamke bahut khusi ba ki anjoria.com aur mahua tv chanel ke madhyam se logo ko bhojpuria samaj ka aur gyan hoga aur E hamni ke vikas ke khatir ego naya yug ke suwat hai


नीरज श्रीवास्तव जी शुभा शर्मा के सुन्दरता से प्रभावित होके लिखले बानी कि

i m from media. actress is so beautiful but hero not good. who is she. can i have her mobile nomber. i want take a interveu.


विवेकानन्द पाठक ३० अक्टूबर के लिखले बानी कि

सब कुछ बढ़िया बा अँजोरिया में.

Badiya Ba sab kuchh anjoria me


२१ अक्टूबर के मनराज यादव जी लिखले बानी कि

भोजपुरी चैनल महुआ चालू होये से बड़ी खुशी हुई है.


२० अक्टूबर के रविशंकर सिंह बागी लिखले बानी कि

जय भोजपुरी, जय अँजोरिया. १९ अक्टूबर २००८ के मनोज तिवारी बहादुरपुर में आईल रहलें. उहँवा करीब बीसन हजार से भी जेयादा भीड़ रहे. हमरा बड़ी खुशी भईल कि एगो पुरबिया के स्वागत में अतना लोग जुटल बा. बाकिर एगो अफसोसो बा कि दिल्ली में रहेवाला पुर्वांचलवासियन के इज्जत से ना देखल जाला. एकर सबले बड़ कारण बा किकेहू केहू के हेल्प करल ना जाने. हम एगो बिजनेसमैन हईं. हमार बिजनेस शिक्षा से जुड़ल बा. यूटेक कम्प्यूटर एजुकेशन. लेकिन अपना क्षेत्रीय वासी से भोजपुरि में बात करी ले जा. बस रउरा लोग के आशीर्वाद से आ परम गुरु शिव खेड़ा जी के प्रेरणा से राजनीति का साथ साथ समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रख देले बानी. जय हिन्द


१३ अक्टूबर के राजकुमार तिवारी मधुर लिखले बानी कि

घर के खबर नेट पर पढ़ के बहुत अच्छा लागल. हम कोलकाता में रहि के सोबई बाँध बलिया के समाचार पढ़ लेनी, कतना खुशी के बात बा.

साथही साथ उहाँ के फिल्म अभिनेता अनिरुद्ध जी के प्रशंसा मे ंलिखले बानी कि फिलिम बढ़िया लागल. कोलकाता में देखनी जा.


२९ अक्टूबर के राकेश श्रीवास्तव लिखले बानी कि

दिये से रोशन रहे आपका घर द्वार, खुशियाँ आयें जीवन में बार बार. सफलता हर दम पर करे आपका इन्तजार. दीवाली की शुभकामनाओं के साथ ढेर सारा प्यार.


२९ अक्टूबर के भेजल फीडबैक में सत्येन्द्र नारायण सिंह जानत चाहत बानी कि

i want to know about the bhojpuri writer RAMESHWAR SINGH KASHYAP writer of Famous Natak LOHA SINGH. If any one can give me details please..i will be highly oblised


Please read about Prof.Rameshwar Singh Kashyap


२१ अक्टूबर के मनराज यादव जी लिखले बानी कि

भोजपुरी चैनल महुआ चालू होये से बड़ी खुशी हुई है.


२० अक्टूबर के रविशंकर सिंह बागी लिखले बानी कि

जय भोजपुरी, जय अँजोरिया. १९ अक्टूबर २००८ के मनोज तिवारी बहादुरपुर में आईल रहलें. उहँवा करीब बीसन हजार से भी जेयादा भीड़ रहे. हमरा बड़ी खुशी भईल कि एगो पुरबिया के स्वागत में अतना लोग जुटल बा. बाकिर एगो अफसोसो बा कि दिल्ली में रहेवाला पुर्वांचलवासियन के इज्जत से ना देखल जाला. एकर सबले बड़ कारण बा किकेहू केहू के हेल्प करल ना जाने. हम एगो बिजनेसमैन हईं. हमार बिजनेस शिक्षा से जुड़ल बा. यूटेक कम्प्यूटर एजुकेशन. लेकिन अपना क्षेत्रीय वासी से भोजपुरि में बात करी ले जा. बस रउरा लोग के आशीर्वाद से आ परम गुरु शिव खेड़ा जी के प्रेरणा से राजनीति का साथ साथ समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रख देले बानी. जय हिन्द


१३ अक्टूबर के राजकुमार तिवारी मधुर लिखले बानी कि

घर के खबर नेट पर पढ़ के बहुत अच्छा लागल. हम कोलकाता में रहि के सोबई बाँध बलिया के समाचार पढ़ लेनी, कतना खुशी के बात बा.

साथही साथ उहाँ के फिल्म अभिनेता अनिरुद्ध जी के प्रशंसा मे ंलिखले बानी कि फिलिम बढ़िया लागल. कोलकाता में देखनी जा.


१२ अक्टूबर के सतीश कुमार सिंह लिखले बानी कि

i am very glad about my letter .so anjoria site is very nice site that evert person is very nice who member of anjoria site , and really i wish to all the member of anjoria tell laudly jai maa durga .jai ho bhirgu baba ki ,beero ki dharti jawano ka desh bagi ballia uatter pradesh.


८ अक्टूबर के विंध्यवासनी राय लिखले बानी कि

First I congrats ajoria and Mahua TV team for becoming the first bhojpuri channel and website.

I like your website and channel because bhojpuri is very sweet language,so I love bhojpuri.I want to join your channel Mahua News because Iam student of journalism and mass

communication.So please send me reply with address of Mahua TV branch in noida.


बधाई खातिर धन्यवाद, बाकिर महुआ टीवी से अँजोरिया के कवनो तरह के औपचारिक संबंध नईखे. महुआ टीवी के लोग से संपर्क करे के हमार प्रयास बेकार हो गईल बा एहसे हम ओह लोग का बारे मेा ज्यादा जानकारी नइखी दे सकत. - संपादक.


२ अक्टूबर के सतीश कुमार सिंह लिखले बानी

हम अंजोरिया ग्रुप ज्वायन करके बहुत खुश बानी. अबहीं त हम बेंगलोर में बानी बाकिर हमार गांव बलिया में बा. हमरा उमेद बाकि अंजोरिया हर भोजपुरिहा खातिर वरदान बा. भगवान करे ई हजार बरिस जिये


१ अक्टूबर के राकेश श्रीवस्तव जी सभके नवरात के बधाई भेजले बाड़े

नवरात्रि में दुर्गा माई ाबके कल्याण करस, ईहे कामना बा.

आप सबके, राकेश श्रीवास्तव


२६ सितम्बर के सिद्दिकी भाई लिखले बाड़े कि

खिलल बा भोजपुरिया समाज में एगो आउरी फूल जवन गमकाई पूरा हिन्दुस्तान के. नाम हऽ बिजेन्द्र आकांक्षा रहे वाला सिवान के. बिजेन्द्र भईया बढ़त जा, आगा हमनी के दुआ तहरा साथ बा..


२६ सितम्बर के आशुतोष शर्मा हम बाहुबली में अमर उपाध्याय आ रिंकू घोष के जोड़ी देख के लिखले बाड़न कि बहुत बढ़िया जोड़ी बाटे.


२४ सितम्बर के अभिषेक राय शिकायत का साथ सुझाव भेजले बाड़े

I congrats anjoria for becoming the first bhojpuri website.

I always visit the site but I would like to suggest anjoria that u should update the site everyday or even after a week as few columns like bhojpuri sms have not been updated since last month.


Editor Replies : Thank You Abhishek for remindings, but Anjoria is updated daily. Some columns sometimes take a back seat to see whether some one notices it or not?


२१ सितम्बर के निरहुआ पर लिखल लेख पढ़ के लिखलन मनराज यादव

Dinesh lal Yadav "Nirahuwa" bhojpuri ke megastar bani.


१९ सितम्बर के आशा श्रीवास्तव जी लिखले बानीं

अंजोरिया से ना जाने केतना लोग के राह मिलल. हम वेक्तिगत रुप से एह बात के समझत बानी. अंजोरिया लोग के कुंठित मन से अंधियार भगाई ई हमरा भरोसा बा. ईहे अंजोरिया के गुन ह जे कि सभकरा जीवन के उजियार करेला.


Habibur Rahman has written on 19th Sept.

manoj ji you r my best actor in bhojpuri film aur aapki filme mujhe bahut aachi lagti hai.


१९ सितम्बर के डा॰एस॰पी॰सिंह सलाह भेजले बाड़न कि


भाई जहिया से हम ई अँजोरिया से मिलल बानी बिना देखले चैन ना मिलेला. शायद देश में रहि के अतना याद ना आवत लेकिन ई वेबसाईट सही में एगो दिया जइसे बा जेकरा सहारे हमनी के विदेशो में अपना लोगन के याद क सकेनी.


हमार एगो ईच्छा बा कि आऊरी नवजवानन के एकरा से जोड़ीं लोग. आ इम्पालयमेंट के जानकारी ई साइट पर दिहला से अउरी लोगन के जोड़ल जा सकेला.


जय भोजपुरी. जय भारत.


१८ सितम्बर के भेजल फीडलबैक में रविशंकर जी गाना के फरमाइश कइले बाड़न.


१६ सितम्बर के भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी पर लिखल लेख पढ़ के जीतेन्द्र कुमार मनोज तिवारी के रियल एक्टर बतलवले बाड़े.


१६ सितम्बर के आलोक कुमार के भेजल फीडबैक पढ़ात नईखे. बुझाता कि देवनागरी में कुछ लिखले बाड़न.


जय सिंह १५ सितम्बर के लिखलन कि


ham chahat tani ki siwan khube taraki kare.bhagwan se hamar ehe prathana ba.e bhisad badh se bhagwan biharwasi ke raksha karas


सोहराब अली १३ सितम्बर के लिखलन कि


i had read anjoria.com i like it and i will alwayes read and open this site i proude of my bhojpuri language.


११ सितम्बर के डा॰एस॰पी॰सिंह लिखले बाड़े -


बहुत बढ़िया हौ. मजा आ गयेल. विदेशो में देश के माटी का मजा एही के कहल जाला. हम इटली में आजु पहली बार ई अँजोरिया देखनी.

जय भोजपुरी.


Somji Prasad wrote on 2nd Sept -


maine aaj hi anjoriya padha achcha laga i love my bihar


Sanju has written on 4th Sept -


हम अँजोरिया नाम से बहुत खुश बानी. अंजोरिया एक दिन पूरा बिहार ही नही पूरा भारत के अँजोर करी आ एकरा साथ में मुंबई के भी अँजोर करी, जेतना भ्रष्ट नेता बाड़न जा ओहू लोग के मन के अँजोर करी. जय बिहार. - संजू


Diwakar Mishra has written on 27th Aug-


very very goooooooooooood


२५ अगस्त के रवीन्द्र कुमार लिखले बाड़े -


I listen a Bhojpuri Song's Bharat Bayal. Pls send the some song of bharat SharmaThank you.


२४ अगस्त के चन्दन प्रजापति लिखले बाड़े -


बलिया बहुते तरक्की करे, हम इहे चाहऽतानी.


२४ अगस्त के धर्मेन्द्र कुमार पान्डेय फिल्मी पन्ना पर से लिखले बाड़े -


नीक बा, सुनील बुबना जी के बधाई..


John Williams has send a feedback on 21 August -


Pretty nice site, wants to see much more on it! :)

Many many thanks, Mr. Williams.


२२ अगस्त के राजकुमार तिवारी बस अतने लिखले बाड़े -


बहुत अच्छा लागल.


John Williams has send a feedback on 21 August -


Pretty nice site, wants to see much more on it! :)

Many many thanks, Mr. Williams.


१९ अगस्त के मराज यादव लिखले बाड़े -


अँजोरिया का बारे में हमरा के विचार त ठीक बा लेकिन हम आशा करत बानी कि जल्दी ही आप लोग एक भोजपुरी चैनल चालू करेंगे. तब भोजपुरी समाज के लोगो के खातिर फील गुड होगा.

मराज भाई, महुआ चैनल शुरु हो गइल बा. देखीँ, आनन्द लीहिं. - सम्पादक


१९ अगस्त के सिद्दिकि लिखले बाड़े -


जे चाहल, जे सोचल, जे खोलल वेबसाइट अंजोरिया.

या मालिक हमरा माथा पर रख दऽ उनुका दुख दर्द के मोटरिया.


१८ अगस्त के आनन्द लिखले बाड़े -


I like this news paper..


१७ अगस्त के मोहाली से अनुग्रह प्रताप सिंह लिखले बाड़े -


हेलो जी, आपके भोजपुरी अंदाज हमके बहुत अच्छा लागल बा. बधाई हो आपके प्रयास के. आपका मित्र अनुग्रह प्रताप सिंह, आजमगढ़ के हाल मुकाम चण्डीगढ़ के मोहाली जहां हम हिन्दुस्तान में पत्रकार बानी.

अनुग्रह भाई, रउरा के हम धन्यवाद देत बानी कि रउरा अंजोरिया के पस्नद कइनी आ दू गो लाइन लिखियो के भेजनी.- सम्पादक.


१६ अगस्त के बलिया से अनिल कुमार सिह लिखले बाड़े -


रउरा न्यूज वेबसाइट का माध्यम से हम ई पाठक लोगन के बतलावल चाहत बानी कि जवन बलिया से माँझी जाये वाला राष्ट्रीय राज मार्ग बाटे तवना के स्थिति अतना खराब बा कि अगर कवनो मरीज के ओह रास्ता से ले जाइल जाई त ऊ रस्ते में खतम हो जाई. हम चाहत बानी कि ओह रास्ता के बनावे के कवनो इन्तजाम होखे.

अनिल जी रउरा बात से हम सहमत बानी आ सोचत बानी कि अँजोरिया पर एगो पन्ना अइसनका मांग के प्रकाशीत करे खातिर बढ़ा दीं. बाकियो पाठक अपना अपना इलाका के अइसनका मांग भेज सकेलें. बढ़िया रही कि सम्स्या से जुड़ल कुछ फोटो भी भेज दिहल जाव.- सम्पादक.


१६ अगस्त के घनश्याम लिखले बाड़े -


भोजपुरी में सब समाचार पढ़ के मन गार्डेन गार्डैन आ दिल फ्लावर फ्लावर हो गईल. असहीं लिखत रहीं. मजा आ गईल अपने भाषा में आपन बात पढ़ के. सुझाव इहे बा कि तनी प्रेरणादायक लेख भी होखे जवना के पढ़ के बाहर रहेवाला लइकन के गर्व होखे.

राउर इमेलोत्र का आशा में.

घनश्याम जी रउरा सुझाव के धेयान राखल जाई. लेखको लोग से निहोरा कइल जा रहल बा कि अइसनका लेख भेजीं सभे.- सम्पादक.


१५ अगस्त के प्रभाकर पाण्डेय लिखले बाड़े -


भोजपुरी के अलख जगवले में राउर सब के योगदान हमेसा याद रही। हम ए समय आई.आई.टी. मुम्बई में बानी भोजपुरी में गलत-सही कुछु लिखी लेनी।

इ ब्लाग देखीं अउरी अगर अँजोरिया खातिर कुछु लिखे के कहीं तS हम आपन भागी समझबी।

http://pandiji.blogspot.com

भोजपुरी कहावतन खातिर (अर्थ अउरी हिंदी अनुवाद सहित)

http://deoria.blogspot.com/2008/05/blog-post_27.html

भोजपुरी व्याकरण खातिर-

http://prabhakargopalpuriya.blogspot.com/2008/06/tense-9.html

प्रभकर जी, राउर आ राउर रचनन के हमेसा स्वागत रही - सम्पादक.


१५ अगस्त के अखिल भारतीय पुरुष परिषद के अध्यक्ष रवि शंकर सिंह बागी लिखले बाड़े -


I Like Anjoria site.

We are celebratting Purush Diwas with Swatantrata Diwas on our 22th birth day.

बहुत बहुत शुभकामना:- सम्पादक.


१४ अगस्त के अनिल कुमार सिंह लिखले बाड़े -


जय हिन्द जय भारत


१४ अगस्त के जनकपुरी के प्रमोद लिखले बाड़े -


hi this is pramod . from saudi, but i am nepali . i like very much anjoria.and specially about the bhojpuri cinema.because i am the fan of bhojpuri flims . thanks to anjoria


८ अगस्त के राजेश मिश्रा लिखले बाड़े -


बहुत बढ़िया बाटे. हम पहली बेर देखनी हा. हमरा के भोजपुरी साइट के पता चाहीं.

राजेश जी, भोजपुरी लिंक वाला पेज पर चल जाईं:- सम्पादक.


८ अगस्त के राजेश मिश्रा लिखले बाड़े -


बहुत बढ़िया बाटे. हम पहली बेर देखनी हा. हमरा के भोजपुरी साइट के पता चाहीं.

राजेश जी, भोजपुरी लिंक वाला पेज पर चल जाईं:- सम्पादक.


६ अगस्त के गोरखपुर से दैनिक जागरण के धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय जी लिखले बानीं कि -


ताजा भोजपुरी फिल्मी खबर खातिर बधाई.

खाली बधाई दिहला से काम ना चली. रउरो कुछ ताजा खबर भेजीं -संपादक.


३ अगस्त के फिल्मी पन्ना पर से मनराज यादव लिखले बाड़े -


लागल रहऽ निरहुआ भाई!

आशा बा कि निरहुआ भाई ई बधाई सन्देश अपनहीं पढ़ लिहन -संपादक


३० जुलाई के सउदी अरब से सिदिक्की भाई लिखले बाड़न -


मन मगन रहतावे, सुन्दर लागऽता दुनिया.

जब से खुलल बा वेबसाइट अँजोरिया.

भले चाँद सूरज में गरहन लागत रहे,

या अल्लाह कयामत ले अँजोरिया सलामत रहे.


३० जुलाई के लोकनाथ तिवारी जी लिखले बानी कि

श्रद्धेय ओमप्रकाश जी

नमस्कार,


व्यस्तता के कारण हमनीं के बात नइखे हो पावत। बीच-बीच में (लगभग रोज) एको मिनट खातिर अंजोरिया जरूरे देखि लिहिने। आजु भउजी हो के छव-सात गो कड़ी पढ़नि हा। एह में रउरा कम शब्दनि में ढेर बात कहि जात बानी। का जाने इ रउरा लेखनी के कमाल ह कि हमरे नीक लागल हा। हम त कहबि कि समय निकालि के भउजी से रोजे भेंट करि। सम-सामयिक विषयन पर एह ले बढ़िया कॉलम बहुत कम देखे के मिलेला। मिजाज हरियर हो गइल हा। एकरा अलावा आउर कॉलम भी ठीक-ठाक बा। टटका खबर में त रउरा दोषरो के सेवा ले सकेनी। फिलिम आ अपराध दुइएगो बिकाला। एगो के रउरा कवर कर रहल बानी, लेकिन दूसरका के चटपटा अंदाज में डाले के कवनो जुगति लगाईं।


भोजपुरी में चैनल निकले के खबर सुननि हा का । महुआ चैनल के बारे में सुने में आइल हा। ओह में हमार एगो मित्र जा रहल बाड़े। एह बारे में फेर कबहुं बात होई। अंजोरिया जगजगात रहो।


नमस्कार

लोकनाथ


२४ जुलाई के गोरखपुर से धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेयजी लिखले बानी कि अँजोरिया नीक लागल.

धर्मेन्द्र भाई, प्रशंसा खातिर धन्यवाद. हम सभ पाठकन से चाहब कि आपन फीडबैक देत घरी कुछ अपनो बारे में लिखल करसु.


२३ जुलाई के अनुपम सिंह लिखले बाड़े कि ऊ पुरनका भोजपुरी फिलम्न का बारे में पढ़े के चाहत बाड़न.

अनुपम भाई राउर चाहत पूरा करे के पूरा कोशिश कईल जाई. तनी इन्तजार कर लीं.


आदरणीय सम्पादक जी,

प्रणाम.


महीनन से साथी समाजी लोग आपके वेबसाइट का बारे में कहत रहे लोग. सँवास ना मिलत रहे. आज देखनीं. भाई बड़ा खुशी भइल.


आप त एगो महान काम कर रहल बानीं, इतिहास गढ़ रहल बानीं. आपके वेबसाइट से हमरा एतना उत्साह भइल कि आज के दिन हमेशा इयाद रहे एहसे आपन एगो भतीजी के नांव हम अँजोरिया रख दिहनीं.


हमरा लायक कवनो सहयोग होखो त साधिकार कहेब.


आपके

हरिराम पाण्डेय,

सम्पादक, सन्मार्ग, हिन्दी दैनिक

कोलकाता


1 June 2008


Dear Sir,

I found this website while searching about bhojpuria culture and related news site on Google. Hats off to the entire team of anjoria.com for their contribution towards Bhojpuria samaj. It has been great pleasure to browse through the site, particularly Bhojpuri Chutputia and Lastam Pastam. I was really touched by this section. Now , i am a regular visitor of anjoria.com and hope it will become a medium to bridge the gap between all the bhojpuria people around the globe.

Once again, thanks to the entire team of anjoria.com

Sunil Kumar

SAP Application Specialist

DKSH Corporate Shared Services Center Sdn Bhd

Lot L4-E-3A, Enterprise 4, Technology Park Malaysia

57000 Bukit Jalil, Kuala Lumpur, Malaysia


Editor adds: Phone numbers and email address has been withheld as a rule.


08 May 08


I am from Mauritius. I was astonished to learn in Anjoria that the name of Mauritian prime minister is Jain Auld Jaideen and that he has resigned from office .This is mere misinformation!


Please do correct the mistake as you know more than we Mauritians that the Mauritian PM's name is Navin Ramgoolam who recently visited Bihar and that he has not resigned.Thanks.

Brotherly yours,

Sradhanand Ramsurrun.


Editor replies

हमरा एह बाति के शरम बा कि एगो गलत खबर के प्रकाशित कर दिहनी. मारीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम जी हउवन. बाकिर काल्हु एगो मशहूर समाचार माध्यम के खबर के हम बे सोचे समझे प्रकाशित कर दिहनी.


एह खबर पर मारीशस से इमेल भेज के श्रद्धानन्द रामसरन जी हमरा के सचेत कइले बानीं. हम उहाँ के अभिनन्दन करत बानी कि हमरा एह गलती पर प्रतिक्रिया दिहनी. हम शर्मिन्द बानीं. असल में खबर टाइप करत घरी हमरा दिमाग में अउवे कि रामगुलाम जी शायद राष्ट्रपति बानीं.


हम अपना गलती खातिर क्षमा मांगत बानीं.


22 Apr 08


namaskar editor ji

mera naam hai g g anand

main mumbai nagari me rahya hu

hume ganga expressway me bahut dilchaspi hai

koi khabar ho to zaroor mail kijiyega


19 Feb 08


Can you send me daily latest news on my email-id? Asks Deepak Kumar Sinha.


Editor replies: Sorry Deepak ji. it will create more work load for me. However, I will try to see whether it is feasible or not. Keep checking your email!


17 Feb 08


चुटपुटिआ में एगो गलती हो गइल रहे.

आठ गुणे तीन बराबर एगारह. कइसे? गलती से!

का बदला लिखा गइल रहे -

आठ धन तीन बराबर एगारह. कइसे? गलती से!


कई दिन बाद एगो सुधि पाटक ओह गलती का तरफ धेयान दिअवले बाड़न.


8+3=11 galti se na sahi me hola apan galit auri chhutcula duno ke sudhar lihi.

namaskar


गलती सुधरला खातिर धन्यवाद. सम्पादक


30 Jan 08


हम पहिलका हालि ई साइट में अइनी हा. लेकिन एकर विषयवस्तु आ आलेख देख के बहुत अच्छा लागल. साथ ही हम कमलजी के जवन कविता सब बाड़ी स ऊ बड़ा विशिष्ट लागल. राउर ई प्रयास भोजपुरी के विश्वपटल पर बरकरार राखे के दिशा में बहुत सुन्दर कदम बा.


सधन्यवाद.

धवल.


धवल जी, कतना बढ़िया रहित यदि आप आपन इमेल दिहले रहतीं त रउरा से नियमित सम्पर्क हो सकीत. खैर, राउर मर्जी. रउरा फीडबैक से उत्साह बढ़ल. धन्यवाद त हम देत बानी आत्मा से.


- सम्पादक, अँजोरिया.


एगो आउरी पाठक के फीडबेक मिलल बा...


निहोरा से फीड बैक ना मिली! बड़ा झकास साइट बनवले बानीं. लागल रहीं. आबाद रहीं.


ए भाई अतना नीमन बाति कहनी त आपन नामवा काहे ना दिहनी? केकरा के दीं? - अँजोरिया


चिट्ठी मिलल

20 Dec. 2007


Hi,


This is brilliant man..!!


I belong to Varanasi (though my mother tongue is Marathi, but grown up in Bhojpuri environment).


I wish a very good luck for you..!


Regards,

Amitabh



Ps:Is there any way if I want to send some informations to you to be published here. I was searching about languages in wikipedia


editor adds..


Why not?

Your contribution is most welcome.

Thanks for your feedback.


10 Dec. 2007


मारीशस टापू से दुनिया भर के भोजपुरी बोले वालन के नमस्ते बोलत हईं. भोजपुरी में अंजोरिया पत्रिका अउर समाचार पत्र में टटका खबर पढ़ि के दिल खुश हो जाला.


हमार बाप के परदादा, ठाकुर महतो, अपन बेटा रामशरण महतो के संगे १५० बरिस पहिले नया भोजपुर से गिरमिटहा मजदूर indentured labourer बनि के मारीशस आइल रहलन. ऊ लोगन के त सुख ना मिलल, मगर ऊ लोग केपरनाती लोग आजु स्वर्ग जइसन मारीशस देश में सुख से जियत हवन.


बिहार के कठिन परिश्रम अउर बचत की संस्कृति के कारण आजु मारीशस में बिहार मूल के लोग समाज के हर क्षेत्र में आगे हवन. हम लोगन के गर्व हे कि हमलोग बिहार हईं.


श्रद्धानन्द रामशरण

मारीशस


20 Nov. 2007


Namaste ji

bhojpuri website bahut hi accha laga hai. yeh website chalta rahe.

Harindra Kumar.

-----------------


Oct 2007)

31 Oct. 2007

31.10.07


First time a bhojpuri website is infront of me, its a achivement for bhojpuri samaj, thanks.

jk.maurya

ऐ महाराज, कहाँ रहनीं हँ अबले? - सम्पादक


bahut badhia site baa ago bhojpuria khatir.

raju tiwari

खाली बड़ाइये मत करीं कुछ आलोचनो करीं, ना त सुधरी कइसे? - सम्पादक


28.10.07


website ke shingar sab din banal raho,manawat bani,

BIPIN BAHAAR


शुभकामना खातिर धन्यवाद, रउरा लोग के नेह छोह बनल रहे हमत बस इहे चाहेम. - संपादक


26.10.07


namaste.

Ham Mauritius ke hain. Aaj Anjoria mein 'Mauritius mein shaandar Bhojpuria'lekh parh ke dil khush ho gail

Sradhanand Ramsurrun

Mauritius


24.10.07


My Humble respect to all the Originators of Anjoria.


True to its name serve as Guiding Torch to all the Bhojpuria Intellectuals of ABCD aspiring for going abroad-USA/Canada/Australia in connection with betterment of their Careers.


abhijit


बा केहू जे एह दिसाईं दिशानिर्देश दे सको? - सम्पादक

18.10.07


Thank you, the link is working.

I am student in Hindi in university in Paris (Inalco is the name), France. We are used to read in Devanagari. I write too in Devanagari with a good Indian software which name is Baraha.

In 3rd year we study the medieval litterature (Nath, Sufi, Kabir). By now we try to translate a story which title is - rAjA bharatharI -.

Bhojpuri is a little different from Hindi so I would like to find, like other students*, a short grammar of Bhojpuri.

So my answer is - I read Bhojpuri... a little -.

Thank you again

Best regards.

Jacques

* I am 56 years old but the other students mainly are younger, "usual" students, around 23.


 

I had asked him whether he can read Devnagri. - Editor


17.10.07


Namaste

ham Mauritius se Sradhanand Ramsurrun hain.Internet par Bhojpuri ke samacharpatr parh ke dil khush ho gail.Hamar baap ke dada ,150 saal pehle Naya Bhojpur se Mauritius ail ralan aur ham chawthi pirhi ke hain Hamar matribhasha Bhojpuri ha.Ab se roj i Anjoria parhab.


धन्यवाद श्रद्धानन्द जी, ‍

- सम्पादक


Thank you for this site.

The link for grammar 2 does not work.

Best regards

Jacques (from France)


I have checked the link and found it working. Please recheck. May be it is due to servers fault.

-Editor


16.10.07


bahut badhiyaa koshish kara taara lo...laagal rahla ke kaam baa....har bhashaa me website baadi sh..ago bhojpuri rahi gayi ralaa..uho pura ho gayil..baah re baagi ballia..baah...


from an unknown reader


7.10.07


आरा, बलिया छपरा, देवरिया,

एकरा सामने सब कुछ फीका.

चाहे मनहट्टन, चाहे वेस्टमिन्स्टर,

भोजपुरवा का आगे सब बाटे फीका.


आरा के भुजना, बलिया के सत्तू,

छपरा ले टिकरी, देवरिया के होरहा,

गया के तिलकुट, मनेर के लड्डू.

एकरा सामने मक्डोनाल्ड हवे फीका.


आरा, बलिया, छपरा देवरिया,

एकर माटी, एकरे भाषा,

भुलायेले सबके घरे बिदेसिया.

जइसे माई बुलायेले लल्ला.

लोरी सुने आवऽ मोर गोदिया.


ए के उपाध्याय


हम बी एच यू का पीएचडी के स्टूडेण्ट हईं अउरी इ वेब साइट हमरा बहुत अच्छा लागल बा. हम रोज एकरा के देखिला.


- रविन्द्र


6.10.07


महोदय,


म्यानमार के व्यथा

बहुते पुरान गाना बाटे ...

मेरे पिया गये रंगून,किया है वहाँ से टेलीफून,

तुम्हारी याद सताती है ....


ई आउर बाति बा कि आजु मोबाइल आ इमेल का जमाना में ना बालम सजनी के सुनत बाड़न, ना सजनी बालम के.


पड़ोस में डाका पड़त बा आ इहाँ फिकिर नइखे काहें कि डुसर के आन्तरिक मामिला बा. वाह रे डिप्लोमेसी, वाह रे तटस्थता.


सवाल उठता कि काहे उ देशन में जहाँ भगवान बुद्ध के सांस्कृतिक धरोहर, पगोडा आदि बा उँहे अतना हिंसा ?


जीय आ जीये दऽ, इहे तथागत के शिक्षा रहल रहे. लेकिन अफगानिस्तान के बामियान, तिब्बत के गुम्फा, आ बर्मा के स्वर्ण पैगोडा में खूब खून बहल बा.


एकरा पीछे हाथ बा इ सब जगह के सामरिक महत्व आ प्राकृतिक सम्पदा के दोहन.


उद्योगीकरण के दौर में जहाँ चीन के नजर बा म्यानमार के पेट्रोल, सागवान लकड़ी, रबर, टिन आदि पर, जे उहँवा के सैनिक तानाशाह के पूरा पूरा साथ दे रहल बा. तिब्बत के सामरिक महत्व के कारण १९५९ में ओके तबाह कइलसि आ सन ६२ में ऊ नू के हटवा के जनरल ने विनके मदद कइलसि अप्रत्यक्ष रूप में.


बहुते दुख के बाति बा कि १९५४ में बांगडुंग में नेहरू, झाउ एन लाइ,टीटो, आ नासिर पंचशील के सिद्धान्त के जोर शोर से तारीफ कइलन आ ओकरे आजु चिथड़ा चिथड़ा कार दिहल गइल.


सोचे के बाति बा कि जे देश से संयुक्त राष्ट्र के महा्चिव पद पर यूथान्ट शोभित रहलन उहे आजु कुशासन के तले कुचलल जा रहल बा.


ए॰के॰उपाध्याय


02-10-2007


Bakwas Compiling


- a reader from Allahabad, or was it Varanasi ?


Editor adds

I do agree. But can you help improve ? Please give some suggestions and means to achieve that. Further you should have gone inside and viewed some more pages before putting your comment. Anyway I thank you for the trouble.

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Sept2007

29-09-07


कइसे बताइब मन के दुखवा

पेटवा के आगि करेला,

सब ओरि अन्धेरवा.


ना हऽ हमार धरमवा,

आ ना हऽ हमार जाति पँतवा,

कोई विशेषवा,

हम हईं उहे अगवा,

उहे पेट के अगवा.


ना मन लागि कितबवा,

ना मन लागि दरशनवा.

हम हईं उहे अगवा,

उहे पेट के अगवा.


चाहे दरफर के कहवा,

चाहे कालाहाण्डी के कहवा,

हम हईं उहे अगवा,

उहे पेट के अगवा.


ए के उपाध्याय


28-09-07


Ashwani Mishra, of Sarsara, Taryapar, Gola Bazar, Gorakhpur, presently livin at New Delhi has sent the following feedback :


चाँद के अँजोरिया से अतने लाभ बा जइसे माटी के तेल ना रहला पर भी बिजली से ज्यादा अँजोर हो जाला. अँजोरिया के जितना भीसराहना कइल जाय कम बा. काहे कि बहुत लोग के कम्प्यूटर का बारे में जानकारी भी मिल जात बा.


धन्यवाद बा सब लोगन के.


A K Upadhyay wrote :


संपादक जी


एगो के तऽ सोना में तवलतानीं आ दोसर के फूटल कौड़ियो नइखेमिलत. इहे हाल बा क्रिकेट आ बाकि आउर खेला में. का इहे समानता के भेंट हऽ ऊ बचवन सब खातिर जे आपन आपन तरह से देश के नाम रोशन करे में हाथ बटावेले सब ?


अलबत्ता ई बाति जरूर बा हारे पे पुतला सबे के जरेला, एमें कवनों असमानता ना बरतल जाला. का हमनी के ई बाति ना भूल जायेनी कि खेल में हार आ जीत लागले रहेला. जरूरत बा स्पोर्ट्समैनशिप के !


प्रिय उपाध्याय जी,


जब भगवान के बनावल एह दुनिया में हर आदमी के बराबर ना बनावल गइल तऽ आदमी से बराबरी के व्यवहार करे के उम्मेदे कइल बेकार बा. सब खेल के बढ़ावा मिले के चाहीं, एह बातिसे हमहूँ सहमत बानीं.


- सम्पादक


19-09-2007


Sir,


The nursery rhymes-Ghughuwa mana...remind one of an era when old grandmother used to sing for the child at bed time. Please do give more of such forgotten poems. Your effort is worth appreciation.


Yours Sincerely,

a.k.upadhyay


14-09-2007


सम्पादक जी,

बिहाने मिलब हम,

शंकर के इनरवा.

बिहाने मिलब हम, सेतु समुन्द्रम.

जहवाँ कभी रामजी

पूजले रहुवन

शंकर शम्भू.


उहे सागर तट के

माटी भिगइले

विशाल सागर समूह

बिहाने मिलब हम.


तबे उहवाँ से बहल

आईल उड़त हवा,

बोललस उहवाँ नइखे

सेतु कोई, कोई बात ना

बोललस ऊ जे बैठल रहिल

हमार जियरा में

मत होखऽ आतुर,

हम रहब चिरकाल तक.


तू के हवऽ ?

पूछलसि हवा.

हम हईं ओही तोहार राम.


ए के उपाध्याय


05.09.07


महोदय, १९६७ में डा॰ क्रिश्चियन बर्नार्ड पहिला हार्ट ट्रान्सप्लाण्ट कइलन जे चिकित्सा शास्त्र में मील के पत्थर रहुवे. अपना देश में भी डा॰ वेणुगोपाल हृदय प्रत्यारोपण कइलन. आजुकाल्ह ऊ दिल्ली एम्स के निदेशक हवन. लेकिन मन्त्री डा॰ रामदास उनुका से ओही तरह गुस्साइल बाड़न जइसे पहिला किलास के लइका दोस्तवन से कुट्टी कर लेला. असर संस्थान के कामकाज पर पड़ेला आ डागदरी पढ़ेवालन पर पड़ेला, कईबार कोर्ट बीच बचाव कइले बा.


मंत्रीजी के चाहत रहुवे कि देश में स्वास्थ्य सेवा के विकास करतन. कम से कम अइसन डागदर लोग के प्रोत्साहन देतन जे हिप्पोक्रेटिक सौगन्ध के मान राखत मरीज लोग के सेवा करऽता. अईसनहीं डागदर बा लोग डा॰मण्डल, आ डा॰रथ जे कांसीनगर उड़ीसा में अथक मेहनत कर रहल बा लोग.


‍ ए के उपाध्याय


04.09.07


एगो शुभचिन्तक भाई के फीडबैकः


मैं आपका अँजोरिया.कॉम रोज देखता हूँ और लोगों को भी देखाता हूँ. सभी हँसते भी हैं और भोजपुरी को बढ़ाने में आपकी मदद करना चाहते हैं और आप के भोजपुरी को इतना सम्मान देने के लिये आपके आभारी भी हैं.


आपका,


सहयोगी.


धन्यवाद सहयोगी भाई. रउरा आपन नामो नइखीं बतवले तबो कवनो बाति ना. आभारी रउरा लोग मत होखीं, आभारी हम बानी कि रउरा सभे हमरा कोशिश के जिअवले राखे में मदद देत बानीँ.


अइसहीं नेह छोह बनवले राखीं.


राउर,


अँजोरिया सम्पादक, प्रकाशक, टाइपिस्ट, अनुवादक जवन चाहे कह लीं.


2.9.07


Sampadakji,


Hockey me bees gol daag ke hamni ke shoorma log jaroor 1932 ke yaad dila delas lekin kadwa sach ta i baa ki 1960 olympics ke baad koi bises khitaab na milal.


Ekar ka karan ba e pe jaroor chintan hoye chahin. Jaan padela ki khelan me paltiks a gail bate, chahe kriket a chahe genda khele me hoye.


Khiladi sab ke chayan , parshiksan, khan paan me koi rajniti na hoye chahi. Khali ek bhavna hoye chahi, des ke naam ujagar kareke.


Khel mantralay chahe kendra chae rajya ke hoye khel a khiladi ke subidhe ke dhan rakhe ihe apeksa karal ja sakela.Dekhe me ayela ki baki des apan subidha ke tahat khel ke niyam badal dela.Jaise haki me astro turf a pahile kabaddi asiai khel me jaroor saamil kail gail rahe pher hata diyal gail.


Aksar dekhal gail bate ki ek gol kare ke baad team ke inaam ke taur pe jagir likh diyal jala, pher team ek ke baad ek hare lagela. Aise na hoye chahin.


a.k.upadhyay


31.8.07


महोदय,


चन्द्रगुप्त द्वितीय का शासनमें चीनी यातरी फाइहन आइल रहुवन. ऊ बिहार के समृद्धि के बारे मे बहुत तारीफ कईले बाड़न. अगर आजु के बिहार में ऊ अईतन तऽ आपन माथा पीट लेतन.


शायद लिखतन भागलपुर के नाथनगर के पुलिसिया जुल्मके बारे में. एगो बड़ अधिकारी तऽ एकरा के गुनाह माने से इन्कार कइलन आ कहलन कि ऊ जमादार तऽ मुजरिम के गुस्सैल भीड़ से बचाये खातिर फटफटया से चेन से बन्ह के ले हात रहल हऽ. लेकिन मीडिया के आईना तऽ कुछ आउर कहत बा. ऊ अधिकारी के इ ना लउकल कि जमादार साहब के टोपी अउर जूता नदारद ना रहेला. का बिहार पुलिस में जूता आउर हेलमेट ना दिहल जाला ?


दूसर बात फाहियन इहो लिखतन कि बिहार आईएश वर्ग रंगीन कपड़ल पहिनल ज्यादा पसन्द करेला जब तक कि माननीय न्यायालय ई बाति पर जुरमाना ना क५लसि. झारखण्ड में तऽ हद हो गईल. बड़ बर्ग के अफसर नेताजी के गोड़ लगलन लोग.


आउर फाइहन का कहिहहन ? इहे कि बक्सर मे पुलिस वर्ग मनोरंजन खातिर बार गर्ल से नचवा के उत्तम उदाहरण भेंट कईलसि.


ए के उपाध्याय


सम्पादक के निहोरा


उपाधंयाय जी, रउरा नियमित रुप से लिखत बानीं आ हम प्रकाशित कर रहल बानी. हम चाहत बानीं कि रउरा आपन एगो फोटो आ परिचय भेज दिहतीं.


अँजोरिया अपना पाठकन के विचार से सहमत हो भी सकेला, ना भी हो सकेला. ठीक ओही तरह जइसे पाठक अँजोरिया के विचार से सहमत भा असहमति होखे के अधिकार राखेला.


अँजोरिया राउर विचार भा रचना अगर प्रकाशित करी तऽ बिना सम्पादन के. अगर अधिका बेलाईन बाति बूझाई तऽ नाहियो प्रकाशित हो सकेला.


सम्पादक

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Aug2007


25.8.07


Mahoday,


TV channel pe je hansi thitholi ke khela dikhail ja rahal ba u bahute bhonda hoyela. Parivaar ke sange dekhe me atpata laagela.


Hansi karal shisht hoye chahin.Kuchh saal pahile Jaspal Bhatti ke je programme aawat rahe u behtar rahe. Ihe tarah Pandit Gopal Das Byas, G.P Srivastav, Surendra Sharma aadi aisan naam ha jeke hardam yaad rakhal jayi.


Prahasan a byang likhal asan naikhe. Uhe tarah jaise Bharat Natyam ya Kathak. Rock ta kou kar sakela. Asabhya majak ta hade paar kar gayil ba. Sun '62 ke ladai ke samay shahid joddhan ke samman me je dhun banayil gayil okar ke bhi na chodalan log. O pe bhi parody ban gayil.


Raur web paper ke madhyam se mauka milal i baat pe dukh jataye ke.


a.k.upadhyay


22.08.07


Mahoday,


Des ke rajdoot ke jimmedari wala kaam rahela. Kootniti ke aadharbhoot siddhant ha ki napa tula bayan debe ke. Pata na amrika me Bharat ke rajdoot kahe kah delan ki je sansad atamic karar ke birodh karata u sir katal murga ha. I baat ego patrakar se interview me diyal gail. Jub bahut shor machal ta kah delan ki u baat patrakar khatir kahlan rahan. Baad me saaf inkaar kar delan ki aisan baat kahile rahan. Laagata ki rajdoot log bhi neta log jaisan baat kare laagal baadan. Jaise satvik,rajsik aur tamsik me phark ba oise hi shaayad devdoot,rajdoot aur yamdoot me phark bate.


a.k.upadhyay


19.08.07


सम्पादक जी,


आजुकाल्ह के राजनीति में जे लेफ्ट राइट लेफ्ट हो रहल बा ऊ डा॰ जाह्नसन के बात सिद्ध करत बा कि पालिटिक्स में ऊ लोग पनाह ले ला जे चहुँपल शैतान होला.


चुनाव के समय बड़ बड़ वादा करेला आ फेरु लाग जाला लोग आपन तकदीर बनाये में. आउर अहम् के तुष्टि करे में. अगर अईसन ना होईत त आजु पूर्वाञ्चल में उहे स्तर पर उद्योग आ कारखाना स्थापित होखित जइसे पश्चिमी क्षेत्र में, आ लोगन के काम मिलित जवना से समृद्धि बढ़ित.


बाकिर विडम्बना ई बा कि गंगं जमुना के बावजूदो खुशहाली नइखे. कई साल पहिले डा॰ के॰एल॰राव जे भारत के सिंचाई मंत्री रहलन आ हालहीमें राष्ट्रपति पद पर रहते कालम साहब नदियन के जोड़े के बाति कहले रहन. जवना से नदियन के पानी के सम्हाल के राखल जा सकित. अबहीं हालि ई बा कि बाढ़ से पूरा बिहार आ यूपी तबाह बा. उदारीकरण से आर्थिक तरक्की जरूर भईल बा लेकिन ऊ तरक्की कतना लोग के भला कर पवले बा ? सोचे के बाति बा. बाकिर राजनीति से फुरसत मिले तब नू !


ए॰के॰उपाध्याय


18.8.07


Anjoria.com is doing some excellent ground-level work for Bhojpuri on the Internet. Please offer any suggestions to the Editor, Shri. OP Singh, who resides in Ballia, U.P


Shailesh Mishra, Texas, USA


Manyavar,

Ajkal je bhi ho rahal ba u sabe sweekar kar le la. Okar auchitya puchal asabhyata samjhal jayela:


Sansad me neta log aapan chhichha lether karayela, thike ba.


Big B bhumi daan kare chahat rahan. Tv channel me khulasa kaile ki koi unka deyal power of attorney ke galat istemal kailas, thike ba.


Kuchh saal pahile Balia ke ego honhar bahu charchit ho gailan ki NASA sanchalit parichha me desh ke naam roshan kaile bade. I dusar baat rahe ki NASA inkaar kai delas ki u koi aisan priksha karayela.Maze ke baat rahe ki honhar laikwa Mahamahim Rashtrapatiji se bhi mil ayil,thike ba.


a.k.upadhyay


14.8.07


Sampadakji,


Ek baar phir raua maaf karin Roman me likhe par.


Aazadi ke varsaganth ke purva divas pe shayad hamar soch nakaratmak laage, lekin jhootlayal na ja sakela.


Kon- kon tyag na kaile rahale ha hamar desh ke aazadi kahatir poojya ranbankure log. Ka u log sochle hokhi Aaj ke Bharat ke baare men jahaan ek sarvajanik bikas pradhikaran khaali ek karore rupiya phoonk delas ek abhinetri/nartaki ke nachwaye khatir?


Ka i paisawa koi badhiya kaam me na lagail ja sakat rahal ha jaise Kaala Handi ke nirdhan log pe, nirdhan vidyarthi sab ke shiksha ke naate. Katna merit me aayil chhatra log ke sapna toot jayela dhan ke abhav me.


Aisan kai udaharan ba je bibas kar dela soche pe i madhu bale men.


kshama yaachak,


a.k.upadhyay


10.8.07


Dear Sir,


As I cannot write in Devnagari please permit me to write in the Roman script:


Chacha Sam ke daamad ta hamni ke hain na je u atana badhiya atomic karar bhent kaile badan. Jaroor koi goorh raaj ba, uhe tarah se jaise Security Council me sthayi sadasyata ke purjor birodh karal gail Bharat khatir.


Ihe khatir bahut jaroori ba thok thaka ke amjhe ke, ki door bhawishya me ka kimat chukaye par sakela. Kabhi kabhi dhara pravah ke biprit dekhal bh faydemand hokhela.


चाचा सैम के दामाद तऽ हमनी का हईं ना, जे ऊ अतना बढ़िया एटामिक करार भेंट कईले बाड़न. जरूर कोई गूढ़ राज बा, उहे तरह से जइसे सेक्युरिटी काउन्सिल में स्थायी सदस्यता के पुरजोर विरोध करल गईल भारत खातिर. इहे खातिर बहुत जरूरी बा ठोक ठेठा के समुझे के कि दूर भविष्य में का कीमत चुकावे पड़ सकेला. कभी कभी धारा प्रवाह के विपरीतो देखल भी फायदेमन्द होखेला.


a.k.upadhyay


4.8.07


Dear Editor,


Whenever I get time I try to visit the Anjoria. The new look portal is impressive. Not only I enjoy reading Bhojpuri, I also savour its English.


a.k.upadhyay


i amyour rememarmy village a up chitrakut distik am poor main aim mediam teach four read .com


ratibhan singh patel


Though I could not make any sense of it, it is still better than no words ! - editor


1st August 2007


नमस्कार.


ई हमरा बलिया के भाषा हऽ.


हम भी बलिया के हईं अबहीं हैदराबाद में हईं.


रोज आपके वजह से बलिया की जानकारी होती है. इसके लिये मैं अपनी तरफ से आपको थैंक्स फार सो मच. और बलिया वासियों को भी.


हैदराबाद से धीरेन्द्र सिंह


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(jly 2007)

29th July 2007

डाक्टर साहब,


नमस्कार !


राउर प्रयास आ लगन देखि के बहुत खुशी होला कि भोजपुरी में कवनो स्तम्भ बा जवन बलिया जिला में रहके भी दुनिया में छाइल बा.


देवर भउजी के संवाद बहुत अच्छा लागेला. अँजोरिया के फार्मेट भी काफी crisp कड़कड़ लागत बा. हमरा समुझि से समझ से खबर के एक लाईन सुर्खियाँ होमपेज पर होखे के चाहीं.(samachar.com जइसन ). आ क्लिक कइला पर टटका खबर में विजीटर के ले जाये के चाहीं.


भोजपुरी वर्ड बैंक के आइडिया बहुत नीमन बा. एकरा में बहुत पोटेन्शियल बा आ पूरा शब्द कोष बन सकेला. अँजोरिया पर भोजपुरी भाषा से संबंधी सामग्री बा, लेकिन विजीटर के बार बार आवे खातिर कुछ आउरियो डाले के पड़ी. We need more content on the website. You can add a poll to get more feedback from your visitors. Adding something about bhojpuri songs and films with more pictures can make Anjoria wonderful. I am sure other members here can give you more suggestions and feedback.


Please keep up the good work and let us know if you need any help.


Thanks,


Sailesh


Texas, USA


सम्पादक के जवाब.

29th July 2007

प्रिय शैलेश भाई,


नमस्कार !


राउर सुझाव पाके बहुत खुशी भईल. रउरा सब बात नीक कहले बानी. बाकिर रउरो मानेम कि ई काम केहू अकेला आदमीके वश के नइखे. सामूहिक प्रयास करे के पड़ी.


अँजोरिया शुरु कइनी तऽ सबले पहिलका समस्या खाड़ भइल फान्ट के. ओकर समाधान तऽ निकल गईल बाकिर दोसरका समस्या के कवनो समाधान सोझा नईखे लउकत.


भोजपुरी के लिखनिहार इण्टरनेट पर ना आवसु आ जे आवता ऊ लिखत नईखे. कतना हालि हम निहोरा कर चुकनी कि रउरा लोग आपन रचना भेजीं सभे. एकाध रचना मिलली सँ आ प्रकाशितो भईली सँ. बाकिर रोज रोज खातिर रचना के जोगाड़ मुश्किल बा.


अन्त में हम अपने से जतना हो सकत बा करत बानी. पैसा टाइम सब लगवला का बादो हम अपना के साहित्यकार ना मानीं. तबहियों कुछ ना कछ लिखे के शौक पूरा करत रहेनी.


विजीटर लोग के रोज बोलावे खातिर भउजी से बतियावल शुरू कईनी. अब भोला भाई का बहाने कुछ हँसी मजाक गुदगुदीओ करे के प्लान बा. देखी भोला भाई के लोग कतना पसन्द करत बा !


भोजपुरी फिल्मन का लोग से हमरा संपर्क नइखे. ऊ लोग कुछ सामग्री दिहीत तऽ हमरो खुशी होखित आ ओहू लोग के अपना प्रशंसकन तक चहुँपे खातिर एगो आउरी माध्यम मिल जाइत. बलिया में बईठ के मुम्बई के कलाकारन तक कइसे चहुँपी. फोटो वगैरह के भी जोगाड़ जाइज तरीका से करे के पड़ी.


बाकी लोग तऽ पीएचपी का माध्यम से पोल वगैरह के सुविधा जुटा लिहले बा. हमरा एसटीएमएल का अलावा कुछ आवे ना. पाकिट में अतना पइसो नइखे कि दोसरा के राख सकीं.


तबो एगो जिद्द जइसन हो गइल बा. धीरे धीरे राउर हर सलाह पूरा करे के कोशिश करेम हम.


कुछ पइसा जुटावे खातिर आ संगहीं संगे अँजोरिया खातिर लिंक जुटावे खातिर हम वेबहोस्टिंग के कम करे के चाहत बानीं. सहायता आ दान लिहल हमरा प्रकृति से मेल ना खाव. बिजनेस कर सकीलें. हास्टिंग के मुनाफा से अँजोरियो चलि जाई आ रउरो सभेके कुछ काम हो जाई.


५० एमबी के वेबस्पेस आ १०० एमबी के मेलस्पेस मिला के हम कुल्हम १५०० रुपिया में देबे के आफर देले बानीं. डिजाइनिंग के काम अलगा से. भरसक लोग अपने कर लेव तऽ सबले बढ़िया.


अगर केहू के खाली अपना पसन्द का डाटकाम पर मेल आईडी चाहीं तऽ ऊ मेलप्रो हम छह सौ रुपिया में दे देम.


एह सब काम से कुछ मुनाफा हो जाई तऽ आउरियो काम हो सकेला.


अपना जान पहिचान वाला लोग से कुछ सिफारिश कर सकीं तऽ हमरा आउरी खुशी होखी.


ई काम लोग अँजोरिया के घुमा फिरा के सहायता देबे के नाम पर भी करो तऽ हमरा उजूर नइखे.


राउर सहयोग आ नेहछोह हमेशा हमरा संगे बनल रही ऐह आशा का साथ,


राउर


ओपीसिंह


Dear Editor,Anjoria

There should be correction in your news.

You have published 'sita mahapatra' word in your news regarding bhojpuri's position in constitution'8th.s. Pl.be.noted by you- He is Dr.SITAKANT MAHAPATRA. He is an eminent writer in indian literature.He has been awarded by BHARTIYA JNANPITH AWARD.

I have written criticism on his poetry and edited a book on him.

you know,I am a bhojpuri writer,culturist.I have writeen so many poems.essays,criticism in bhojpuri.If you want any co-operation,pl.tell.

with thanks,

PARICHAY DAS

(DR.RAVINDRA NATH SRIVASTAVA)

NEW DELHI-110075


21.12.2006

Dear Sir,

Could I have your postal address?

I wish to submit stories in bhojpuri provided you accept. I find it difficult to send the same through e mail,Devnagri script.

sincerely,

A.K.upadhyay


You may send it by post to O.P.Singh, c/o Sri Pankaj Verma, RCVerma House, Mahila Hospital-Rampur Mahaval Road, Ballia - 277001 but then your entry will not qualify for the awards. - editor


gazbe likhle bada e bhai. maza aa gail. sahi kaha tani dam baa, tahara me, mane ke padi, aisahin likhat raha ye bhaiya ye mor babu , jiyat raha.

Anurag Verma, babuballiavale


Its really amazing to listen that bhoujpuri is global, I admire this effort and always be ready to do for my community as possible as.. o sorry let me tell something about me first by birth I am a bhojpuri my native place is rohtash sasaram 120 km from banaras and trust me I miss my birthplace too much, rest of my studies was completed in jabalpur Madhya pradesh and now I am in pune working with an US MNC Syntel .

Keep sending me update on my Syntel mail id and my personal ID.(email IDs have been removed to save Sanjay from spams - editor.)

Thanks

Sanjay


महोदय

इ भोजपुरी क अजोरिया एतना भाउक कईले बा की जहिआ से एह साइड के खोलले बानी एका बेर मोका लगा के रोज पढ़ लेनी ।

महोदय कृपया ई बतावल जाए कि कैसे एह नेटवर्क से जुडल जाला। जबाब जरुर देब नाही त दिल टुट जाई।

कमलेश कुमार चौबे


sir i m kk chaubey and i m from ghazipur i love bhojpuri i m a poet and i attached to you. what the prosidure please tel me.

sabse mithee bhojpuree bhaaksha;

pure sansar me phaile yahee abhilasa;